नई सोच की सवारी: पंजाब, हिमाचल प्रदेश के ट्रक ड्राइवरों के साथ इलेक्ट्रिक ट्रकों के बारे में बातचीत

Updated: 11 Jun, 2024 02:16 PM

nayi soch nayi sawari awareness initiative about electric trucks

क्लाइमेट ट्रेंड्स की 2023 की रिपोर्ट ने इस बात को दर्शाया है कि वायु प्रदूषण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनसाधारण के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

नई दिल्ली। क्लाइमेट ट्रेंड्स की 2023 की रिपोर्ट ने इस बात को दर्शाया है कि वायु प्रदूषण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जनसाधारण के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। बहुत से सर्वेक्षणों ने पूरे देश में महीन कण वाले पदार्थ (पी.एम. 2.5) के बढ़े हुए स्तर को भी उजागर किया है, जो इस बात को दर्शाता है कि वायु की बिगड़ती गुणवत्ता केवल विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक समस्या है।

 

ईवीएज मोटर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, इंद्रवीर सिंह कहते हैं, "वाहनों से होनेवाले कुल उत्सर्जन में व्यावसायिक वाहनों का योगदान 50% से अधिक है। ट्रक हर दिन लगभग 18 से 20 घंटे सड़क पर रहते हैं, लाखों गैलन ईंधन की खपत कर लेते हैं और जहरीली गैसों का उत्सर्जन करते हैं जो न केवल आज पृथ्वी पर बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों पर भी असर डाल रहे हैं।"

 

सिंह जैसे पंजाब के बहुत से ड्राइवर अक्सर हिमाचल प्रदेश के रास्तों की यात्रा करते हैं। ठाकुर वीर सिंह पिछले पचास सालों से उत्तरी भारत में ट्रक चला रहे हैं और उनका मानना है कि इस मुद्दे पर ज़मीनी स्तर के हितधारकों के साथ बात-चीत करना लाभदायक साबित हो सकता है। हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी होने के नाते सिंह कहते हैं, "इलेक्ट्रिक ट्रक बेहतरीन वाहन होते हैं। वे हवा को बिल्कुल भी प्रदूषित नहीं करते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। उनकी बैटरी का आकार ढोए जाने वाले वज़न और ट्रक की दूसरी ज़रूरतों पर निर्भर करता है। ट्रक जितना अधिक भार लेकर चलेगा, बैटरी उतनी ही बड़ी होगी। मैंने हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ से लेह तक इलेक्ट्रिक बसों को आराम से चलते हुए देखा है। मैंने पिछले दस सालों में इन वाहनों को यात्रियों या ड्राइवरों के लिए कोई परेशानी पैदा करते हुए नहीं देखा है।"

 

इलेक्ट्रिक ट्रकों के बारे में बढ़ती हुई जागरूकता का श्रेय 'नई सोच की सवारी' को जाता है। यह प्रयास अब तक काफी सफल रहा है, जिसमें भारत के अनेक राज्यों के ट्रक वालों के समुदाय के लगभग 2,000 सदस्य शामिल हुए हैं। यह पहल अब अमृतसर, लुधियाना, पटियाला और जालंधर में होने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से पंजाब के ट्रक वालों के समुदाय तक पहुँच रही है, जहाँ बात-चीत की एक प्रमुख रणनीति 'चाय पर चर्चा' - ढाबों पर चाय के लिए रुकने के दौरान अनौपचारिक बातचीत करने की प्रक्रिया है। इसके अलावा, ड्राइवरों को 'साँप और सीढ़ी' के एक पूर्ण आकार के संस्करण से परिचित कराया जाता है, जिससे उन्हें संधारणीय विकल्प अपनाकर पर्यावरण की मुश्किलों से निपटने में मदद मिलती है, साथ ही ट्रक के कलाकारों के लिए कला वाली प्रतियोगितायें भी आयोजित की जाती हैं। YouTube चैनल 'EV OK please' पर जागरूकता के एनिमेटेड वीडियो भी उपलब्ध हैं।

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!