उपचुनाव : दाव पर प्रतिष्ठा

Edited By ,Updated: 19 Nov, 2024 05:38 AM

by elections prestige at stake

महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव पर सबकी नजर है। इससे भाजपा और कांग्रेस के कद का ग्राफ नापा जाएगा, मगर उत्तर प्रदेश की 9 सीटों, राजस्थान की 7, पंजाब और बिहार की 4- 4 सीटों पर हो रहे उपचुनाव भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं।

महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव पर सबकी नजर है। इससे भाजपा और कांग्रेस के कद का ग्राफ नापा जाएगा, मगर उत्तर प्रदेश की 9 सीटों, राजस्थान की 7, पंजाब और बिहार की 4- 4 सीटों पर हो रहे उपचुनाव भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। इनसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्टार वैल्यू का पुर्निर्धारण होगा तो दूसरी ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के राजनीति में पुख्ता होने का प्रमाण भी मिलेगा। इन सीटों के लिए कुछ जगह मतदान हो चुके हैं लेकिन नतीजे सभी जगह शनिवार को आएंगे। 

इन उपचुनावों में उत्तर प्रदेश के उपचुनाव सर्वाधिक प्रतिष्ठित हैं जहां योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा तो दाव पर लगी ही है , सपा प्रमुख अखिलेश यादव के शीर्ष पर भी मुहर लगेगी। नहीं तो अखिलेश के लिए यह कहा जाएगा कि लोकसभा की चुनावी जीत फ्लूक थी। उत्तर प्रदेश की  जिन 9 सीटों पर मतदान होने जा रहा है, उनमें फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर, मीरापुर, सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी शामिल हैं। इनमें कानपुर की सीसामऊ सीट को छोड़कर अन्य सभी सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। इस वजह से वहां उपचुनाव हो रहा है। सीसामऊ के विधायक इरफान सोलंकी को आगजनी के एक मामले में एम.एल.ए. कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोलंकी को जमानत दे दी थी मगर सजा पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। साथ ही उनकी रद्द विधायकी को बहाल करने से भी इन्कार कर दिया था। इस वजह से सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद विधानसभा सीट  से भाजपा विधायक रहे अतुल गर्ग अब यहां की लोकसभा सीट से सांसद हैं। इसी तरह फूलपुर सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने भी सांसद निर्वाचित होने के बाद इस्तीफा दिया। मझवां से भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के डा. विनोद कुमार ङ्क्षबद विधायक थे, उन्होंने भदोही से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया। खैर सुरक्षित सीट से भी भाजपा के अनूप प्रधान बाल्मीकि विधायक थे। अनूप प्रधान हाथरस से सांसद बने और उन्होंने विधायकी छोड़ दी। भाजपा की सहयोगी रालोद के चंदन चौहान ने बिजनौर से सांसद बनने के बाद मीरापुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया। वर्ष 2022 में कटेहरी सीट से सपा के लालजी वर्मा जीते थे। वर्मा लोकसभा चुनाव में अम्बेडकर नगर सीट से विजयी हुए। करहल विधानसभा सीट से स्वयं अखिलेश यादव विधायक थे, उनके कन्नौज से सांसद बन जाने से यह सीट खाली हुई है। कुंदरकी सीट से सपा के जियाउर्रहमान विधायक थे, अब वह संभल से सांसद हैं।

मुख्यमंत्री योगी के सामने बड़ी चुनौती न सिर्फ उन सीटों को बरकरार रखना है, जिन पर पार्टी और सहयोगियों का कब्जा था, बल्कि सपा की चार सीटों में भी सेंध लगाना है। वह सपा से जितनी सीटें छीनेंगे उतना ही उनका कद बढ़ेगा। हालांकि उत्तर प्रदेश भाजपा में ही ऐसे कई लोग हैं जो नहीं चाहते कि योगी का कद और बढ़े। भाजपा में कपड़ों की तरह  मुख्यमंत्री बदलने की जो परंपरा है, योगी उसमें सबसे बड़ी बाधा हैं। योगी का चलाया गया नैरेटिव ‘बटेंगे तो कटेंगे’ सिर्फ चर्चित ही नहीं हुआ, बल्कि एक सूत्र बन गया है। भले ही उसका रूप एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, की नई शब्दावली के साथ सामने आया है। आर.एस.एस. भी इसके साथ खुलकर है।

अगर उपचुनाव में भाजपा और सहयोगियों की पांच से भी कम सीटें आती हैं तो सरकार पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा मगर पार्टी में मौजूद विरोधियों को योगी के खिलाफ मुखर होने का एक और मौका मिलेगा। योगी महाराष्ट्र  और झारखंड में भी स्टार प्रचारक के रूप में गए थे। महाराष्ट्र में उन्होंने ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दोहराया। इस पर भाजपा और उसके सहयोगियों में  विरोध भी दिखा लेकिन इसकी गूंज कहीं से कम नहीं हुई। 

तय है कि योगी भाजपा में हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय हैं और रहेंगे, लेकिन उन्होंने इन उपचुनावों को प्रतिष्ठा का प्रश्न मान लिया है। तैयारी भी तीन महीने से ज्यादा से की है लेकिन नतीजे कुछ भी हों, फिलहाल योगी जिस स्तर पर पहुंच गए हैं, उन्हें हिलाना मुश्किल है।  भजन लाल शर्मा के पास राजस्थान में खोने के लिए कुछ भी नहीं है। बीते चुनावों में इन सीटों में से भाजपा मात्र एक सीट जीती थी , अब जितनी सीटें जीतेगी, उतना ही उनका कद बढ़ेगा। भजन लाल ने इस चुनाव के लिए जितनी मेहनत की है , कांग्रेस ने इन चुनावों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया है। पंजाब में भी भगवंत मान का कद इन उपचुनावों से बढ़ेगा या घटेगा, पर तात्कालिक उन्हें कोई खतरा नहीं नजर आता। बिहार के ये उपचुनाव प्रशांत किशोर के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हैं जहां वह पहली बार चुनावी मैदान में हैं।-अकु श्रीवास्तव
 

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