‘नहीं थम रहा भारतीय रेलों के परिचालन में’ ‘अनियमितताओं व लापरवाही का सिलसिला’

Edited By ,Updated: 12 Nov, 2024 05:21 AM

the series of negligence in indian railways is not stopping

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े नैटवर्क में से एक है परंतु कई खामियों के कारण ट्रेनों का परिचालन संतोषजनक नहीं है जो मात्र 5 दिनों की निम्न दुर्घटनाओं से स्पष्टï है :

भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े नैटवर्क में से एक है परंतु कई खामियों के कारण ट्रेनों का परिचालन संतोषजनक नहीं है जो मात्र 5 दिनों की निम्न दुर्घटनाओं से स्पष्ट है : 

* 7 नवम्बर को वाराणसी छावनी (उत्तर प्रदेश) के निकट ‘बिलासपुर-अयोध्या स्पैशल ट्रेन’ के चालक ने उसी ट्रैक पर आ रही ‘स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रैस’ को देख कर ब्रेक लगा दी, जिससे दोनों ट्रेनों की टक्कर तथा भारी प्राणहानि टल गई लेकिन दोनों ट्रेनें एक पटरी पर कैसे आ गईं इसकी जांच होनी चाहिए।

* 9 नवम्बर को हावड़ा (पश्चिम बंगाल) के निकट ‘सिकंदराबाद-शालीमार सुपरफास्ट एक्सप्रैस’ के 3 डिब्बे पटरी से उतर गए।
* 9 नवम्बर को ही बेगूसराय (बिहार) में बरौनी जंक्शन पर ‘बरौनी-लखनऊ एक्सप्रैस’ के इंजन और बोगी को जोडऩे वाला कपलिंग खोल कर अलग करते हुए लोको पायलट द्वारा इंजन चला देने से कपलिंग खोल रहा कर्मचारी बीच में दब कर मारा गया। रेलवे यूनियन के अनुसार यह दुर्घटना स्टाफ की कमी के कारण हुई क्योंकि इस काम के लिए 4 कर्मचारियों की जरूरत होती है परंतु यहां चालक और एक कर्मचारी से ही सारा काम करवाया जा रहा था।

* 10 नवम्बर को पंजाब में गोराया और फगवाड़ा के बीच ‘जयपुर-अजमेर एक्सप्रैस’ के एस-4 कोच की ब्रेक जाम हो जाने से कोच के नीचे आग लग जाने से यात्रियों में हड़कंप मच गया। 
* 10 नवम्बर को ही इटावा (उत्तर प्रदेश) रेलवे स्टेशने के निकट ‘ऊंचाहार एक्सप्रैस’ की एक स्लीपर बोगी से धुआं उठने लगा। निश्चय ही यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है। अत: रेलवे में कुप्रबंधन, स्टाफ की कमी और अन्य खामियां दूर करने की तुरंत आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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