ए.सी. का लापरवाहीपूर्ण इस्तेमाल जानलेवा न बने

Edited By ,Updated: 05 Jun, 2024 05:30 AM

careless use of ac should not become fatal

इस वक्त देशभर में भीषण गर्मी पड़ रही है। इससे निजात पाने के लिए अधिकांश लोग अपने घरों में ए.सी. (एयर कंडीशनर) लगा रहे हैं और घरों का तापमान कम करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन खबरों की सुॢखयां देखें तो गर्मी बढऩे के साथ ही ए.सी. में ब्लास्ट की घटनाएं...

इस वक्त देशभर में भीषण गर्मी पड़ रही है। इससे निजात पाने के लिए अधिकांश लोग अपने घरों में ए.सी. (एयर कंडीशनर) लगा रहे हैं और घरों का तापमान कम करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन खबरों की सुॢखयां देखें तो गर्मी बढऩे के साथ ही ए.सी. में ब्लास्ट की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। कुछ रोज पहले उत्तर प्रदेश के नोएडा की एक हाऊसिंग सोसाइटी में लगी आग का कारण घर में लगे ए.सी.का कम्प्रैसर फटना था। इस ब्लास्ट के बाद दिन भर मीडिया में एक बहुमंजिला इमारत के इस फ्लैट में लगी आग के दिल दहला देने वाले विजुअल चलते रहे। इससे पहले 27 मई को मुंबई के बोरीवली वैस्ट के एक फ्लैट में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। नोएडा में हुई घटना की तरह वहां भी ए.सी. में आग लगने से पूरा फ्लैट जलकर राख हो गया। हरियाणा के हिसार जिले में स्थित एक अस्पताल में भी कुछ दिन पहले ए.सी. का कम्प्रैैसर फटने से आग लगी थी। 

ऐसा क्यों होता है? विशेषज्ञ बताते हैं कि ए.सी. की कूलिंग के लिए एम्बिएंस (कम्प्रैसर के आसपास) का तापमान, कन्डैंसर के तापमान से करीब 10 डिग्री सैल्सियस कम होना चाहिए। भारत में अमूमन ए.सी. के कन्डैंसर का तापमान 50 डिग्री सैल्सियस तक होता है। जब एम्बिएंस का तापमान कन्डैंसर के तापमान से अधिक हो जाता है तब ए.सी. काम करना बंद कर देता है। इन हालात में ए.सी. के कन्डैंसर पर प्रैशर बढ़ जाता है, जिस वजह से कन्डैंसर के फटने की आशंका बढ़ जाती है। जानकार बताते हैं कि कन्डैंसर से गैस लीक होने से भी ए.सी. से जुड़ी दुर्घटना हो सकती है। गैस कम होने से कन्डैंसर पर दबाव ज्यादा पड़ता है, जिससे वह अधिक गर्म होने लगता है। इससे आग लगने की आशंका बढ़ जाती है। ए.सी. की कूलिंग में कन्डैंसर कॉयल अहम भूमिका निभाते हैं। यह हवा से गर्मी को बाहर निकालते हैं। जब कॉयल गंदगी के चलते जाम हो जाता है, तब गैस के सामान्य प्रवाह में दिक्कत होती है, जिससे कन्डैंसर ज्यादा गर्म होने लगता है और आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। 

ए.सी. में आग लगने के पीछे एक और बड़ा कारण ओवरहीटिंग है। गर्मी से बचने के लिए कुछ लोग लगातार कई घंटे तक ए.सी. चला रहे हैं, जिस कारण भी कम्प्रैसर में आग लगने या विस्फोट की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा ए.सी. का लगातार इस्तेमाल करने के दौरान कई लोग समय से सर्विस नहीं कराते, जिस कारण भी गंदगी जमा हो सकती है, जिससे कम्प्रैसर पर दबाव बढ़ता है और वह फेल हो सकता है। ए.सी. में ब्लास्ट का सबसे बड़ा कारण कम्प्रैसर में रैफ्रिजरैंट गैस का लीकेज होना भी है। ऐसी स्थिति में बहुत जल्दी ब्लास्ट हो सकता है। घर की वोल्टेज बार-बार ऊपर-नीचे जाना भी कम्प्रैसर की परफॉर्मैंस पर असर डालता है। इससे कई बार ब्लास्ट होने की आशंका बढ़ जाती है।  इसके अलावा कम्प्रैसर के लिए कूलिंग फैन का सही ढंग से काम न करना भी ओवरहीटिंग और ब्लास्ट का कारण बन सकता है। ए.सी. का इस्तेमाल करने वाले बेपरवाह रहते हैं, जबकि उन्हें ए.सी. इस्तेमाल करते हुए इसकी  रैगुलर सॢवस और मेंटेनैंस करानी चाहिए। हर 6 महीने में एक बार सर्विस करानी चाहिए। कोई दिक्कत आने पर तुरंत कंपनी से संपर्क करके शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इस दौरान ए.सी. का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।

ए.सी. का इस्तेमाल करने के लिए वोल्टेज स्टैबलाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि वोल्टेज में उतार-चढ़ाव से कम्प्रैसर को नुकसान न पहुंचे। इसके अलावा सॢवस के समय रैफ्रिजरैंट गैस लीकेज की जांच करानी चाहिए। अगर किसी तरह की लीकेज होती है, तो उसे तुरंत इसे ठीक किया जाए। एयर फिल्टर और कूङ्क्षलग कॉयल्स को रैगुलर साफ करना चाहिए। इससे कम्प्रैसर पर एक्स्ट्रा प्रैशर नहीं पड़ेगा और यह सही ढंग से काम करेगा। याद रहे, एयर कंडीशनर गर्मी से बचने की एक सुविधा है, लापरवाही से इस सुविधा का  इस्तेमाल जानलेवा साबित हो रहा है। इसके रखरखाव के पैसे बचाने के चक्कर में और असावधानी से इस्तेमाल से इंसानी जिंदगी को खतरे में डाल देना कहां की समझदारी है?-डा. वरिन्द्र भाटिया

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