‘हर्ष फायरिंग’ का लगातार बढ़ता रुझान ‘बदल रहा खुशियों को मातम में’

Edited By ,Updated: 01 Dec, 2024 05:10 AM

the ever increasing trend of joy firing is turning happiness into mourning

भारत में गोली चलाकर खुशी व्यक्त करने अर्थात ‘हर्ष फायरिंग’ का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। आम तौर पर विवाह-शादियों और खुशी के अवसरों पर कई बार लोग ‘हर्ष फायरिंग’ के दौरान गोली चला देते हैं जिसके लिए उन्हें जीवन भर पछताना पड़ता है। ऐसे ही चंद ताजा...

भारत में गोली चलाकर खुशी व्यक्त करने अर्थात ‘हर्ष फायरिंग’ का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। आम तौर पर विवाह-शादियों और खुशी के अवसरों पर कई बार लोग ‘हर्ष फायरिंग’ के दौरान गोली चला देते हैं जिसके लिए उन्हें जीवन भर पछताना पड़ता है। ऐसे ही चंद ताजा दर्दनाक उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 

* 7 अक्तूबर को प्रयागराज के ‘करछना केचुहा’ गांव में एक सगाई समारोह के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा की गई हर्ष फायरिंग के परिणामस्वरूप 3 बच्चे घायल हो गए जिनमें से एक बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई। 
* 18 नवम्बर को संभल (उत्तर प्रदेश) के गांव ‘बसीटा’ में एक विवाह समारोह में चलाई गई गोली से 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए और डी.जे. के शोर में पता ही नहीं चला कि गोली किसने चलाई। 

* 24 नवम्बर को लक्सर (उत्तराखंड) के ‘लालचंद वाला’ गांव में एक विवाह समारोह में किसी व्यक्ति द्वारा खुशी में आकर चलाई गई गोली लग जाने से एक 9 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। 
* और अब 28 नवम्बर को मथुरा के ‘टैंटी’ गांव में एक विवाह समारोह में दूल्हे के मामा द्वारा खुशी के मारे चलाई गई गोली दूल्हे के इंतजार में वरमाला लिए सखियों के साथ खड़ी दुल्हन को जा लगी जिसके परिणामस्वरूप वह गंभीर रूप से घायल हो गई और बारात वापस लौट गई।

‘हर्ष फायरिंग’ के दुष्परिणामों को देखते हुए खुशी के मौकों पर शराब व हथियारों के इस्तेमाल पर सख्ती से प्रतिबंध लागू करने की जरूरत है ताकि खुशी में की फायरिंग से बहने वाला खून लोगों को जीवन भर खून के आंसू रोने के लिए विवश न कर दे। हथियारों के दुरुपयोग को बढ़ावा देने वाले गीतों पर भी प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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