Edited By ,Updated: 13 Jul, 2024 05:17 AM
1971 के ‘मुक्ति संग्राम’ में पाकिस्तान की हार के बाद अस्तित्व में आए बंगलादेश में भी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा पाकिस्तान की भांति ही अल्पसंख्यक हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों तथा अन्य अल्पसंख्यकों पर हिंसा जारी है। स्थिति की गंभीरता का अनुमान पिछले लगभग 5...
1971 के ‘मुक्ति संग्राम’ में पाकिस्तान की हार के बाद अस्तित्व में आए बंगलादेश में भी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा पाकिस्तान की भांति ही अल्पसंख्यक हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों तथा अन्य अल्पसंख्यकों पर हिंसा जारी है। स्थिति की गंभीरता का अनुमान पिछले लगभग 5 महीनों के दौरान सामने आई निम्न घटनाओं से लगाया जा सकता है :
* 16 फरवरी, 2024 को ‘ब्राह्मणबारिया’ जिले के ‘पाइकपारा’ इलाके में कुछ बदमाशों ने सरस्वती पूजा पंडाल पर हमला करके मूर्ति को तोड़ दिया तथा शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
* इसी दिन ‘दिनाजपुर’ जिले में एक विश्वविद्यालय में कुछ मुस्लिम छात्रों ने सरस्वती पूजा के मंडप में तोडफ़ोड़ की तथा एक अन्य घटना में ‘पिरोजपुर’ जिले में कुछ उपद्रवियों ने हिंदुओं के कई मकानों को आग लगा दी।
* 8 फरवरी को ‘मौलवी बाजार’ शहर में स्थित काली मंदिर की मूर्तियां तोड़ी गईं और आभूषण चुरा लिए गए।
* 3 मार्च को कट्टरपंथी तत्व गोपालगंज में एक महिला पुजारी की हत्या करने के बाद देवी के मंदिर से सोना और गहने लूट कर ले गए।
* 22 मार्च को ‘सिराजगंज’ में उपद्रवी तत्वों द्वारा ‘काली मंदिर’ पर हमला करके कई मूर्तियां तोड़ दी गईं।
* 17 अप्रैल को ‘बरीसल’ में ‘राधा-गोबिंद सेवाश्रम मंदिर’ पर हमला करके तोड़-फोड़ की गई।
* 23 अप्रैल को ढाका के निकट ‘फरीदपुर’ के ‘पंचपल्ली काली मंदिर’ में उपद्रवी तत्वों ने देवी की साड़ी में आग लगा दी।
* 21 मई को ‘मागुरा’ शहर में स्थित मंदिर में तोडफ़ोड़ करने के बाद मंदिर तथा कुछ मकानों को आग लगाकर जला दिया गया।
* 26 मई को एक हिन्दू छात्र उत्सव कुमार ‘ज्ञान’ को ईश निंदा के आरोप में मुस्लिम भीड़ ने पकड़ कर बेरहमी से पीटा जिससे वह बेहोश हो गया।
* 10 जुलाई को हिन्दुओं पर हमले की नवीनतम घटना राजधानी ढाका की हिन्दू बहुल ‘मीरांजिला कालोनी’ में हुई जहां सत्तारूढ़ अवामी लीग के गुंडों ने हिन्दुओं के अनेक मकानों और मंदिर को क्षति पहुंचाने के अलावा कालोनी में रहने वाले हिन्दुओं पर हमला करके 60 से अधिक लोगों को घायल कर दिया जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है।
उपद्रवी तत्वों ने यह हमला उस समय किया जब अल्पसंख्यक हिन्दुओं के पुनर्वास के लिए ढाका में बनाई गई समिति के सदस्यों ने कालोनी का दौरा किया। इसका विरोध कर रहे स्थानीय मुसलमानों के एक वर्ग ने हिन्दुओं पर जबरदस्त पत्थरबाजी शुरू कर दी और उनके मकानों तथा मंदिर को तहस-नहस कर दिया। बंगलादेश में इसी वर्ष 7 जनवरी को हुए आम चुनावों के बाद वहां रहने वाले हिन्दुओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ को वोट दिया था ताकि वे देश में सुरक्षित और शांतिपूर्वक रह सकें। परंतु शेख हसीना सरकार अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने में नाकाम रही है। अल्पसंख्यक संगठनों का दावा है कि उनके सदस्यों पर हर माह कम से कम 3 हमले हो रहे हैं। यही नहीं, इसी वर्ष 24 जनवरी से बंगलादेश में कुछ एक्टीविस्ट समूहों व विरोधी दलों द्वारा ‘इंडिया आऊट’ अभियान भी शुरू करके भारतीय वस्तुओं के बहिष्कार तथा हिन्दू और मुसलमानों के संबंध बिगाडऩे की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं।
इस तरह के हालात के बीच बंगलादेश में हिंदुओं की आबादी घट रही है। अमरीका की ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट’ के अनुसार 2022 में देश की 165.7 मिलियन आबादी में 91 प्रतिशत मुस्लिम तथा 9 प्रतिशत हिंदू रह गए हैं जबकि 2011 में 89 प्रतिशत मुस्लिम तथा 10 प्रतिशत हिंदू थे। भारत सरकार को यह मामला गंभीरता पूर्वक बंगलादेश की शेख हसीना सरकार के सामने उठाना चाहिए जिसके साथ हमारे अच्छे सम्बन्ध हैं। मुस्लिम देश होने के बावजूद बंगलादेश के लोगों पर अविभाजित भारत की बंगला संस्कृति का प्रभाव है तथा इस देश ने अनेक राष्ट्र भक्त और क्रांतिकारी व देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण क्रांतिकारी कवि और साहित्यकार दिए हैं। ऐसे में बंगलादेश में उग्रवादी तत्वों का उभार चिंता का विषय है। यदि इस पर रोक न लगाई गई तो बंगलादेश में चरमपंथी तत्वों के उभरने से वहां का सामाजिक ताना-बाना भी और बिगड़ेगा।—विजय कुमार