भारतीय कृषि का अमृतकाल

Edited By ,Updated: 21 Aug, 2024 05:30 AM

amritkaal of indian agriculture

कृषि विकास और किसान कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अन्न के माध्यम से हमारे जीवन संचालन के सूत्रधार अन्नदाता के जीवन में सुख-समृद्धि लाना हमारा संकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। किसान की आय बढ़ाने के लिए हमने 6...

कृषि विकास और किसान कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। अन्न के माध्यम से हमारे जीवन संचालन के सूत्रधार अन्नदाता के जीवन में सुख-समृद्धि लाना हमारा संकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। किसान की आय बढ़ाने के लिए हमने 6 सूत्री रणनीति बनाई है। उत्पादन बढ़ाना, खेती की लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम दिलाना, प्राकृतिक आपदा में राहत की उचित राशि दिलाना, कृषि का विविधीकरण तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना इसके अहम पहलू हैं। उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने के लिए सबसे जरूरी है अच्छे बीज, जो कम पानी और विपरीत मौसम में भी बेहतर उत्पादन में सक्षम हो सकें। ऐसे बीजों की 109 नई किस्में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्र और किसानों को समर्पित की हैं। 

बीते 10 वर्षों में कृषि परिदृश्य तेजी से बदला है। ग्लोबल वार्मिंग तथा पर्यावरण असंतुलन जैसी समस्याओं के बीच उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती खड़ी हो गई है। इस चुनौती से निपटने के लिए अगले 5 वर्षों में हमारा लक्ष्य जलवायु अनुकूल फसलों की 1500 नई किस्में तैयार करने का है। वर्तमान में विज्ञान से ही किसानों का कल्याण संभव है। मुझे अपने कृषि विज्ञानियों पर गर्व है, जो जलवायु अनुकूल किस्में तैयार कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि में किए जा रहे नवाचारों से कृषि एवं किसान कल्याण सुनिश्चित होगा। 

किसान होने के नाते मैं भलीभांति  समझता हूं कि बढिय़ा उत्पादन के लिए अच्छे बीज कितने आवश्यक हैं। अगर बीज उन्नत और मिट्टी एवं मौसम की प्रकृति के अनुकूल होंगे तो उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। मोदी जी ने यह समझा और व्यापक विजन के साथ इस दिशा में कार्य करने के लिए मार्गदर्शित किया। विविधता भारतीय कृषि की विशेषता है। यहां कुछ दूरी के अंतराल पर ही खेती का मिजाज बदल जाता है, जैसे मैदानी खेती अलग है तो पहाड़ों की खेती अलग। इन सभी भिन्नताओं और विविधताओं को ध्यान में रखते हुए फसलों की 109 नई किस्में जारी की गई हैं। इनमें खेती की 69 किस्में और बागवानी की 40 किस्में राष्ट्र को समर्पित कर दी गई हैं। भारत को ग्लोबल न्यूट्रिशन हब बनाने और श्रीअन्न को प्रोत्साहित करने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह संकल्पबद्ध है। 

हमारा संकल्प है कि किसान के परिश्रम का उचित मूल्यांकन हो और उन्हें फसलों का उचित दाम मिले, इसके लिए हम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रहे हैं। किसानों की आय बढ़ाना हमारी प्राथमिकता में है और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि मानव शरीर और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन हो। आज भारत नई हरित क्रांति का साक्षी बन रहा है। हमारे अन्नदाता ऊर्जादाता तथा ईंधनदाता भी बन रहे हैं। मोदी जी के प्रयासों से खेती के साथ ही पशुपालन, मधुमक्खी पालन, औषधीय खेती, फूलों-फलों की खेती सहित अन्य संबंधित क्षेत्रों को सशक्त बनाया जा रहा है। 

पूर्ववर्ती सरकारों की प्राथमिकता में कृषि और किसान रहे ही नहीं, जबकि मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2013-14 में कृषि मंत्रालय का बजट 27,663 करोड़ रुपए था, जो 2024-25 में बढ़कर 1,32,470 करोड़ रुपए हो गया है। यह बजट सिर्फ कृषि विभाग का है। कृषि से संबद्ध क्षेत्रों और फर्टिलाइजर सबसिडी के लिए अलग बजट है। मोदी सरकार किसानों को यूरिया और डी.ए.पी. सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। यूरिया पर सरकार किसानों को करीब 2,100 रुपए जबकि डी.ए.पी. के एक बैग पर 1083 रुपए की सबसिडी दे रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है। फसलों के नुकसान पर भी फसल बीमा योजना किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच है। 

मोदी सरकार में किसान को सशक्त बनाने के लिए बीज से लेकर बाजार तक हर वह फैसला लिया, जो किसानों के लिए खेती को और आसान बनाए। उनकी मुश्किलें कम करे और मुनाफा बढ़ाए। इसी कड़ी में एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इन्फ्रा फंड के जरिए कृषि से जुड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है। पूरे देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र किसान और विज्ञान को जोड़ रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिए टैक्नोलाजी से दूरदराज की हमारी माताओं-बहनों को भी जोड़ा जा रहा है। कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने के पहले चरण में अब तक 35,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। मोदी जी का विजन है कि भारत कृषि में आत्मनिर्भर बने। इस दिशा में भी रणनीति बनाकर कार्य किया जा रहा है। अगले 5 वर्षों में हम 18,000 करोड़ रुपए की लागत से 100 निर्यात केंद्रित बागवानी क्लस्टर बनाएंगे। किसानों के लिए मंडी तक पहुंच बेहतर बनाने के लिए 1500 से अधिक मंडियों का एकीकरण किया जाएगा। 

साथ ही 6,800 करोड़ रुपए की लागत से तिलहन मिशन की शुरुआत कर रहे हैं। सब्जी उत्पादन क्लस्टर बनाने की भी तैयारी है। इससे छोटे किसानों को सब्जियों-फलों और अन्य उपजों के लिए नए बाजार और बेहतर दाम मिलेंगे। सरकार ने यह संकल्प भी लिया है कि दलहन फसलों में तुअर, उड़द और मसूर की पूरी खरीद एम.एस.पी. पर की जाएगी। यजुर्वेद में उल्लिखित है ‘अन्नानां पतये नम: क्षेत्राणां पतये नम:’ अर्थात अन्न के स्वामी और खेतों के स्वामी अन्नदाताओं को नमन। कृषि पराशर में भी उल्लेख है- अन्न ही प्राण है, अन्न ही बल है एवं अन्न ही समस्त प्रयोजनों का साधन है। किसानों के बिना इस देश का अस्तित्व ही अधूरा है। इसलिए हमारे प्राचीन शास्त्रों में भी किसानों को प्रणाम किया गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसका आत्मा। हमारे लिए किसान की सेवा भगवान की पूजा है। 

आज प्रधानमंत्री मोदी जी के दीर्घकालिक विजन तथा सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी, समावेशी और समग्र विकास वाली सोच के साथ भारत एवं भारतीय कृषि निरंतर आगे बढ़ रही है और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे किसान भाई-बहन आजादी के अमृतकाल में आत्मनिर्भर भी बनेंगे और समृद्ध संपन्न होने के साथ-साथ देश के अन्न भंडार भरते रहेंगे।-शिवराज सिंह चौहान  
 

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