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केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में बढ़ रही आत्महत्याएं - चिंता का विषय

Edited By ,Updated: 06 Dec, 2024 05:00 AM

suicides on the rise in central armed police forces  a matter of concern

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों अर्थात अद्र्धसैनिक बलों (सैंट्रल आम्र्ड पुलिस फोर्स-सी.ए.पी.एफ.) के जवानों द्वारा आत्महत्याओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो हाल ही की निम्न खबरों से स्पष्ट है

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों अर्थात अद्र्धसैनिक बलों (सैंट्रल आम्र्ड पुलिस फोर्स-सी.ए.पी.एफ.) के जवानों द्वारा आत्महत्याओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो हाल ही की निम्न खबरों से स्पष्ट है :

  • 1 अक्तूबर को अमेठी (उत्तर प्रदेश) में सी.आर.पी.एफ. के एक जवान ने अपने कैम्प में सॢवस राइफल से गोली मार कर आत्महत्या कर ली।
  • 3 अक्तूबर को रांची (झारखंड) स्थित सी.आर.पी.एफ. कैम्प में 2 दिन पहले ही लम्बी छुट्टी से लौटे जवान ने आत्महत्या कर ली। 
  • 29 नवम्बर को बाड़मेर में भारत-पाक सीमा पर तैनात बी.एस.एफ. के जवान ने आत्महत्या कर ली। 
  • 2 दिसम्बर को सूरसागर (राजस्थान) थाना क्षेत्र स्थित सी.आर.पी.एफ. के प्रशिक्षण केंद्र में एक उपनिरीक्षक ने आत्महत्या कर ली। 
  • 3 दिसम्बर को शोपियां जिले (दक्षिण कश्मीर) में तैनात सी.आर.पी.एफ. के जवान ने सॢवस राइफल से खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली।
  • 5 दिसम्बर को बीकानेर में 2 अलग-अलग घटनाओं में बी.एस.एफ. तथा सेना के एक-एक जवान ने आत्महत्या कर ली।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों अर्थात अद्र्धसैनिक बलों (सी.ए.पी.एफ.) में सी.आर.पी.एफ., बी.एस.एफ., सी.आई.एस.एफ., आई.टी.बी.पी., एन.एस.जी. और असम राइफल्स (ए.आर.) जैसे बल शामिल हैं। बताया जाता है कि आत्महत्या करने वाले जवानों की संख्या आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद होने वाले जवानों से भी अधिक है।  गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय द्वारा 4 दिसम्बर को राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार पिछले 5 वर्षों में केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों के 730 जवानों ने आत्महत्या की है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 5 वर्षों में लगभग 55,000 जवानों ने स्वैच्छिक रिटायरमैंट (वी.आर.एस.) ली है या त्यागपत्र दिया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सी.ए.पी.एफ.) व असम राइफल्स (ए.आर.) में 1,00,204 पद रिक्त पड़े हैं। 

लम्बी ड्यूटी, सोने के लिए पर्याप्त समय न मिल पाना और परिवार के साथ कम से कम समय बिता पाना तथा अन्य निजी परेशानियां आत्महत्याओं के मुख्य कारण माने गए हैं। ‘कन्फैडरेशन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेज वैल्फेयर एसोसिएशन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2011 से अब तक कुल केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 1532 जवानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने का सबसे बड़ा कारण खराब सेवा शर्तें, घर जाने के लिए अवकाश में कमी, पदोन्नति के कम अवसर आदि हैं। 

इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अद्र्धसैनिक बलों में मनोरोगियों की संख्या 2020 में 3584 से बढ़कर 2022 में 4940 हो गई। ‘कन्फैडरेशन’ के अध्यक्ष रणबीर सिंह के अनुसार :
‘‘यह गंभीर चिंता का विषय है। हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय को कई बार पत्र लिख कर अपने जवानों की समस्याओं के समाधान की मांग की है परंतु सरकार ने अभी तक कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया।’’इसी प्रकार सी.आर.पी.एफ. के एक अधिकारी ने बढ़ती आत्महत्याओं के लिए बिना छुट्टïी के लगातार कठिन पोसिं्टग के कारण होने वाले तनाव और थकान को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि ‘‘जवान अत्यंत कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं परंतु कई बार घर पर उनकी समस्याएं गंभीर हो जाती हैं। छुट्टïी से इंकार के बाद वे और अधिक उदास हो जाते हैं।’’

इस विषय पर अध्ययन के लिए एक अन्य टास्क फोर्स की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि आत्महत्या करने वाले लगभग 80 प्रतिशत जवान छुट्टी बिताकर लौटे थे। इस रिपोर्ट के अनुसार :
‘‘जवानों में आत्महत्या का मुख्य कारण परिवार के किसी सदस्य की मौत, वैवाहिक विवाद या तलाक, आॢथक कठिनाइयां और बच्चों के लिए शिक्षा के पर्याप्त अवसर न होना आदि भी होते हैं।’’

अत: सुरक्षा बलों में स्टाफ की कमी पूरी करने तथा अन्य त्रुटियां दूर करने की तुरंत जरूरत है ताकि हमारे जवानों के सामने आत्महत्या जैसा कदम उठाने की नौबत न आए। -विजय कुमार 

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