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मॉडलिंग के नाम पर धोखा

Edited By ,Updated: 26 Nov, 2024 05:25 AM

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अर्सा पहले अंग्रेजी की मशहूर लेखिका शोभा डे ने जन्मदिन की एक पार्टी के बारे में लिखा था। यह 90 के दशक की बात है, जब भारत की सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स और ऐश्वर्य राय मिस वल्र्ड बनी थीं। शोभा ने लिखा था कि वहां जितनी बच्चियां थीं, जब उनसे पूछा गया कि...

अर्सा पहले अंग्रेजी की मशहूर लेखिका शोभा डे ने जन्मदिन की एक पार्टी के बारे में लिखा था। यह 90 के दशक की बात है, जब भारत की सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स और ऐश्वर्य राय मिस वल्र्ड बनी थीं। शोभा ने लिखा था कि वहां जितनी बच्चियां थीं, जब उनसे पूछा गया कि वे क्या बनना चाहती हैं, तो उन्होंने कहा कि मिस वल्र्ड या मिस यूनिवर्स। जो बच्चियां खामोश रहीं, उनकी माताओं ने यही बात कही। बल्कि तब यह लेखिका गांव गई थी। वहां टी.वी. नया-नया आया था। लोगों ने इन प्रतियोगिताओं को देखा था। वहां एक लड़की की मां ने कहा था कि उनकी लड़की तो इतनी सुंदर है कि मिस वल्र्ड बनने लायक है। तब न मोबाइल थे, न फेसबुक था, न इंस्टाग्राम, स्नैपचैट या रील्स। 

आज सोशल मीडिया का जमाना है। अधिकांश माता-पिता किसी न किसी रूप में इसका प्रयोग करते हैं। ऐसे माता-पिता की भरमार है, जो अपने बच्चे को सोशल मीडिया या मीडिया के जरिए रातों-रात प्रसिद्धि दिलवाना चाहते हैं। लेकिन इसके खतरे भी बहुत हैं। ऐसे गिरोह इन माध्यमों पर सक्रिय हैं, जो माता-पिता को इस तरह का लालच देकर फ्रॉड कर रहे हैं। पिछले दिनों एक महिला फेसबुक पर थी। उस पर पोस्ट देखते-देखते अचानक उसकी नजर एक विज्ञापन पर पड़ी। एक कंपनी बच्चों को माडलिंग के अवसर देना चाहती थी। इसके लिए ट्रेङ्क्षनग देने की भी बात कही गई थी। महिला को लगा कि शायद उसकी 8 साल की बेटी को भी माडलिंग का अवसर मिल सकता है।

वह टी.वी. आदि के विज्ञापनों में आ सकती है। बहुत से सफल बच्चों की कहानियां भी बताई गई थीं। महिला ने उस विज्ञापन पर क्लिक किया तो लिंक उसे एक टैलीग्राम ग्रुप पर ले गया। वहां महिला की बातचीत ऐसे माता-पिता से हुई, जिन्होंने उसी की तरह अपने बच्चों को माडल बनाया था या बनाना चाहते थे। इसके बाद रजिस्ट्रेशन फीस मांगी गई। फिर निवेश की एक योजना बताई गई, जिसमें पैसे डालकर बच्चे के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता था। इसके साथ ही माडलिंग के असाइनमैंट्स दिए गए। इस ग्रुप के बहुत से माता-पिता ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर बताई गई योजना में निवेश किया फिर माडलिंग असाइनमैंट की शूटिंग का इंतजार करने लगे। लेकिन न तो शूटिंग शैड्यूल आया, न ही कंपनी से कोई सूचना। तब माता-पिता को लगा कि शायद उनके साथ धोखा हुआ है। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने कई महीनों की मेहनत के बाद, इस नकली कंपनी के 2 लोगों को पकड़ा। पता चला कि अब तक ऐसे 197 लोगों को ठगा जा चुका है और 4.7 करोड़ वसूले गए हैं। 

जो महिला अपनी 8 साल की बच्ची को माडल बनाना चाहती थी, उसने बताया कि वह अक्सर ऐसे  विज्ञापन देखती थी। इनमें अनेक बड़े ब्रांड्स के विज्ञापन दिखाए जाते थे और बच्चों की सफलता के बारे में बताया जाता था। वे अच्छे कपड़ों में बहुत खुश भी नजर आते थे। ऐसे में उसे लगा कि वह भी क्यों नहीं अपनी बच्ची के लिए इस अवसर का लाभ उठाती। जब उसने कंपनी से अपनी बेटी के बारे में बात की तो कहा गया कि आपकी बेटी तो माडलिंग के लिए परफैक्ट है। जिस माता-पिता के ग्रुप से जोड़ा गया था, उनमें कई ऐसे फ्राड जुड़े हुए थे, जो अपने-अपने बच्चों की सफलता की नकली कहानी सुना रहे थे और बता रहे थे कि उन्होंने भी कंपनी द्वारा मांगे पैसे दिए थे और आज उनके बच्चे बेहद सफल हैं। इसमें रजिस्ट्रेशन और निवेश के लिए रकम मांगी गई। विश्वास अर्जित करने के लिए बीच-बीच में रकम लौटाई भी गई। अंतिम बार पैसे मांगने से पहले कहा गया कि एक बड़े ब्रांड के विज्ञापन से बच्ची बस एक कदम दूर है। महिला का कहना था कि यह जानकर वह मना भी कैसे करती।

इस तरह कुल मिलाकर 5 लाख रुपए ऐंठे गए और उसके बाद हर तरह के संवाद को बंद कर दिया गया। इस महिला ने सोचा कि एक बार सफलता मिल जाए तो बच्ची का भविष्य बन जाएगा, इसके लिए उसने कुछ पैसे उधार भी लिए। लेकिन जब कंपनी ने हर तरह का सम्पर्क बंद कर दिया, तो उसे अहसास हुआ कि धोखा हुआ है। तब उसने पुलिस से सम्पर्क किया और सारे बैंक डिटेल्स दिखाए। पुलिस ने काफी छान-बीन के बाद दिल्ली की नांगलोई की एक झुग्गी-झोंपड़ी कालोनी से 2 लोगों को पकड़ा। यह ग्रुप ऐसे ही माता-पिता को निशाना बनाता था जो समय-समय पर अपने बच्चों की तस्वीरें पोस्ट करते रहते थे। इनमें भी खास तौर से उन महिलाओं को निशाना बनाया गया, जो घर में रहती थीं और किसी न किसी तरह से अपने बच्चों को प्रसिद्धि दिलाना चाहती थीं। 

बड़े ब्रांड्स के साथ बच्चों के फोटो पोस्ट किए जाते थे, जिससे कि माता-पिता झांसे में आ जाएं। माता-पिता को फंसाने के लिए उन्हें टास्क पूरे करने को दिए जाते थे और इसके बदले में प्वाइंट्स मिलते थे। शुरू में कम रकम मांगी गई और धीरे-धीरे यह बढ़ती गई। जो पैसे चले गए वे माता-पिता को मिलेंगे या नहीं, मिलेंगे तो कब और कैसे मिलेंगे कहा नहीं जा सकता। मगर माता-पिता से निवेदन है कि वे इस तरह के प्रस्तावों से दूर रहें।-क्षमा शर्मा           
 

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