राजनेताओं के दावे और हमारा फर्ज

Edited By ,Updated: 31 May, 2024 05:54 AM

claims of politicians and our duty

लहरों और समुद्र में एक बुनियादी फर्क है। लहरें किनारे से टकराती रहती हैं लेकिन सिर्फ शोर करती हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि समुद्र जब किनारे से टकराता है तो नए किनारे बना लेता है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की 543 संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों...

लहरों और समुद्र में एक बुनियादी फर्क है। लहरें किनारे से टकराती रहती हैं लेकिन सिर्फ शोर करती हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि समुद्र जब किनारे से टकराता है तो नए किनारे बना लेता है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की 543 संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों को चुनने के लिए भारत के लगभग 97 करोड़ मतदाता अथाह समुद्र की तरह हैं। भारत में चल रहे चुनाव के 6 दौर पूरे हो चुके हैं। सियासी पार्टियां सातवें दौर के लिए जोर लगा रही हैं। पंजाब की जनता 1 जून को सातवें चरण के चुनाव में वोट डालेगी। कोई 400 पार करना चाहता है तो कोई लिमिट पार करना चाहता है।

कोई अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने को संघर्ष कर रहा है तो कोई बड़े-बड़े सपने बेचकर अपना मकसद पूरा करने की कोशिश कर रहा है। हर कोई दावा करता है कि केवल वह ही इस देश को बचा सकता है ताकि आप चैन से सो सकें। पार्टी के घोषणापत्र किसी धार्मिक ग्रंथ की तरह कुछ भी गलत नहीं कहते। लेकिन ऐसा लगता है कि अब झूठ सच से बड़ा होता जा रहा है। आपके साथ सांझा करने के लिए एक बहुत ही रोचक पोस्ट यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। ऐसा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा गया था- 

ब्रेकिंग न्यूज : लोकसभा चुनाव 2 चरणों में होंगे। पहले में वे आपके चरण में होंगे और दूसरे में आप उनके चरण में होंगे। आज के नेता बॉलीवुड अभिनेताओं से भी बड़े अभिनेता हैं। ये बेहद खूबसूरत तरीके से जनता को रिझाना जानते हैं। बड़ी-बड़ी पार्टियों के बड़े-बड़े नेता पृष्ठभूमि में होने वाली घटनाओं की जिम्मेदारी अपने विपक्षी दलों के नेताओं पर डालते हैं और कहते हैं कि अगर मैं उस समय सत्ता में होता तो गलतियां नहीं होने देता। देश भर में कई समाज सेवा संगठन हैं , हमारे जैसे बुद्धिजीवी, पत्रकार बिन मांगी मुफ्त सलाह दे रहे हैं कि ‘भाई लोको’ सोच-समझकर वोट करें। लेकिन क्या इन बुद्धिजीवियों को ये नहीं पता कि आज भी हमारी जनता का एक बड़ा हिस्सा ग्लासी भाषा समझता है। यह भी सच है कि अच्छे व्यवहार वाले नेता भी जो चुनाव लड़ रहे हैं अंग्रेजी कहावत ‘व्हेन इन रोम, डू एज द रोमन्स डू’ का पालन करते हुए, न चाहते हुए भी, ग्लासी जंक्शन वाले मतदाता भी ऐसा ही करेंगे। मैंने भी नहीं हटना। समाज का एक वर्ग जिसे ‘स्विंग वोटर’ कहा जाता है, मतदान के दिन घर जाकर या पहाड़ों पर जाकर छुट्टियां बिताना पसंद करता है। 

चुनाव आयोग में कुछ खामियां हो सकती हैं, लेकिन उसकी पूरी कोशिश है कि आप किसी तरह घर से निकलें और वोट करें जिसे वोट देना चाहते हैं। अपना गुस्सा गिला, अपनी समझ  इन सबका इस्तेमाल करें और उन्हें समर्थन दें जो आपकी और देश की ताकत बन सकता है। याद रखें जलते घर को देखने वाले आप हो। आपका घर भी फूस और छप्पर का है। आग के पीछे तेज हवा है और अगला नंबर आपका है। उसकी हत्या में मैं भी चुप था। मेरी बारी अब आई। मेरे कत्ल पर आप भी चुप हैं, अगला नंबर आपका है। देश में हुए 6 चरणों के चुनावों में जो कुछ हुआ सो हुआ सातवें चरण के चुनावों में पंजाबियो को देश हित को मुख्य रख कर दिखा देना चाहिए कि पंजाबी बांटना नहीं चाहता। वह राज्य और देश की तरक्की चाहता है।  पंजाबियो, आप उन नेताओं का भ्रम दूर करें जो भोले बनकर आपको गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें बताएं कि आप भोले हैं लेकिन लापरवाह नहीं। 1 जून को अपने अधिकार के लिए मतदान अवश्य करें, अन्यथा पंजाबियो पंजाब को दुख होगा कि आप एक बार फिर पंजाब के लिए, उसके अधिकारों के लिए आगे नहीं आए।-रविंदर सिंह रॉबिन
 

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