Edited By ,Updated: 22 Jun, 2023 05:08 AM
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संत-महात्मा देश और समाज का मार्गदर्शन करते हैं, परंतु कुछ संत-महात्मा और बाबा इसके विपरीत आचरण करके असली संत-महात्माओं की बदनामी का कारण बन रहे हैं। इसी सिलसिले में अब आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम के ‘रामानंद ज्ञानानंद आश्रम’ के ‘महंत’ स्वामी...
संत-महात्मा देश और समाज का मार्गदर्शन करते हैं, परंतु कुछ संत-महात्मा और बाबा इसके विपरीत आचरण करके असली संत-महात्माओं की बदनामी का कारण बन रहे हैं। इसी सिलसिले में अब आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम के ‘रामानंद ज्ञानानंद आश्रम’ के ‘महंत’ स्वामी पूर्णानंद सरस्वती को 2 नाबालिगों को रात के समय पैर दबाने के बहाने बुला कर उनसे बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस के अनुसार इस आश्रम में 4 लड़कियों सहित 12 बच्चे हैं। आश्रम में कुछ वर्षों से रह रही उन दोनों लड़कियों में से एक अनाथ नाबालिग ने वहीं रहने वाली एक महिला से कुछ रुपए उधार लेकर 13 जून को आश्रम से भाग कर ट्रेन पकड़ी और विजयवाड़ा पहुंच गई। यहां कुछ लोग उसकी मुलाकात बाल संरक्षण अधिकारी से कराने के बाद उसे विजयवाड़ा में ‘दिशा’ (महिला सुरक्षा) पुलिस स्टेशन ले कर गए, जहां उसके बयान लेने के बाद 15 जून को ‘बाबा’ को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस के अनुसार स्वामी पूर्णानंद सरस्वती ने 2 पोस्ट ग्रैजुएट डिग्रियों के अलावा कानून की डिग्री और बी.एड भी कर रखी है। इसके विरुद्ध इससे पहले भी 2012 में एक बच्ची ने बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि सभी संत ऐसे नहीं हैं परंतु निश्चय ही ऐसी घटनाएं संत समाज की बदनामी का कारण बन रही हैं। माता-पिता से विहीन एक अनाथ बच्ची की मजबूरी का इस प्रकार अनुचित लाभ उठाना पतन की पराकाष्ठा है। अत: ऐसे ढोंगी बाबाओं के विरुद्ध जहां कानून के अनुसार कठोर कार्रवाई करने की जरूरत है, वहीं संत समाज को भी इनके विरुद्ध अभियान चला कर उनका असली चेहरा समाज के सामने लाने और उनकी गतिविधियों पर रोक लगाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए।—विजय कुमार