100 दिन सरकार के मगर कोई फर्क नहीं

Edited By ,Updated: 08 Sep, 2024 05:42 AM

100 days of government but no difference

मुझे बहुत खुशी हुई कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण अंग्रेजी में पढ़ पाया, इसके लिए इकोनॉमिक टाइम्स का शुक्रिया। उन्होंने हिंदी में बात की और मुझे लगता है कि अनुवाद सटीक था। मोदी ने अपनी सरकार को बधाई दी और वल्र्ड लीडर्स फोरम को बताया...

मुझे बहुत खुशी हुई कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण अंग्रेजी में पढ़ पाया, इसके लिए इकोनॉमिक टाइम्स का शुक्रिया। उन्होंने हिंदी में बात की और मुझे लगता है कि अनुवाद सटीक था। मोदी ने अपनी सरकार को बधाई दी और वल्र्ड लीडर्स फोरम को बताया कि पिछले 10 वर्षों में ‘हमारी अर्थव्यवस्था लगभग 90 प्रतिशत तक बढ़ गई है’। यह सराहनीय है अगर यह सही था। मेरे पास जो संख्याएं हैं, वे हैं-
वर्ष                              स्थिर कीमतों पर जी.डी.पी.
31 मार्च 2014 को          98,01,370 करोड़ रुपए
31 मार्च 2024 को         173,81,722 करोड़ रुपए

वृद्धि 74,88,911 करोड़ रुपए थी और विकास कारक 1.7734 या 77.34 प्रतिशत की वृद्धि दर है। एक विकासशील देश के लिए यह भी अच्छा है। बेशक, किसी को उदारीकरण के बाद से पिछले 2 दशकों की दरों के साथ उस दर की तुलना करनी चाहिए। 

1991-92 और 2003-04 (13 वर्ष) के बीच जी.डी.पी. (अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधि) का आकार दोगुना हो गया। फिर, 2004-05 और 2013-14 (यू.पी.ए. के 10 वर्ष) के बीच जी.डी.पी. का आकार दोगुना हो गया। मैंने अनुमान लगाया था कि मोदी के 10 वर्षों में जी.डी.पी. दोगुनी नहीं होगी और संसद में भी यही कहा था। प्रधानमंत्री ने अब इसकी पुष्टि की है। भारत की अर्थव्यवस्था वास्तव में बढ़ी है, लेकिन हम और बेहतर कर सकते थे। 

बेरोजगारी-हाथी : अपने भाषण में, प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘...आज, भारत के लोग नए आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।’’ कुछ दिन पहले ही हमने खबरें देखीं कि 395,000 उम्मीदवारों ने हरियाणा सरकार में 15,000 रुपए प्रति माह के वेतन पर अनुबंध के आधार पर सफाई कर्मचारी के पद के लिए आवेदन किया था, जिसमें 6,112 स्नातकोत्तर, 39,990 स्नातक और 117,144 ऐसे उम्मीदवार शामिल थे जिन्होंने कक्षा 12 तक पढ़ाई की थी। निश्चित रूप से, यह ‘नए आत्मविश्वास’ का संकेत नहीं है। मुझे पता है कि ऐसे समर्थक भी हैं जो इस कहानी की व्याख्या इस तरह से करेंगे कि पहले से ही नौकरी कर रहे लोग सरकारी नौकरी की सुरक्षा चाहते हैं! मैं उनकी कल्पना को तोडऩा नहीं चाहता। 

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ‘भारत के महत्वाकांक्षी युवाओं और महिलाओं ने निरंतरता, राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए मतदान किया है।’ कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि वोट इसके विपरीत था। वोट बदलाव, संवैधानिक शासन और समानता के साथ विकास के लिए था। लक्ष्यों के 2 सैट एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। निरंतरता बनाम बदलाव, राजनीतिक स्थिरता बनाम संवैधानिक शासन और आर्थिक विकास बनाम समानता के साथ विकास। जिस तरह प्रधानमंत्री ने अपने लक्ष्यों के सैट को मंजूरी देने का मामला बनाने की कोशिश की, उसी तरह भाजपा के शासन के प्रति लोगों की अस्वीकृति और लक्ष्यों को फिर से निर्धारित करने की इच्छा के लिए एक शक्तिशाली तर्क दिया जा सकता है। 

पुन: निर्धारित करना चाहता था : मैं इस कॉलम में ‘बेरोजगारी’ पर ही रहना चाहता हुं। सी.एम.आई.ई.के अनुसार, अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत है। कांग्रेस के घोषणापत्र 2024 में कहा गया है कि उदारीकरण के 33 साल बाद, ‘आर्थिक नीति को फिर से निर्धारित करने का समय आ गया है’। घोषणापत्र में ‘नौकरियों’ पर 2 विशिष्ट प्रस्ताव रखे गए-
-अप्रैंटिसशिप योजना जो कौशल प्रदान करने, रोजगार क्षमता बढ़ाने और लाखों युवाओं को नियमित नौकरी प्रदान करने के लिए प्रत्येक स्नातक और डिप्लोमा धारक को एक साल की अप्रैंटिसशिप की गारंटी देगी।
-नियमित, गुणवत्तापूर्ण नौकरियों के बदले अतिरिक्त भर्ती के लिए कर क्रैडिट जीतने के लिए कार्पोरेट्स के लिए रोजगार लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (ई.एल.आई.)। 

मुझे खुशी हुई जब वित्त मंत्री ने विचारों को उधार लिया और उन्हें अपने बजट भाषण में शामिल किया। मोदी और उनके मंत्रियों ने 9 जून, 2024 को शपथ ली। भाजपा ने दावा किया कि तीसरी बार सत्ता में आने वाली मोदी सरकार के पास पहले 100 दिनों में लागू करने के लिए एक योजना तैयार होगी। 100 दिन 17 सितंबर को पूरे होंगे। सरकार ने 2 बजट घोषणाओं को लागू करने में कोई तत्परता नहीं दिखाई है। जिस उत्साह के साथ सरकार ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित करने और वरिष्ठ सरकारी पदों पर पाश्र्व प्रवेश को आगे बढ़ाने की कोशिश की, उसके विपरीत उन्हें दोनों को ‘रोक’ देना पड़ा। 

बुरी खबरें बढ़ती जा रही हैं : इस बीच, हमारे पास रोजगार के मोर्चे पर और भी बुरी खबरें हैं। भारतीय कंपनियों ने 2023 और 2024 में लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। इनमें स्विगी, ओला, पे.टी.एम. आदि शामिल हैं। टेक   कंपनियों ने घोषणा की है कि वे अपने कर्मचारियों की संख्या को सही करने की प्रक्रिया में हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में 5 सितंबर, 2024 को छपे एक कॉलम में 2 शिक्षाविदों ने बताया कि आई.आई.टी. मुंबई इस साल अपने स्नातक वर्ग के केवल 75 प्रतिशत छात्रों को ही प्लेसमैंट दे पाया है। विनिमय दर के मुकाबले समायोजित वेतन स्थिर प्रतीत होता है। आई.आई.टी. के अलावा अन्य संस्थानों के स्नातकों का प्लेसमैंट 30 प्रतिशत के निराशाजनक स्तर पर है। विश्व बैंक के भारत आर्थिक अपडेट (सितंबर 2024) ने बताया कि शहरी युवाओं का रोजगार 17 प्रतिशत पर बना हुआ है। एक उलझी हुई व्यापार नीति के कारण, भारत ने चमड़ा और परिधान जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों से निर्यात आय में वृद्धि नहीं की है। 

विश्व बैंक की रिपोर्ट ने व्यापार के प्रति भारत के दृष्टिकोण की आलोचनात्मक समीक्षा की सलाह दी और बताया कि भारत श्रम-प्रधान निर्मित वस्तुओं से चीन के पीछे हटने का लाभ नहीं उठा पाया है। रिपोर्ट बेरोजगारी का मुद्दा इंकार, बयानबाजी या फर्जी आंकड़ों से दूर नहीं होगा। बेरोजगारी एक टाइम बम है और मोदी 2.1 सरकार ने 9 जून के बाद से इसे खत्म करने के लिए कुछ भी नहीं किया है बिल्कुल भी नहीं।-पी. चिदम्बरम

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!