बंगलादेश : लोकतंत्र व नागरिक स्वतंत्रताओं के दमन का परिणाम

Edited By ,Updated: 07 Aug, 2024 05:49 AM

bangladesh the consequences of suppression of democracy and civil liberties

जबकि बंगलादेश के मित्र और पड़ोसी, उस देश में पिछले कुछ हफ्तों में चल रहे राजनीतिक नाटक को देख रहे थे, हर किसी के दिमाग में एक सवाल सबसे ऊपर था- क्या बंगलादेश की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री इस संकट से निपट पाएंगी, जैसा कि उन्होंने...

जबकि बंगलादेश के मित्र और पड़ोसी, उस देश में पिछले कुछ हफ्तों में चल रहे राजनीतिक नाटक को देख रहे थे, हर किसी के दिमाग में एक सवाल सबसे ऊपर था- क्या बंगलादेश की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री इस संकट से निपट पाएंगी, जैसा कि उन्होंने पहले कई मौकों पर किया है? 2009 में एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव के माध्यम से सत्ता में आने के बाद उन्होंने बाद में तीन मौकों - 2014, 2018 और 2024 में बड़े पैमाने पर गैर-भागीदारी वाले और विवादास्पद चुनावों की अध्यक्षता की। वह लगभग अजेय लग रही थीं, सत्ता पर उनकी पकड़ पूरी तरह से थी। 

घटनाओं के एक चौंकाने वाले मोड़ में, हसीना ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया, जिससे उनके 15 साल के शासन का अचानक अंत हो गया। शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शनों के रूप में शुरू हुआ आंदोलन जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन में बदल गया, जिसने हसीना के बढ़ते अधिनायकवादी शासन और अनियंत्रित भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और मनमानी के प्रति गहरे असंतोष को उजागर किया, जिसने देश और विदेश में उनकी जो भी आर्थिक और विकास सफलताएं दिखाईं, उन पर पर्दा डाल दिया। 

यह अप्रत्याशित घटनाक्रम एक स्पष्ट चेतावनी के रूप में कार्य करता है, कि लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक स्वतंत्रताओं के क्षरण के सामने केवल आर्थिक प्रगति ही एक नेता की लोकप्रियता को बनाए नहीं रख सकती। हसीना के कार्यकाल में उल्लेखनीय आर्थिक उपलब्धियां दर्ज की गईं। उनके नेतृत्व में बंगलादेश दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक से इस क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक में बदल गया, यहां तक कि अपने बड़े पड़ोसी भारत से भी आगे निकल गया। 

देश की प्रति व्यक्ति आय एक दशक में तीन गुना हो गई और विश्व बैंक का अनुमान है कि पिछले 20 वर्षों में 25 मिलियन से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया। हसीना की सरकार ने घरेलू धन, ऋण और विकास सहायता के संयोजन का इस्तेमाल करके गंगा पर $2.9 बिलियन के पद्मा ब्रिज जैसी महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू कीं। हालांकि, ये आर्थिक लाभ एक बड़ी कीमत पर आए। 2014, 2018 और 2024 के संसदीय चुनावों में कम मतदान, हिंसा और विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार की वजह से बाधाएं आईं। हसीना की सरकार ने नियंत्रण बनाए रखने के लिए कठोर शक्ति पर अधिक से अधिक भरोसा किया, जिससे भय और दमन का माहौल बना। 

2018 में लागू किया गया डिजिटल सुरक्षा अधिनियम सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकत्र्ताओं के लिए आलोचकों को चुप कराने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विशेष रूप से ऑनलाइन, को दबाने के लिए एक शक्तिशाली हथियार बन गया। प्रैस की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा और नागरिक अधिकारों को व्यवस्थित रूप से दबा दिया गया क्योंकि हसीना ने सत्ता के एकमात्र केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली। जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ी, वैसे-वैसे अमीर और गरीब के बीच असमानता भी बढ़ी। बैंक घोटाले बढ़े और ऋण चूककत्र्ताओं की सूची में उछाल आया। सी.एल.सी. पावर, वैस्टर्न मरीन शिपयार्ड और रेमेक्स फुटवियर जैसी कंपनियां चूककत्र्ताओं की सूची में सबसे ऊपर हैं, जिनके खराब ऋण 965 करोड़ से 1,649 करोड़ बंगलादेशी टका तक हैं। बढ़ती आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार ने समग्र आर्थिक प्रगति के बावजूद जनता में असंतोष को बढ़ावा दिया। 

हाल ही में छात्र आंदोलन, जो अंतत: हसीना के पतन का कारण बना, सिविल सेवा नौकरियों में कोटा हटाने की एक साधारण मांग के रूप में शुरू हुआ। ढाका विश्वविद्यालय में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के रूप में शुरू हुआ यह आंदोलन जल्द ही अन्य कुलीन संस्थानों और फिर आम जनता तक फैल गया। स्थिति तब और बिगड़ गई, जब अवामी लीग की छात्र शाखा, बंगलादेश छात्र लीग के सदस्यों ने प्रदर्शनकारियों पर हमला करना शुरू कर दिया, जिससे एक गैर-राजनीतिक आंदोलन एक व्यापक विद्रोह में बदल गया। 

प्रदर्शनों के प्रति हसीना की प्रतिक्रिया उनके लिए विनाशकारी साबित हुई। पिछले महीने के अंत में छात्रों के खिलाफ पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का उनका फैसला उलटा पड़ गया, जिससे व्यापक जन आक्रोश भड़क उठा। सरकार के कठोर रवैए, जिसमें ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश के साथ सख्त कफ्र्यू लगाना शामिल था, ने आंदोलन को और भड़काने का काम किया। हसीना द्वारा प्रदर्शनकारियों को ‘रजाकार’ के रूप में गलत तरीके से लेबल करने से, जो 1971 के युद्ध के दौरान सहयोगियों से जुड़ा एक शब्द है, तनाव और बढ़ गया। 

जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन ने गति पकड़ी, उन्हें माता-पिता, शिक्षकों और सांस्कृतिक कार्यकत्र्ताओं सहित समाज के विभिन्न वर्गों से समर्थन मिला। आंदोलन अपनी शुरूआती मांगों से आगे निकल गया और 15 साल के डर और उत्पीडऩ के खिलाफ निराशा की सामूहिक अभिव्यक्ति बन गया। छात्रों द्वारा अपनी मांगें पूरी होने तक प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने से इंकार करना गहरे अविश्वास और आक्रोश को दर्शाता है। शेख हसीना का पतन उन नेताओं के लिए चेतावनी है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक स्वतंत्रता की कीमत पर आर्थिक विकास को प्राथमिकता देते हैं। अपने पूर्ववर्तियों, जैसे अलोकप्रिय सेना प्रमुख एच.एम. इरशाद, जिन्हें जेल में डाल दिया गया था, लेकिन वह देश छोड़कर नहीं भागे, के विपरीत हसीना का जाना बंगलादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। उनका जाना एक तानाशाह की तरह है, जो एक गुप्त स्थान से हैलीकॉप्टर में भाग रहा है और उग्र भीड़ उसके आधिकारिक आवास को लूट रही है, यह फिल्मों के दृश्यों की याद दिलाता है। 

बंगलादेश में हुई घटनाएं आर्थिक प्रगति को लोकतांत्रिक शासन के साथ-साथ पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ संतुलित करने के महत्व को रेखांकित करती हैं, जिसके अभाव में बहुतों की कीमत पर केवल कुछ ही लोग लाभान्वित होते हैं। जबकि हसीना की आर्थिक उपलब्धियां सराहनीय थीं, उनके द्वारा कठोर शक्ति का इस्तेमाल और लोकतांत्रिक मानदंडों की अवहेलना अंतत: उनके पतन का कारण बनीं। जैसे-जैसे बंगलादेश आगे बढ़ रहा है, उसे अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास बहाल करते हुए अपनी आर्थिक गति को पुन: प्राप्त करने और हाल के वर्षों में उभरी असमानताओं को दूर करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। शेख हसीना का इस्तीफा एक सबक है, जो न केवल बंगलादेश में, बल्कि दुनिया भर में गूंजता है, जो सामाजिक-आॢथक प्रगति और लोकतांत्रिक मूल्यों के बीच नाजुक संतुलन को उजागर करता है, जो उन लोगों के लिए कम मायने नहीं रखता, जिनके लिए ये कभी परस्पर अनन्य नहीं रहे हैं।-सैयद मुनीर खसरू
 

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