Edited By ,Updated: 24 Jul, 2024 05:33 AM
वैश्विक स्तर पर बासमती चावल को बढ़ावा देने के लिए पंजाब के पास एक बड़ा मौका है। दॅ डिपार्टमैंट ऑफ कॉमर्स एंड द एग्रीकल्चर एंड प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवैल्पमैंट अथॉरिटी (एपीडा) बासमती चावल व शहद समेत 20 कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट को...
वैश्विक स्तर पर बासमती चावल को बढ़ावा देने के लिए पंजाब के पास एक बड़ा मौका है। दॅ डिपार्टमैंट ऑफ कॉमर्स एंड द एग्रीकल्चर एंड प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवैल्पमैंट अथॉरिटी (एपीडा) बासमती चावल व शहद समेत 20 कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए एक कार्य योजना विकसित कर रहा है। अगस्त तक लागू होने वाली यह योजना पंजाब के बासमती चावल उत्पादक किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। पिछले साल रिकॉर्ड 5.96 लाख हैक्टेयर में बासमती की खेती करने वाले पंजाब का इस साल 40 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ 10 लाख हैक्टेयर में बासमती की खेती का लक्ष्य है। चूंकि साधारण धान की खेती न केवल किसानों के लिए घाटे का सौदा, बल्कि इसमें पानी की अधिक खपत जलवायु के लिए भी खतरा है, इसलिए ध्यान बासमती की ओर जा रहा है, जो ऊंचे दाम व कम पानी की खपत के कारण पर्यावरण के भी अनुकूल है।
पंजाब में एक किलोग्राम साधारण चावल पाने के लिए लगभग 4118 लीटर पानी की खपत होती है, वहीं पश्चिम बंगाल में करीब 2169 लीटर पानी लगता है क्योंकि वहां की मिट्टी व जलवायु धान की खेती के अनुकूल है। पंजाब में टिकाऊ जल प्रबंधन, कृषि उत्पादकता और एक्सपोर्ट में भागीदारी बढ़ाने के लिए बासमती व साधारण धान की खेती में संतुलन कायम करना जरूरी है। सब्जियों व फलों में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के बावजूद वैश्विक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2.5 प्रतिशत है, जिसे अगले 3 वर्ष में 4 से 5 प्रतिशत करना केंद्र सरकार का लक्ष्य है। इसके लिए एक मजबूत एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट प्लान तैयार करना जरूरी है क्योंकि कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट में लगातार गिरावट जारी है।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में भी कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट में 3.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में 48.82 बिलियन अमरीकी डॉलर का एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट 2022-23 के 53.15 बिलियन डॉलर की तुलना में 8.2 प्रतिशत घटने के पीछे एक बड़ा कारण कई कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध था। इसके बावजूद भारत से बासमती चावल का एक्सपोर्ट बढ़ा है। 2023-24 में 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का बासमती एक्सपोर्ट कारोबार वर्ष 2022-23 में 4.2 बिलियन डॉलर था। इसमें 40 प्रतिशत योगदान देने वाले पंजाब के लिए बासमती एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी बढ़ाना और भी महत्वपूर्ण है।
ऊंची उम्मीदें : पंजाब में तेजी से गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए सैंट्रल ग्राऊंड वाटर बोर्ड ने साधारण धान का रकबा 25 लाख हैक्टेयर से घटाकर 18 से 20 लाख हैक्टेयर तक सीमित रखने व बासमती का रकबा 8 से 10 लाख हैक्टेयर करने की सिफारिश की है। चालू बुआई सीजन में बासमती के 10 लाख हैक्टेयर रकबे का लक्ष्य हासिल होने से जहां ‘क्रॉप डायवर्सिफिकेशन’ को बढ़ावा मिलेगा, वहीं बासमती की बढ़ी पैदावार पंजाब के लिए दुनिया के नए बाजार खोलेगी।
16 जुलाई तक 5.16 लाख हैक्टेयर रकबे में बासमती की खेती हो चुकी थी। अगस्त के पहले हफ्ते तक बुआई जारी रहने से 10 लाख हैक्टेयर में बासमती की बुआई का लक्ष्य पूरा हो सकता है, पर इसके साथ ही उपज की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों के बराबर बनाए रखना भी जरूरी है। बासमती की बेहतर क्वालिटी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इंसैंटिव देने के साथ ट्रेनिंग की भी जरूरत है। केंद्र सरकार ने हाल ही में साधारण धान का एम.एस.पी. 117 रुपए क्विंटल बढ़ाकर 2300 रुपए किया, पर इस भाव पर किसान को साधारण धान की बुआई से 62,000 रुपए से लेकर 70,000 रुपए प्रति एकड़ मिल सकेंगे, जबकि बासमती से प्रति एकड़ 65,000 से 1 लाख रुपए मिल सकते हैं, भले ही साधारण धान की तुलना में बासमती की उपज प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल कम होती है।
एक्सपोर्ट आधारित बासमती जोन : अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, होशियारपुर, मोगा, मुक्तसर, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का और जालंधर समेत पंजाब के एक दर्जन जिलों को केंद्र सरकार की ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम’ के तहत बासमती एक्सपोर्ट जोन के रूप में विकसित करने की क्षमता है। इन बासमती उत्पादक जिलों में किसानों को निर्यात उन्मुख बासमती की वैरायटी की बुआई के लिए सही मिट्टी, सही सिंचाई और उपज की क्वालिटी पर नियंत्रण व लागत घटाने के पर्यावरण अनुकूल विधियों को अपनाना होगा। वैश्विक स्तर की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सुगंधित बासमती की उन्नत किस्मों, जैसे बासमती-370, 385 की खेती से पानी की खपत और अधिक पैदावार का फायदा तभी मिलेगा, जब प्रतिबंधित कीटनाशकों का उपयोग न किया जाए। बासमती को और अधिक लाभदायक बनाए रखने के लिए बुआई से लेकर कटाई और फसल की संभाल व मार्केटिंग तक क्वालिटी स्टैंडर्ड कायम रखना होगा। क्वालिटी के प्रति जागरूक ब्रिटेन जैसे देश बासमती में अन्य किस्मों के चावलों की मिलावट का पता लगाने के लिए डी.एन.ए. फिंगर प्रिटिंग से जांच करते हैं।
वैश्विक बाजार : उच्च गुणवत्ता वाले सुगंधित बासमती चावल अमरीका, यूरोप, सऊदी अरब, ईरान, ईराक, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को एक्सपोर्ट होते हैं, जबकि मलेशिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, चीन, इंडोनेशिया, जापान, इटली, बैल्जियम और ब्रिटेन में भी बासमती एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सकता है। पंजाब को बासमती चावल एक्सपोर्ट में अग्रणी बनने के लिए अमरीका, यूरोपीय देशों और जापान के लिए वहां पसंद किए जाने वाले खास चावल, जैसे अमरीका के लिए लाल चावल जैसी किस्में विकसित करने की जरूरत है।
आगे ही राह : बासमती एक्सपोर्ट जोन में किसानों को वे तमाम जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराए जाएं, जिससे वे हाई क्वालिटी बासमती की खेती करने में सक्षम हो सकें। वैश्विक बाजार में पंजाब की बासमती की धाक जमाने के लिए पंजाब सरकार एक्सपोर्ट पर मंडी फीस व रूरल डिवैल्पमैंट फीस (आर.डी.एफ.) माफ करे। ‘क्रॉप डायवॢसफिकेशन’ व किसानों की आय बढ़ाने के लिए साधारण धान की तुलना में बासमती की खेती पंजाब के लिए मील का पत्थर साबित होगी। (लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)