Edited By ,Updated: 10 Apr, 2025 04:54 AM
देश के स्कूलों-कालेजों के छात्रों के लिए उनकी परीक्षा काफी अहम होती है और परीक्षाओं में मिले अंकों के आधार पर ही उनके करियर और भविष्य का निर्धारण होता है।
देश के स्कूलों-कालेजों के छात्रों के लिए उनकी परीक्षा काफी अहम होती है और परीक्षाओं में मिले अंकों के आधार पर ही उनके करियर और भविष्य का निर्धारण होता है। लेकिन मध्य प्रदेश में नर्मदापुर के पिपरिया स्थित भगत सिंह सरकारी कालेज में छात्रों के पेपर एक चपरासी द्वारा चैक किए गए। इस मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद कालेज के प्रिंसिपल ‘राकेश वर्मा’ और प्रोफैसर ‘राम गुलाम पटेल’ को 4 अप्रैल को निलंबित कर दिया गया, जबकि चपरासी ‘पन्ना लाल पठारिया’ और एक अध्यापक ‘खुशबू पगारे’ के खिलाफ जांच शुरू की गई है।
चपरासी द्वारा पेपर चैक करने का यह मामला जनवरी महीने में सोशल मीडिया में एक वीडियो के वायरल होने के बाद सामने आया था। छात्रों ने इस मामले में स्थानीय विधायक ठाकुरदास नागवंशी से संपर्क किया, जो इस मामले को शिक्षा विभाग के संज्ञान में लेकर आए और इसके बाद मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया।
जांच में पता चला कि पेपर चैक करने का कार्य एक गैस्ट टीचर ‘खुशबू पगारे’ को सौंपा गया था और उसने यह कार्य कालेज के बुक लिफ्टर ‘राकेश मेहर’ को सौंप दिया तथा इसके बदले उसे 7,000 रुपए दिए। राकेश ने आगे यह कार्य चपरासी ‘पन्ना लाल पठारिया’ को सौंप दिया और उसे 5,000 रुपए दे दिए।
जांच के दौरान ‘खुशबू पगारे’ ने अपनी सफाई में कहा कि उसकी तबीयत ठीक न होने के कारण उसने यह कार्य राकेश मेहर को दिया था लेकिन उसने यह काम चपरासी को सौंप दिया। इस मामले से सबक लेकर देश के सभी राज्यों के शिक्षा विभागों में पेपर चैक करने की व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी बनानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के मामले सामने न आएं और शिक्षा विभाग की बदनामी न हो।—विजय कुमार