Edited By ,Updated: 26 Oct, 2024 05:07 AM
18 जून, 2023 को कनाडा में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के तीन महीने बाद 18 सितम्बर, 2023 को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा संसद में निज्जर की हत्या के मामले में बिना किसी सबूत के भारत का...
18 जून, 2023 को कनाडा में एक गुरुद्वारे की पार्किंग में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के तीन महीने बाद 18 सितम्बर, 2023 को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा संसद में निज्जर की हत्या के मामले में बिना किसी सबूत के भारत का हाथ होने का आरोप लगाने के बाद से दोनों देशों के बीच शुरू हुआ विवाद इस समय अपने चरम पर है। हालांकि बाद में 16 अक्तूबर, 2024 को जस्टिन ट्रूडो ने स्वयं इस बात को स्वीकार कर लिया कि निज्जर हत्याकांड पर बयान उन्होंने बिना किसी ठोस प्रमाण के दिया था जिस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि :
‘‘कनाडा सरकार ने भारतीय राजनयिकों के विरुद्ध लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में कोई भी सबूत पेश नहीं किया है। इस बर्ताव ने भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुंचाया है उसकी जिम्मेदारी अकेले ट्रूडो की ही है।’’ इस बीच कनाडा के व्यवहार को अत्यंत घटिया बताते हुए वहां से वापस बुलाए गए भारत के उच्चायुक्त संजय वर्मा ने कहा कि : ‘‘ऐसे देश ने, जिसे हम लोकतांत्रिक मित्र देश मानते हैं, भारत की पीठ में छुरा घोंपा और सर्वाधिक गैर पेशेवर रवैया अपनाया है। मुट्ठी भर खालिस्तान समर्थकों ने इस विचारधारा को एक आपराधिक उपक्रम (धंधा) बना दिया है जो मानव तस्करी और हथियार तस्करी जैसी अनेक गतिविधियों में लिप्त हैं। इस सबके बावजूद कनाडा के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि ऐसे कट्टïरपंथी स्थानीय नेताओं के लिए वोट बैंक होते हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा है कि ‘‘कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए भारत की ओर से भेजे गए 26 अनुरोधों में से केवल पांच का समाधान किया है और बाकी अब भी अधर में हैं।’’ प्रेक्षकों के अनुसार प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को इस समय देश में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आवास की समस्या और बेकाबू महंगाई के कारण जहां लोगों की जस्टिन ट्रूडो के विरुद्ध नाराजगी बढ़ रही है, वहीं पार्टी में भी उनके विरुद्ध असंतोष बढ़ रहा है। इन्हीं कारणों से ट्रूडो की ‘लिबरल पार्टी’ की लोकप्रियता पिछले कुछ समय के दौरान तेजी से घटी है तथा कंजर्वेटिव पार्टी के 42.5 प्रतिशत की तुलना में घट कर 23.2 प्रतिशत रह गई है। लिहाजा इस समय ट्रूडो अपनी खोई हुई लोकप्रियता को वापस पाने के लिए कनाडा की मुस्लिम और सिख आबादी को साधने की कोशिश में हैं।
2021 की जनगणना के अनुसार कनाडा की 3.9 करोड़ से अधिक की जनसंख्या में 8.30 लाख हिन्दू, 7.70 लाख सिख और 18 लाख के लगभग मुसलमान हैं। मुस्लिम आबादी में से अधिकांश का संबंध पाकिस्तान से है। अतीत का अनुभव बताता है कि कनाडा में जब कोई पार्टी मुसलमानों के साथ सिख वोट बैंक को साध लेती है तो चुनाव में उसकी जीत की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो मुसलमान व सिख मतदाताओं के वोट साधने के लिए भारत विरोधी रवैया अपनाए हुए हैं।
कनाडा में विदेशी छात्रों का शोषण जोरों पर है। उन्हें न्यूनतम से भी कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है। बेरोजगारी के कारण एक-एक पद पर नौकरी पाने के लिए 1000 से 1500 तक लोग पहुंच रहे हैं।
किसी समय कनाडा अपनी कठोर कानून व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध था जिसका आज वहां भट्ठा बैठ चुका है। नशा बेहद बढ़ जाने के कारण अपराध जोरों पर हैं। डिप्रैशन के कारण युवाओं मेें ड्रग्स का सेवन अत्यंत बढ़ गया है। इस तरह के हालात के बीच जस्टिन ट्रूडो की ‘लिबरल पार्टी’ के 24 नाराज सांसदों ने ट्रूडो को अगले वर्ष चुनावों से पूर्व प्रधानमंत्री पद छोडऩे के लिए 28 अक्तूबर तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि या तो वह पद छोड़ दें या विद्रोह का सामना करने के लिए तैयार रहें। इसके लिए उन्होंने एक मांग-पत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं। उक्त घटनाक्रम से स्पष्टï है कि अपनी नीतियों के कारण ट्रूडो ने भारत जैसे देश के साथ अनावश्यक विवाद पैदा करके आने वाले चुनावों में अपनी संभावित हार की तरफ भी कदम बढ़ा दिया है।—विजय कुमार