Edited By ,Updated: 05 Jun, 2024 05:24 AM
1 जून, 2024 को मतदान का अंतिम चरण समाप्त होते ही लोगों में उत्सुकता बढ़ गई कि इस बार चुनाव परिणामों का ऊंट किस करवट बैठेगा।
1 जून, 2024 को मतदान का अंतिम चरण समाप्त होते ही लोगों में उत्सुकता बढ़ गई कि इस बार चुनाव परिणामों का ऊंट किस करवट बैठेगा। मतदान समाप्त होने के लगभग एक घंटे बाद ही विभिन्न टी.वी. चैनलों पर ‘एग्जिट पोल’ आने शुरू हो गए जिन्हें जानने के लिए लोग रात तक और अगले दिन 2 जून को भी दिन भर टी.वी. सैटों से चिपके रहे। चुनावों के बाद सरकार और विपक्षी दल दोनों ही पक्ष ‘हम जीतेंगे, हम जीतेंगे’ के दावे करते रहे। इस बीच चुनावों के दौरान और उसके बाद भी सरकार का ‘अब की बार 400 पार’ का नारा भी उछलता रहा।
एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने एग्जिट पोल के दावों को झुठलाते हुए कहा कि ‘‘हमें प्रतीक्षा करनी होगी। बस इंतजार कीजिए और देखिए। हमें पूरी उम्मीद है कि एग्जिट पोल में जो दिखाया जा रहा है, नतीजे उसके बिल्कुल विपरीत होंगेे।’’ हालांकि अधिकांश लोगों को उक्त नेता के इस कथन पर विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा होगा परन्तु जब 4 जून को चुनाव आयोग द्वारा आधिकारिक परिणामों की घोषणा शुरू हुई तो स्थिति बदलने लगी और हुआ ऐसा ही तथा राजग को 291, इंडिया को 234 तथा अन्य को 18 सीटें मिलीं।
एग्जिट पोल्स से भिन्न परिणाम देख कर एक प्रमुख टी.वी. चैनल के एंकर ने तो अपने चैनल पर भ्रामक एग्जिट पोल दिखाने के लिए दर्शकों से माफी मांगते हुए कहा कि ‘‘हमारा आकलन गलत निकला परन्तु अधिकांश चैनलों का भी यही हाल था। इसलिए हम बच गए, नहीं तो लोगों ने हमें...’’ जैसा कि हम पहले भी लिखते रहे हैं, देश की स्वतंत्रता के इन 77 वर्षों के दौरान देश विकास के मार्ग पर बढ़ता जा रहा है। यह सही है कि बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, भ्रष्टाचार, अपराध आदि के चलते लोग दुखी हैं, परन्तु इसके साथ ही यह भी सच है कि स्वतंत्रता मिलने के समय हम 35 करोड़ थे जो अब बढ़ कर लगभग 140 करोड़ हो गए हैं तथा हमारी अनेक समस्याओं का कारण बढ़ती आबादी भी है।
आज सड़कें चौड़ी हो रही हैं, नए-नए फ्लाईओवर बन रहे हैं तथा इसके अलावा उच्च और मध्यम वर्ग की खरीद शक्ति भी बढ़ रही है। सभी जगहों पर बड़ी संख्या में स्कूल-कॉलेज और अस्पताल आदि भी खुल गए हैं। प्रत्येक परिवार के पास एक से अधिक कारें हो गई हैं। पहले एक कार में पूरा परिवार यात्रा करता था अब आमतौर पर कारों में अधिकतम 1-2 व्यक्ति ही यात्रा करते दिखाई देते हैं। दूसरी ओर मोटरसाइकिलों पर 2 से 4 लोग यात्रा कर रहे हैं परन्तु यह उनकी मजबूरी भी है।
वाहनों की संख्या बढऩे के कारण सड़कों पर ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा होने के साथ-साथ सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं। जहां तक बेरोजगारी का संबंध है, विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों पंजाब व हरियाणा के किसानों के बच्चे 10+2 की पढ़ाई करके विदेशों की ओर भाग रहे हैं, जिस कारण जगह-जगह ‘आईलैट्स सैंटर’ खुल गए हैं। अब तो अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन आदि देशों ने हमारे युवाओं को आकॢषत करने के लिए कई सुविधाएं भी बढ़ा दी हैं जिसके परिणामस्वरूप अब पंजाब, हरियाणा तथा इनके साथ लगते कुछ क्षेत्रों में ज्यादातर बुजुर्ग ही रह गए हैं।
अब इस घटनाक्रम को अच्छा कहा जाए या बुरा, पड़ोसी राज्यों से आकर लोग यहां बस रहे हैं जिस पर लोगों का कहना है कि उनके लिए पंजाब और हरियाणा ही कनाडा, अमरीका और इंगलैंड आदि बन गए हैं। किसी भी देश की तरक्की तभी होती है जब वहां विपक्षी दल आम लोगों के हित से जुड़े सरकार के किसी भी किस्म के गलत फैसले को कड़ा प्रोटैस्ट करके रोकें और पास न होने दें। एक मजबूत सरकार के साथ-साथ एक मजबूत विपक्ष भी हो, जो सत्ता पक्ष को मनमाने ढंग से फैसले लेने, मनमर्जी के कानून बनाने की छूट न दे और संसद में बहस के बाद ही किसी कानून को पास किया जाए या कोई कदम उठाया जाए। लोकतांत्रिक ढंग से और समुचित वाद-विवाद के बाद बनाए गए कानून में ही ताकत होती है और उससे लोगों की भलाई भी होती है।
इन चुनावों ने ऐसी ही उम्मीद जगाई है। इन चुनावों में हार-जीत के जो भी नतीजे आए हैं, ये भारत के लिए एक अच्छा संकेत हैं । जो भी हो रहा है और जो आगे होगा वह अच्छा ही होगा और देश के हित में ही होगा। आग बरसाती गर्मी के मौसम में मतदान करने के लिए मतदान केंद्रों तक पहुंचने वाले सभी वर्गों के जागरूक मतदाता साधुवाद के पात्र हैं। आने वाले दिनों में क्या होता है इसका उत्तर तो समय ही देगा। ‘जय भारत...मेरा भारत महान...जुग-जुग जीवे हिंदुस्तान।’ -विजय कुमार