Edited By ,Updated: 06 Jul, 2024 05:04 AM
इंगलैंड के चुनाव में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को बुरी तरह हरा कर लेबर पार्टी ने अपनी 1997 की ऐतिहासिक जीत दोहराते हुए 14 वर्ष के बाद इंगलैंड की सत्ता में वापसी कर ली और 5 जुलाई को लेबर पार्टी के नेता ‘कीर स्टार्मर’ बकिंघम पैलेस में...
इंगलैंड के चुनाव में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को बुरी तरह हरा कर लेबर पार्टी ने अपनी 1997 की ऐतिहासिक जीत दोहराते हुए 14 वर्ष के बाद इंगलैंड की सत्ता में वापसी कर ली और 5 जुलाई को लेबर पार्टी के नेता ‘कीर स्टार्मर’ बकिंघम पैलेस में महाराजा चाल्र्स तृतीय से भेंट के बाद आधिकारिक रूप से इंगलैंड के नए प्रधानमंत्री बन गए। इससे पूर्व ऋषि सुनक ने इन चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बीच अपने त्यागपत्र की घोषणा और इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए मतदाताओं से कहा,‘‘मुझे माफ कर दीजिए।’’
प्रेक्षकों के अनुसार कंजर्वेटिव पार्टी की इतनी बड़ी हार के पीछे अन्य कारणों के अलावा एक कारण यह भी था कि यह पिछले 14 वर्षों से सरकार चला रही थी और जनता इससे ऊब चुकी थी। कंजर्वेटिव पार्टी के नेताओं की गलतियों का भी इसमें योगदान रहा। कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार पर कोविड-19 से निपटने के तरीकों पर भी सवाल उठे। तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (24 जुलाई, 2019 से 6 सितम्बर, 2022) तथा उनकी सरकार के मंत्रियों ने लॉकडाऊन के नियमों का उल्लंघन किया जिस कारण बोरिस जॉनसन को त्यागपत्र देना पड़ा। उनके बाद प्रधानमंत्री बनीं लिज ट्रस (6 सितम्बर, 2022 से 25 अक्तूबर, 2022) की आॢथक नीतियां तो इतनी खराब थीं कि वह केवल 50 दिन ही प्रधानमंत्री रह सकीं। फिर भारतीय मूल के ऋषि सुनक (25 अक्तूबर, 2022 से 5 जुलाई,2024) ने सत्ता संभाली और उनकी सरकार अपने समूचे कार्यकाल के दौरान आर्थिक तंगी, महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से जूझती रही। इंगलैंड में रहने वाले भारतीय मूल के लोग भी उनसे नाराज थे।
ऋषि सुनक इंगलैंड की आर्थिक स्थिति सुधारने और महंगाई कम करने में पूरी तरह विफल रहे। उनके शासनकाल में एन.आर.आई. टैक्स सहित विभिन्न टैक्सों और रहन-सहन के खर्च में लगातार वृद्धि होती रही और लोगों ने सुनक की बात सुननी बंद कर दी। कंजर्वेटिव पार्टी जहां देश में आवास की समस्या से निपटने में विफल रही और इंगलैंड में हाऊसिंग एक बड़ी समस्या के साथ-साथ इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनी थी, वहीं लेबर पार्टी ने इस मुद्दे को अपने चुनाव प्रचार के दौरान भुनाया और अपनी हाऊसिंग स्कीम के अंतर्गत लाखों नए मकान बनाने की योजना की घोषणा की। और अब नए प्रधानमंत्री ‘कीर स्टार्मर’ ने कहा, ‘‘हमने कर दिखाया। बदलाव अब शुरू होता है और यह अच्छा लगता है। मुझे ईमानदार होना चाहिए।’’
उल्लेखनीय है कि 2019 में जब जर्मी कोॢबन लेबर पार्टी के नेता थे तो उन्होंने यह कह कर विवाद पैदा कर दिया था कि ‘‘कश्मीर में मानवीय संकट पैदा हो गया है और उसे आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए।’’ भारत ने इसका विरोध किया था और तब ‘कीर स्टार्मर’ ने यह कह कर मामला शांत किया था कि ‘‘ यह भारत-पाकिस्तान का आपसी मामला है।’’‘कीर स्टार्मर’ ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने का वादा किया है। लेबर पार्टी के पूर्व सांसद वीरेंद्र शर्मा का कहना है कि ‘‘कीर स्टार्मर के राज में भारत तथा ब्रिटेन के संबंध खूब फले-फूलेंगे। स्टार्मर एक संतुलित और व्यावहारिक नेता हैं और वे दोनों देशों के रिश्ते में सुधार को यकीनी बनाएंगे।’’
‘कीर स्टार्मर’ अतीत में भारत के साथ नई रणनीतिक सांझेदारी बनाने का दावा करते आए हैं। कुछ ही समय पूर्व उन्होंने अपने एक भाषण में मुक्त व्यापार समझौते को केंद्र में रखते हुए भारत के साथ लोकतंत्र के सांझे मूल्यों पर आधारित संबंध कायम करने की बात कही थी। यहां यह बात भी दिलचस्प है कि कंजर्वेटिव पार्टी के अधिकांश नेता खुले दिल से इस बात के लिए ‘कीर स्टार्मर’ की प्रशंसा कर रहे हैं कि उन्होंने लेबर पार्टी को पूरी तरह बदल दिया है, इसीलिए वह विजयी हुई है। आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा कि इंगलैंड की नई सरकार अपने देश के अंदरूनी हालात व विदेश नीति में कितना बदलाव ला पाती है और भारत के साथ इसके रिश्ते पहले की तुलना में कितना आगे बढ़ते हैं।—विजय कुमार