विभिन्न देशों की एजैंसियों के एजैंट लड़ रहे खालिस्तान की लड़ाई

Edited By ,Updated: 14 Apr, 2023 05:24 AM

agents of agencies of different countries are fighting the battle of khalistan

कनाडा के सरी में तथाकथित खालिस्तानी संगठनों की ओर से भारतीय उच्चायोग के विरोध के नाम पर किया गया प्रदर्शन कोई राष्ट्र की सेवा नहीं की गई बल्कि सिखों द्वारा झेले जा रहे मसलों के समाधान के रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं।

कनाडा के सरी में तथाकथित खालिस्तानी संगठनों की ओर से भारतीय उच्चायोग के विरोध के नाम पर किया गया प्रदर्शन कोई राष्ट्र की सेवा नहीं की गई बल्कि सिखों द्वारा झेले जा रहे मसलों के समाधान के रास्ते भी बंद कर दिए गए हैं। यह कोई  स्वागत समारोह नहीं था बल्कि  इस मौके पर भारतीय उच्चायोग को सिख समुदाय को आने वाली मुश्किलों और उनके समाधान से संबंधित विस्तारपूर्वक ज्ञापन दिया जाना था। 

तथाकथित खालिस्तानी समर्थकों का भारत के प्रति रोष इस बात से जाहिर हो जाता है कि ऐसे समय जबकि हमारे समक्ष 700 पंजाबी विद्याॢथयों पर लटक रही निर्वासन की तलवार जैसे मुद्दे खड़े हैं जोकि समाधान की तुरन्त मांग करते हैं, को छोड़ कर खालिस्तान की दुकान चलाने वाले तथाकथित इसके समर्थक सिखों को बदनाम करने पर तुले हुए हैं। ऐसे प्रदर्शनों का मकसद भारतीय उच्चायोग पर दबाव बनाया जाना था कि वह कनाडा सरकार पर दबाव बनाकर तुरन्त ही विद्यार्थियों के निर्वासन का मसला हल करे।  इसके अलावा 10 वर्षीय भारतीय वीजा  को चालू करना, पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय  उड़ान शुरू करना, बंदी सिखों की रिहाई जैसे मसले भी जोर से उठाए जाने थे। 

सरी की सभी खालिस्तानी जत्थेबंदियों को भी भारतीय उच्चायुक्त  के साथ बैठक करवाने तथा अपने मुद्दे पेश करने की पेशकश की गई थी। वहीं भारतीय उच्चायोग की ओर से इस पर अपनी सहमति भी दी गई थी। मगर खालिस्तानी समर्थकों ने अपने मुद्दों को सुलझाने की जगह प्रदर्शन का रास्ता चुना तथा लोगों को गुमराह किया। 

खालिस्तान के नाम पर इन तथाकथित बुर्काधारी नेताओं ने गुरु साहब के ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं’ के फलसफे के विपरीत रेडियो 600 एएम के सीनियर पत्रकार सुधीर कौशल, रेडियो इंडिया के पाल वड़ैच, हरबीर सिंह बत्तरा, जतिंद्र मरवाहा, जङ्क्षतद्र सिंह अटवाल (जिनके  सिर पर राड से हमला किया गया)पर  हमला किया गया। बात यहीं नहीं खत्म होती खालिस्तानी समर्थकों की ओर से मौके पर उपस्थित सिख मेहमानों तथा हिन्दू महिलाओं के कपड़े भी फाड़े गए (यहां तक कि एक हिन्दू लड़की की ब्रा तक खींची गई)। सिख कौम के महान शहीद भाई केहर सिंह (इंदिरा गांधी हत्याकांड) के नजदीकी रिश्तेदार की बहू-बेटियों को गालियां निकाल कर बेइज्जत किया गया तथा मौके पर उपस्थित अन्य मेहमानों की कारें भी बुरी तरह से तोड़ी गईं। 

यह कितनी दुर्भाग्यपूर्ण तथा सिख कौम के लिए फिक्रमंदी वाली बात है कि हमारे गुरुद्वारा साहिबान का प्रबंध फिर से ऐसे मसंदों के हाथ में चला गया है जो निजी हितों के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसी शरारतों के लिए लोअर मेनलैंड के बी.सी. सिख कौंसिल में शरीफ गुरुद्वारा साहिबान के सभी प्रबंधक जिम्मेदार हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि कैनेडियन पंजाबी  सिख राजनेताओं को 14,000 किलोमीटर दूर भारत में हुई किसी भी कार्रवाई की तो फिक्र है मगर अपनी नाक के नीचे सरी में हुई ऐसी घटनाओं की कोई पीड़ा या फिक्र नहीं। यहां पर सिखों के भेस में एजैंसियों के पेड लोगों द्वारा भारतीयों विशेषकर सिखों पर हमले किए जा रहे हैं। इन सभी संगठनों के प्रमुख एजैंसियों के सम्पर्क में हैं। इन दोहरे किरदार वाले लोगों से जवाब तलबी होनी चाहिए। 

छोटे-छोटे मसलों को उजागर करने वाले लोग आज मौन हैं। कुछ देश विरोधी  मीडिया की ओर से इस मुद्दे पर निम्र दर्जे की पत्रकारिता का सबूत देते हुए तथ्यों को  तोडऩे की कोशिश की गई। रेडियो इंडिया  हमेशा ही खालिस्तान के तथाकथित नेताओं की गुंडागर्दी का पर्दाफाश करने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा। खालिस्तानी स्वयंभू नेता विदेशों में खालिस्तान की मांग का प्रचार करते हैं। मगर भारत में जाकर भारतीय संविधान तथा कानूनों को मानते हैं। ऐसे नेता कभी भी इंकार नहीं कर सकते कि वे भारतीय एजैंसियों के सम्पर्क में नहीं हैं। फिर हम साबित करेंगे कि इनमें से कौन-कौन किस से मुलाकात करता है और यहां आकर खालिस्तान की बात करता है। 

‘सिख्स फॉर जस्टिस’ के मायके भारत में हैं। यदि यह बात नहीं मानते तो सार्वजनिक बहस में हम यह साबित करने के लिए तैयार हैं। ऐसे लोगों से सिख संगत को सवाल पूछना चाहिए कि कौम को गुमराह कर जगह-जगह प्रदर्शन करने वाले इन स्वयंभू नेताओं ने कभी कोई ज्ञापन क्यों नहीं दिया? सच्चाई यह है कि ऐसे लोग किसी भी मुद्दे का हल नहीं चाहते बल्कि प्रदर्शनों के द्वारा अपनी दुकान चालू रखना चाहते हैं। खालिस्तानी नेता अभी तक एक भी प्राप्ति सिख संगत के समक्ष नहीं रख सकते।-मनिंद्र गिल (अध्यक्ष, फ्रैंड्स ऑफ कनाडा-इंडिया फाऊंडेशन)

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