Edited By ,Updated: 13 Jul, 2023 07:24 AM
पिछले 9 वर्षों के दौरान, मोदी सरकार ने विद्युत क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलावों को संभव बनाया है।
पिछले 9 वर्षों के दौरान, मोदी सरकार ने विद्युत क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलावों को संभव बनाया है। निरंतर लोड शेडिंग और बिजली की कमी वाले दिन अब इतिहास हो गए हैं। वर्ष 2014-15 से पहले, बिजली की आपूर्ति में होने वाला घाटा आश्चर्यजनक रूप से 4.5 प्रतिशत था। हालांकि, 2014 में इस सरकार के कार्यभार संभालने के बाद से बिजली उत्पादन क्षमता में 185 गीगावॉट की प्रभावशाली वृद्धि की गई है। इसके साथ भारत बिजली की कमी वाले देश की जगह अधिशेष बिजली वाला देश बन गया है।
आज हमारी कुल स्थापित क्षमता 417 गीगावॉट है, जोकि 222 गीगावॉट की चरम मांग से लगभग दोगुनी है। परिणामस्वरूप, भारत अब पड़ोसी देशों को बिजली का निर्यात कर रहा है।पारेषण (ट्रांसमिशन) के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 2013 के बाद से, लगभग 2 लाख सर्किट किलोमीटर तक फैली पारेषण लाइनों का एक व्यापक नैटवर्क स्थापित किया गया है, जो पूरे देश को एक ही आवृत्ति (फ्रीक्वैंसी) पर संचालित होने वाले एक एकीकृत ग्रिड से जोड़ता है।
इन पारेषण लाइनों में 800 के.वी. एच.वी.डी.सी. जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया गया है और ये समुद्र तल से 15000-16000 फुट की ऊंचाई पर स्थित श्रीनगर-लेह लाइन सहित कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण व दुर्गम इलाकों से होकर गुजरती हैं। बिजली स्थानांतरित करने की यह क्षमता 2014 में मात्र 36 गीगावॉट की थी। स्थानांतरण की इस क्षमता की सहायता से वितरण कंपनियों को देश भर में किसी भी उत्पादक कंपनी से प्रतिस्पर्धी दरों पर अधिकतम बिजली खरीदने की सहूलियत मिल गई है। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली मिलने लगी है।
हमारी सरकार के सत्ता में आने से पहले, आजादी के 67 साल बाद भी 18,000 से अधिक गांव और कई बस्तियां बिजली से वंचित थीं। अगस्त 2015 में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 1000 दिनों के भीतर हर गांव को विद्युतीकृत करने के लक्ष्य की घोषणा की थी। लॉजिस्टिक से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, सरकार ने निर्धारित समय से 13 दिन पहले ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया। इस उपलब्धि को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजैंसी ने 2018 में ऊर्जा क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण खबर के रूप में मान्यता दी थी।
इस सफलता को आधार बनाकर आगे बढ़ते हुए सरकार ने हर घर को बिजली से जोडऩे का लक्ष्य रखा, जो उल्लेखनीय तरीके से 18 महीनों के भीतर ही हासिल कर लिया गया और कुल 2.86 करोड़ घरों को बिजली से जोड़ा गया। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की औसत उपलब्धता 2015 में 12 घंटे से बढ़कर आज 22.5 घंटे हो गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में अब औसतन 23.5 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है।
सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा पर अपना ध्यान केन्द्रित करके पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित की है। वर्ष 2015 में, प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक 175 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य की घोषणा की थी। वर्तमान में, कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों के तहत अतिरिक्त 84 गीगावॉट के साथ भारत ने 172 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की है। इसके अलावा, भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 40 प्रतिशत बिजली उत्पादन क्षमता के निर्धारित समय से 9 साल पहले ही अपनी प्रतिबद्धता हासिल कर ली है।
वर्तमान में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 43 प्रतिशत हिस्सा यानी कुल 180 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है। सबसे कुशल उत्पादन स्टेशनों को पहले शैड्यूल करने संबंधी लचीलेपन की अनुमति देकर हमने उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत कम कर दी है। ऊर्जा रूपांतरण की दिशा में प्रयास के तहत हमने ताप विद्युत संयंत्रों में तापीय ऊर्जा के साथ नवीकरणीय ऊर्जा की बंडलिंग और बायो-मास को-फायरिंग की अनुमति दी है।
100 किलोवाट या इससे अधिक जुड़े भार वाला कोई भी उपभोक्ता अब ऐसे उत्पादन संयंत्रों से नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त कर सकता है। जलविद्युत क्षेत्र, जो मंद पड़ा था, को लगभग 15 गीगावॉट की निर्माणाधीन परियोजना के साथ फिर से सक्रिय किया गया है। विद्युत चालित वाहनों (ई.वी.) के लिए चाॄजग संबंधी अवसंरचना स्थापित करने के नियमों व दिशानिर्देशों को सरल बनाया गया है और घरेलू कनैक्शन से चार्जिंग संभव हो गई है।
संक्षेप में, मोदी सरकार ने विद्युत क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव किए हैं। उत्पादन क्षमता के विस्तार, पारेषण नैटवर्क के प्रसार, बिजली को सुलभ बनाने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और व्यापक सुधारों को लागू करने पर ध्यान देकर भारत ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। पर्यावरण, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता ने भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया है। नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में और ऊंचे लक्ष्य तथा उत्सर्जन में और अधिक कटौती करने के इरादे के साथ मोदी सरकार ने भारत के विद्युत क्षेत्र के भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना जारी रखा है। -आर.के. सिंह (केन्द्रीय विद्युत मंत्री)