Edited By ,Updated: 19 Oct, 2024 04:54 AM
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस्लामाबाद में ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (एस.सी.ओ.) की बैठक के दौरान पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार का नाम लिए बिना उसे खरी-खरी सुनाते हुए नसीहत दी कि‘‘व्यापार तथा आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते।’’
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस्लामाबाद में ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (एस.सी.ओ.) की बैठक के दौरान पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार का नाम लिए बिना उसे खरी-खरी सुनाते हुए नसीहत दी कि‘‘व्यापार तथा आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते।’’ इसी दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बड़े भाई तथा देश के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर भारत के साथ संबंध बहाल करने की जरूरत पर बल दिया है। लगभग एक वर्ष पहले भी नवाज शरीफ भारत के साथ बिगड़े हुए रिश्ते सुधारने की बात कह चुके हैं। भारतीय पत्रकारों से बातचीत में नवाज शरीफ ने बलपूर्वक कहा, ‘‘एस. जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा एक अच्छी शुरूआत और बेहतर पहल थी। अब दोनों ही देशों को यहां से आगे की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।’’
पाकिस्तानी पंजाब की मुख्यमंत्री और अपनी बेटी मरियम शरीफ के लाहौर स्थित कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान नवाज शरीफ बोले, ‘‘बात जो है ऐसे ही (आगे) बढ़ती है...बात खत्म नहीं होनी चाहिए... अच्छा होता अगर मोदी साहब खुद तशरीफ लाते। हमने जहां से बात छोड़ी थी, वहीं से हमें शुरूआत करनी चाहिए।’’ श्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिसम्बर, 2015 में अचानक पाकिस्तान यात्रा के अवसर पर उनके साथ हुई अपनी मुलाकात का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमने 75 वर्ष गंवा दिए हैं लिहाजा अब (हमें) अगले 75 वर्षों के बारे में सोचना चाहिए।’’
कारगिल युद्ध और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा नरेंद्र मोदी से भेंट के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों द्वारा हमलों का उल्लेख करते हुए नवाज शरीफ ने कहा, ‘‘मैंने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की परंतु उन्हें बार-बार तारपीडो किया गया।’’‘‘हम पड़ोसी हैं। हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते...हमें अतीत का रोना छोड़ कर भविष्य की ओर देखना चाहिए। दोनों पक्षों के गिले-शिकवे हैं। हमें आपस में बैठ कर हर चीज पर गंभीरतापूर्वक सोचना चाहिए।’’ उन्होंने दोनों देशों के बीच संभावित पारस्परिक सहयोग के लिए व्यापार, निवेश, उद्योग और पर्यटन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘वाजपेयी की लाहौर यात्रा आज भी बड़ी मोहब्बत से याद की जाती है। उनका भाषण बहुत अच्छा था। कभी-कभी मैं उनकी अच्छी यादें ताजा करने के लिए उनकी यात्रा के वीडियो देखता व भाषण सुनता हूं।’’ 2015 में नरेंद्र मोदी की अचानक लाहौर यात्रा के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मोदी की यात्रा एक सुखद आश्चर्य थी। उन्होंने काबुल से मुझे फोन करके मुझसे मिलने की इच्छा व्यक्त की। वह मेरे घर आए, मेरी मां और पत्नी से मिले। यह कोई छोटी बात नहीं थी। ऐसी बातें भुलानी नहीं चाहिएं।’’
दोनों देशों के बीच रेल और बस सेवा शुरू करने बारे पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘क्यों नहीं। भारत और पाकिस्तान एक ही तो थे। मेरे पिता के पासपोर्ट पर उनका जन्म स्थान अमृतसर, इंडिया लिखा हुआ है। दोनों देशों की सांझी भाषा, परम्पराएं, भोजन और रस्मो-रिवाज हैं। तो फिर फर्क क्या है? रिश्तों में लम्बे ठहराव पर मैं खुश नहीं हूं। लोगों के स्तर पर आपसी रिश्ते बहुत अच्छे हैं...राजनीतिक स्तर पर सोच बदलनी होगी।’’ ‘‘वाजपेयी से मोदी तक हमारे रिश्तों की संभावनाएं बहुत अच्छी रही हैं, मैं भारत के साथ संबंधों के बारे में अत्यंत सकारात्मकता से सोचता हूं। हम चाहेंगे कि नरेंद्र मोदी दोबारा औपचारिक रूप से पाकिस्तान आएं।’’ यह पूछने पर कि ‘‘क्या अगले महीने अजरबैजान में होने वाली यू.एन. ‘क्लाईमेट चेंज कान्फ्रैंस’ की बैठक में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों को आपस में मिलना चाहिए, उन्होंने ‘हां’ में उत्तर देते हुए कहा, ‘‘पिछले 75 वर्षों में हमने बहुत कुछ गंवा दिया लेकिन पाया कुछ भी नहीं।’’
इस बातचीत के दौरान जहां नवाज शरीफ के पास बैठी मरियम नवाज ने भी भारत (पंजाब) आने की इच्छा जताई, वहीं नवाज शरीफ ने कहा, ‘‘मरियम दिल्ली, चेन्नई और लखनऊ भी जाएगी।’’ भारतीय पत्रकारों से बातचीत में नवाज शरीफ ने जिस भूल को स्वीकार किया है, अब उसे सुधारने का समय आ गया है क्योंकि अच्छा काम शुरू करने के लिए कोई भी समय ‘बुरा’ नहीं होता। मगर जो बातें नवाज शरीफ ने भारतीय पत्रकारों से कही हैं, वही बातें उन्हें अपने भाई (शहबाज शरीफ) को समझाने की जरूरत है क्योंकि अभी भी पाकिस्तान की ओर से भारत में ङ्क्षहसा के लिए तबाही का सामान तथा आतंकवादियों को भेजना जारी है। —विजय कुमार