Edited By ,Updated: 01 Jun, 2024 05:08 AM
आज लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की 8 राज्यों में 57 सीटों पर मतदान होने जा रहा है। इनमें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की 1, पंजाब की सभी 13, हिमाचल प्रदेश की 4, उत्तर प्रदेश की 13, पश्चिम बंगाल की 9, बिहार की 8, ओडिशा की 6 और झारखंड की 3 सीटें...
आज लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण की 8 राज्यों में 57 सीटों पर मतदान होने जा रहा है। इनमें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की 1, पंजाब की सभी 13, हिमाचल प्रदेश की 4, उत्तर प्रदेश की 13, पश्चिम बंगाल की 9, बिहार की 8, ओडिशा की 6 और झारखंड की 3 सीटें शामिल हैं। इससे पहले के 6 चरणों में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 486 सीटों पर मतदान सम्पन्न हो चुका है।
इन चुनावों के दौरान सभी दलों ने अपना पूरा जोर लगा दिया। 30 मई को शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम जाने के बाद जहां भारी गर्मी में चुनावी सरगर्मियों में व्यस्त नेताओं के शरीर और गले को कुछ आराम मिलेगा, वहीं आम लोगों को नेताओं के भाषणों में आरोप-प्रत्यारोप, मर्यादाहीन बयानबाजी और चुनावी शोर, मीडिया को नेताओं की ताबड़-तोड़ चुनावी रैलियों और भाषणों की कवरेज से, सुरक्षा कर्मियों को चुनावी उम्मीदवारों और नेताओं के पीछे भागदौड़ से राहत मिली है।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई शाम को होशियारपुर में अपनी अंतिम चुनावी सभा को सम्बोधित करने के बाद कन्याकुमारी के प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मैमोरियल पर पहुंच कर 45 घंटे चलने वाली अपनी ध्यान-साधना शुरू कर दी है। अब यह तो वही जानते होंगे कि वह वहां प्रार्थना द्वारा अपनी आस्था प्रकट करने गए हैं या प्रभु से कुछ मांगने! अन्य सब नेतागण भी अब अपने-अपने तरीके से पिछले 75 दिनों की थकान मिटाएंगे। आज शाम संभावित परिणामों सम्बन्धी लोगों की जिज्ञासा शांत करने के लिए टी.वी. चैनलों तथा मीडिया में ‘एग्जिट पोल’ का सिलसिला शुरू हो जाएगा।
सभी चैनल अपने-अपने हिसाब से संभावित परिणाम बताएंगे और चुनावी उम्मीदवारों तथा उनके समर्थकों और वर्करों के साथ-साथ आम लोगों का 4 जून को घोषित होने वाले आधिकारिक परिणामों का इंतजार शुरू हो जाएगा। इस बीच मंदिर, गुरुद्वारों, मस्जिदों, गिरजाघरों आदि में उम्मीदवारों आदि द्वारा प्रार्थनाओं का सिलसिला भी जारी रहेगा। 4 जून को चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा के बाद आगे की सरगर्मी के लिए स्वयं को ताजा दम करके चुनाव में विजयी प्रत्याशी जुलूस निकालेंगे और पराजित उम्मीदवार तथा उनके संगी-साथी एक-दूसरे को दिलासा देते हुए अपना दुख बांटने की कोशिश करेंगे।
परिणामों की आधिकारिक घोषणा और सरकार के गठन के बाद लोग यह लेखा-जोखा भी करेंगे कि चुनाव प्रचार के दौरान जो भी मिला उस के अलावा अब नई सरकार उन्हें क्या देने जा रही है या जो लोक लुभावन वायदे विभिन्न दलों के घोषणापत्रों में उनके नेताओं ने किए थे, वे केवल जुबानी जमा-खर्च ही थे या उन्हें अमलीजामा पहनाने की कोई कोशिश भी की जाएगी। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि इन चुनावों के दौरान मीडिया तो नियंत्रण में रहा परंतु आनलाइन सोशल मीडिया पर अनेक फेक वीडियो और इंटरव्यू आदि प्रसारित होते रहे, जिनसे भ्रांतियां भी पैदा हुईं, अत: भविष्य में इस पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
इस वर्ष मतदान का प्रतिशत देश के अधिकांश भागों में भारी गर्मी के कारण पिछले चुनावों की तुलना में कम रहा। गर्मी के कारण बड़ी संख्या में लोग मतदान करने के लिए घरों से बाहर ही नहीं निकले, वहीं मतदान करने आए लोगों को भारी परेशानी हुई। कुछ लोगों के बीमार होने और मौत की भी खबर है। अत: लोगों का कहना है कि जरूरी नहीं है कि चुनाव मई-जून में ही करवाए जाएं। ये फरवरी से अप्रैल या सितम्बर-अक्तूबर के बीच भी करवाए जा सकते हैं जब मौसम कुछ ठीक होता है।
जो भी हो, स्वतंत्रता के अब तक के 77 वर्ष के सफर में देश आगे बढ़ रहा है और यहां शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता परिवर्तन होता आ रहा है। देश ने विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की भी की है लेकिन इसके साथ ही यहां बेरोजगारी बढ़ गई है। कानून व्यवस्था ठप्प होने के कारण लूट-खसूट जारी है। सड़क और रेल दुर्घटनाओं में लोगों की मौतें भी हो रही हैं। इस हालत में हमारी तो बस एक ही प्रार्थना है कि जो भी पार्टी सत्ता में आए कुछ कर जाए और आप भी मतदान अवश्य करें क्योंकि लोकतंत्र के महापर्व की यह सबसे बड़ी रस्म है। जय भारत...मेरा भारत महान...जीवे हिंदुस्तान।—विजय कुमार