ढाबे-होटल वालों को पहचान बताने का उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकारों का बेतुका आदेश

Edited By ,Updated: 22 Jul, 2024 05:17 AM

up government s absurd order to dhaba hotel owners to reveal their identity

भगवान शिव के भक्त प्रति वर्ष सावन के महीने में पवित्र कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। इस वर्ष यह पवित्र यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है। इसमें कांवडिय़ों की सुविधा व सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। चूंकि...

भगवान शिव के भक्त प्रति वर्ष सावन के महीने में पवित्र कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। इस वर्ष यह पवित्र यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है। इसमें कांवडिय़ों की सुविधा व सुरक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। चूंकि अधिकांश भक्त इन दोनों राज्यों से कांवड़ लेकर गुजरते हैं, अत: सरकार भक्तों की सुविधा के लिए हर प्रबंध करती है। परंतु इस बार की कांवड़ यात्रा इस संबंध में जारी एक विशेष आदेश के कारण चर्चा में आ गई है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर ‘नेम प्लेट’ लगाने का आदेश दिया है। इसके अनुसार हर हाल में दुकानों पर संचालक मालिक का नाम लिखना तथा मालिक को अपनी पहचान के बारे में बताना होगा। राज्य सरकार के अनुसार यह फैसला कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए है। अब तक यह फैसला मुजफ्फरनगर जिले तक ही सीमित था लेकिन अब राज्य सरकार के आदेश पर पूरे राज्य में लागू होगा। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने भी  राज्य में दुकानों और ढाबा संचालकों से अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर लिखने को कह दिया है। 

अब इस पर राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति भी शुरू हो गई है और योगी आदित्यनाथ की पहल से लिए गए इस फैसले को केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग सरकार के लिए परेशानी बढ़ाने वाला माना जा रहा है। भाजपा के विरोधी दलों के साथ-साथ भाजपा गठबंधन में शामिल दलों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है, भले ही यह धीमे स्वर में है। उधर केंद्रीय मंत्री तथा लोक जन शक्ति पार्टी (राम विलास) के सुप्रीमो चिराग पासवान ने कहा है कि, ‘‘मेरी लड़ाई जातिवाद और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध है। अत: जहां कहीं भी जातीय और धर्म के विभाजन की बात होगी, मैं उसका कभी भी समर्थन नहीं करूंगा।’’  वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने पहले तो योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए और इसे छुआछूत को बढ़ावा देने वाला बताया था परंतु बाद में अपने बयान से पलटते हुए उन्होंने कहा कि,‘‘राज्य सरकार के आदेश से साफ है कि यह फैसला कांवडिय़ों की आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।’’ 

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस फैसले को सामाजिक अपराध करार दिया है जबकि ‘आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री योगी में हिटलर की रूह समा गई है। दूसरी ओर ‘आल इंडिया मुस्लिम जमात’ के  राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुख्यमंत्री योगी के फैसले का समर्थन किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर लिखा है कि, ‘‘उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों का चुनावी लाभ के लिए यह आदेश पूर्णत: असंवैधानिक है और धर्म विशेष लोगों का इस प्रकार आॢथक बहिष्कार करने का प्रयास अति निंदनीय है।’’बहरहाल उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री कपिल देव अग्रवाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में आगे आए हैं और उन्होंने कहा है कि, ‘‘कांवड़ मेले में जो मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू देवी-देवताओं के नाम पर अपनी दुकान चलाते हैं वो ऐसा न करें क्योंकि इससे विवाद पैदा हो सकता है।’’ तो यह माना जाए कि रमजान में भी मांस बेचने वालों को अपना नाम बताना होगा क्योंकि 7 सबसे बड़ी मीट बेचने वाली एक्सपोर्ट करने वाली कम्पनियां हैं जिनका नाम तो मुस्लिम है पर वो हैं सब हिंदुओं की। 

इस आदेश का मतलब तो यही है कि कांवड़ यात्री सामान उसी से खरीदेंगे जो हिन्दू है। यह तो स्पष्ट ही है कि उक्त आदेश हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने का ही कारण बनेगा। शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, गुलाब का नाम चाहे जो भी रख दें वह अच्छी ही महक बिखेरेगा। परंतु लगता है कि अब यह बात नहीं रही है और यदि फल बेचने वाले के नाम के आगे मुस्लिम लगा होगा तो क्या वह हिन्दुओं के खाने के योग्य नहीं रहेगा। यू.पी. के इस बार के आम चुनावों में यह पाया गया कि मतदाताओं ने जाति के आधार पर वोट दिया तो क्या अब आने वाले 10 विधानसभा की सीटों के उपचुनाव धर्म के नाम पर होंगे। अब इस कदम से मतदाताओं के धर्म के आधार पर विभाजित होने का अंदेशा पैदा हो जाएगा। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड से निकलने वाली कांवड़ यात्राओं से तो अधिक बड़ी यात्राएं बिहार में निकलती हैं परंतु उन्होंने तो कभी इस तरह की कोई आपत्ति नहीं की और उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड में कोई अन्य मुद्दा न होने के कारण यह मुद्दा उठाया जा रहा है ताकि धर्म के आधार पर मतदाताओं को बांट कर वोट लिए जा सकें। 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!