रोजगार और विकास का बजट

Edited By ,Updated: 27 Jul, 2024 05:57 AM

budget for employment and growth

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2024 -25 के बजट पर आम प्रतिक्रियाएं अपेक्षाओं के अनुरूप ही हैं। हालांकि सामान्य दृष्टि से भी देखें तो यह बजट ऐसा है जिसमें विपक्ष को तीखी आलोचनाओं के लिए ठोस आधार प्राप्त नहीं हो सकता।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2024 -25 के बजट पर आम प्रतिक्रियाएं अपेक्षाओं के अनुरूप ही हैं। हालांकि सामान्य दृष्टि से भी देखें तो यह बजट ऐसा है जिसमें विपक्ष को तीखी आलोचनाओं के लिए ठोस आधार प्राप्त नहीं हो सकता। लोकसभा चुनाव के पूर्व से लेकर अभी तक विपक्ष ने इस सरकार पर युवाओं, किसानों ,गरीबों को नजरअंदाज करने तथा बेरोजगारी बढ़ाने का आरोप लगाया है। इस बजट का आरंभ ही युवाओं और रोजगार सृजन से हुआ। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के संकल्प पत्र में भारत को 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा है और इसके संदर्भ में अंतरिम बजट में काफी प्रावधान किए गए थे। यह बजट उसी का विस्तारित रूप है। बजट को समग्रता में देखे जाने की आवश्यकता है। 

यह एक साथ व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन के साथ कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने, मैन्युफैक्चरिंग को आगे बढ़ाने, स्वरोजगार सृजन पर बल देने, भारत की विरासत  तीर्थ और पर्यटन स्थलों को विकसित करने तथा सबके लिए आवश्यक आधारभूत संरचना के विस्तार पर फोकस करने वाला बजट है। यह बजट फिर एक बार बता रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार का भारत को लेकर सपना क्या हैं। उन्होंने पहले भी अपने भाषणों तथा पिछले सारे बजटों में वैसे भारत की रूप-रेखा प्रस्तुत की है जो वर्तमान अर्थव्यवस्था के मानदंड में विश्व के शीर्ष देशों की कतार में हो, जहां लोगों को जीविकोपार्जन के साधन हों, स्किल से भरे युवाओं तथा समाज का हर वर्ग युवा, महिला, किसान, बुजुर्ग व कारोबारी सबके बीच संतुलन भी हो। किंतु इन सबके साथ भारत अपने अध्यात्म, सभ्यता, संस्कृति और विरासत की मूल  पहचान के साथ  विकसित भारत बने। इस बजट में इन सपनों का समग्रता से समावेश है लेकिन इसका मुख्य यू.एस.पी. रोजगार है। 

आप देखेंगे कि 10 वर्षों के अनुभवों के आधार पर उन सारे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया जहां-जहां सबसे ज्यादा फोक्स करने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि  सरकार का फोकस रोजगार बढ़ाने पर है। बजट में गरीब, महिला, युवा और किसान पर जोर है। शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान है। अंतरिम बजट भाषण में बताया था कि स्किल इंडिया मिशन के तहत देश में 1.4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है, 54 लाख को अपस्किल या रि-स्किल किया गया है। पी.एम. मुद्रा योजना के तहत युवा उद्यमियों को 43 करोड़ के मुद्रा योजना ऋण दिए गए। 3000 नए आई.टी.आई., 7 आई.आई.टी., 16 आई.आई.आई.टी., 7 आई.आई.एम., 15 एम्स और 390 विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है। वस्तुत: नैशनल कैरियर सर्विस पोर्टल पर पदों की संख्या बढ़कर 1.09 करोड़ हो गई है, लेकिन नौकरी के लिए पंजीकरण करवाने वालों की संख्या 87.2 लाख ही है। नौकरी की संख्या बढऩे के बावजूद काफी युवा वंचित हैं तो इसका कारण स्किल के मापदंड पर खरा नहीं उतरना है। तक हम स्किल के मापदंडओं पर काफी पीछे हैं। 

इस दृष्टि से बजट में युवाओं की इंटर्नशिप की एक ऐसी विशिष्ट योजना है जिसकी ओर पहले ध्यान नहीं गया था। एक करोड़ युवाओं को अगले 5 साल में शीर्ष-500 कंपनियों में 12 महीने के लिए इंटर्नशिप की योजना इस बजट का प्रमुख आकर्षण है। सीधे काम करते हुए स्किल विकास की ऐसी योजना पहले नहीं आई थी। इसमें इंटर्नशिप करने आए युवाओं तथा कंपनियों पर भी बहुत ज्यादा भार नहीं दिया गया है। युवाओं को हर महीने पांच हजार रुपए का भत्ता तथा एकमुश्त मदद के रूप में 6 हजार रुपए दिए जाएंगे। कंपनियों को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत प्रशिक्षण का खर्च और इंटर्नशिप की 10 प्रतिशत लागत वहन करनी होगी। 

कॉरपोरेट अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत हर वर्ष एक निश्चित राशि खर्च करते हैं। उन्हें उसी में से प्रदान करना है। इस तरह यह पूरी तरह व्यावहारिक है। कल्पना करिए अगर यह सफल रहा तो आने वाले समय में भारत कैसे स्किल वाले युवाओं का देश बन जाएगा। प्रधानमंत्री के पैकेज के हिस्से के रूप में योजनाओं के माध्यम से रोजगार से जुड़े कौशल की घोषणा भी विशिष्ट है। इस तरह की कई घोषणाएं बताती है कि कितनी गहराई से विचार किया गया है। रोजगार अपने आप में अर्थव्यवस्था में टापू नहीं हो सकता। संपूर्ण विकास और उसमें स्थिरता सतत स्थाई रोजगार पैदा होने का आधार होता है। स्थायी रोजगार स्वयं में पैदा होता रहता है। आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया है कि रोजगार सृजन में कृषि का हिस्सा अभी भी 45 प्रतिशत है। यानी कृषि को ठीक से संभाला जाए तो यह विकास के साथ-साथ बेहतर रोजगार का साधन उपलब्ध कराने का दीर्घकालिक क्षेत्र साबित होगा। 

कृषि और उससे जुड़े सैक्टर के लिए 1लाख 52 हजार करोड़ दिया गया है जो पिछले साल 1 लाख 25 हजार करोड़ से 21.6 प्रतिशत ज्यादा है। 400 जिलों में फसलों के सर्वे से वहां किसानों के लिए कौन-सा फसल उपयुक्त और लाभदायक होगी उसके प्रचार और प्रोत्साहन पर काम होगा। 32 फसलों की 109 नई किस्में आएंगी। बजट के सारे प्रस्तावों पर यहां विचार करना संभव नहीं। मूल बात यह है कि नरेंद्र मोदी सरकर लोक-लुभावन घोषणाओं से बचते हुए देश के समग्र विकास के लिए दूरगामी सोच और योजनाओं पर आगे बढ़ रही है। बिहार और आंध्रप्रदेश के पैकेज को राजनीतिक व्यवस्था में बांध दिया गया है। बिहार में गया, बोधगया राजगीर और नालंदा का विकास क्या केंद्र का दायित्व नहीं है?  इस तरह कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भारत ने स्वयं को अपनी पहचान के साथ विकसित देश के रूप में खड़ा करने की दिशा में गति बना दी है। गठबंधन सरकार से नीतियों पर प्रभाव नहीं पड़ा तो यह अच्छा संकेत है।-अवधेश कुमार
 

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