आतंकवाद का प्रायोजक है कनाडा

Edited By ,Updated: 20 Oct, 2024 04:54 AM

canada is a sponsor of terrorism

पिछले सितंबर में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सनसनीखेज आरोप लगाए थे कि उनकी सरकार ने कनाडा के कट्टरपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजैंसियों की संलिप्तता के बारे में विश्वसनीय जानकारी प्राप्त की थी। निज्जर उन भारतीय खालिस्तानी...

पिछले सितंबर में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सनसनीखेज आरोप लगाए थे कि उनकी सरकार ने कनाडा के कट्टरपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजैंसियों की संलिप्तता के बारे में विश्वसनीय जानकारी प्राप्त की थी। निज्जर उन भारतीय खालिस्तानी कार्यकत्र्ताओं में से एक था, जो 1980 के दशक में पंजाब में चरमपंथ पर सरकार की कार्रवाई के मद्देनजर देश छोड़कर भाग गया था। निज्जर की हत्या 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के परिसर में की गई थी। रॉयल कैनेडियन माऊंटेड पुलिस (आर.सी.एम.पी.) ने अपराध में शामिल होने के आरोप में 4 सिख युवकों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। पिछले एक साल में मामले में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है क्योंकि आर.सी.एम.पी.अदालतों के समक्ष कोई सबूत पेश करने में विफल रही है। हालांकि, आर.सी.एम.पी. अधिकारियों और खुद ट्रूडो ने एक बार फिर भारत की संलिप्तता के बारे में सनसनीखेज दावे करना शुरू कर दिया, इस बार उन्होंने भारत के वरिष्ठ अधिकारियों पर उंगली उठाई। 

पिछले हफ्ते वाशिंगटन पोस्ट में एक विस्तृत रिपोर्ट में मोदी सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री का नाम इस घटना में सीधे तौर पर शामिल होने के बारे में  बताया गया। यह स्पष्ट है कि ट्रूडो सरकार ने भारत सरकार के बड़े नामों को इस संदिग्ध विवाद में घसीटकर एक अराजनयिक, अगर अशोभनीय नहीं तो अशिष्ट रास्ता चुना। कई लोगों का अनुमान है कि यह उनकी पार्टी की चुनावी संभावनाओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। ट्रूडो सरकार पिछले 9 सालों से सत्ता में है और आज बहुत अलोकप्रिय है। कनाडा की अर्थव्यवस्था बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और भ्रष्टाचार के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट कर रहा है कि ट्रूडो की पार्टी जनमत सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव से 10 प्रतिशत से अधिक मतों से पीछे है।

भारत पर ‘कनाडाई लोगों के जीवन’ को खतरे में डालने का आरोप लगाने में लापरवाही बरतने का विकल्प चुनकर,ट्रूडो ने कूटनीतिक सीमा लांघ दी है। अब जब तलवारें खींची जा चुकी हैं, तो भारत को आगे आकर बैल को सींग से पकडऩा चाहिए। 
जब पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की बात आती है, तो हम सभी मंचों पर, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से, इस्लामी आतंकवाद को प्रायोजित करने, उसे पनाह देने और निर्यात करने में उनकी संदिग्ध भूमिका को उजागर करने में मुखर रहे हैं। लेकिन, किसी तरह, हम पश्चिमी शक्तियों के बारे में ऐसी ही बातें कहने से हिचकिचाते हैं क्योंकि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों जैसे उनके गलत आदर्शवादी बयानों के छद्मवेश से भयभीत हैं। जबकि दुनिया चुपचाप देखती रही, पिछले कुछ दशकों में कनाडा आतंकवाद के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन गया। पाकिस्तान पर इस्लामी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप है, जबकि कनाडा दशकों से न केवल इस्लामवादियों को बल्कि कई अन्य लोगों को पनाह दे रहा है। दुनिया के लगभग सभी प्रमुख आतंकवादी संगठनों के गुर्गे दशकों से कनाडा के शहरों से स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं। 

कथित तौर पर आर्मेनियाई आतंकवादी 1980 के दशक में आए और कनाडा को अपना अपतटीय ठिकाना बना लिया। खालिस्तानियों ने देश में प्रवेश किया और 1985 में एयर इंडिया की उड़ान 182 को बीच हवा में उड़ाने जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त रहे। तमिल टाइगर्स 1980 के दशक के अंत में आए। इसके बाद मध्य पूर्व के आतंकवादी समूह जैसे हमास, हिजबुल्लाह और अन्य फिलिस्तीनी संगठन आए। अंत में, यहां तक कि अल कायदा के गुर्गों ने भी कनाडा को अपने अमरीका विरोधी अभियानों के लिए एक सुरक्षित माध्यम पाया। कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (सी.एस.आई.एस.) के पूर्व निदेशक वार्ड एल्कॉक ने 1998 में गवाही दी थी कि ‘दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में यहां अधिक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समूह सक्रिय हैं’। 

भारत ही नहीं, कई अन्य देश भी अपनी धरती पर आतंकवादी गतिविधियों के प्रति कनाडा सरकार के उदासीन रवैये के शिकार हुए हैं। कनाडा का सबसे करीबी सांझेदार अमेरिका भी अपने पड़ोस से उत्पन्न होने वाले खतरे से बच नहीं सका। एफ.बी.आई. इस बात से बहुत चिंतित हो गया और उसने एक वर्गीकृत बुलेटिन जारी कर चेतावनी दी। हमारा मानना है कि अल कायदा का कनाडा में आतंकवादी ढांचा बना हुआ है, जिसके अमरीका से जुड़े होने के दस्तावेज मौजूद हैं। 
2006 में सत्ता में आए कंजर्वेटिव प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने अपने एक दशक के कार्यकाल के दौरान इस खतरे को नियंत्रित करने की कोशिश की। लेकिन 2015 में ट्रूडो के सत्ता में वापस आने के बाद चीजें फिर से पहले जैसी हो गईं। 

सितंबर 2023 में कनाडा के प्रमुख दैनिक ‘द ग्लोब एंड मेल’ में लिखते हुए स्तंभकार एंड्रयू कोयने ने कनाडाई राजनेताओं, ‘विशेष रूप से उदारवादियों’ पर रैलियों में भाग लेकर ‘सिख अलगाववादी वोट पाने’ की उत्सुकता का आरोप लगाया था, ‘जहां आतंकवादियों का महिमामंडन किया जाता था और आतंकवादी हमलों की प्रशंसा की जाती थी’। भारत ने पिछले 4 दशकों से आतंकवाद के खिलाफ़ कनाडा के गैर-गंभीर दृष्टिकोण के बारे में काफ़ी शिकायत की है। बदले में उसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाला जवाब मिला। अब समय आ गया है कि भारत अपनी हरकतों को और बढ़ाए और ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडा सरकार के घिनौने आतंकी चेहरे को उजागर करे।-राम माधव

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!