अकाली दल बादल और ‘भर्ती कमेटी’ के बीच टकराव चरम पर

Edited By ,Updated: 08 Mar, 2025 04:57 AM

conflict between akali dal badal and  recruitment committee  is at its peak

पिछले 3 महीने से अकाली दल बादल के नेताओं और अकाल तख्त द्वारा गठित 7 सदस्यीय भर्ती कमेटी के बीच अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार अकाली दल की नई भर्ती के मुद्दे पर चल रही खींचतान उस समय सीधे टकराव की स्थिति में आ गई जब पिछले मंगलवार को अकाल तख्त साहिब के...

पिछले 3 महीने से अकाली दल बादल के नेताओं और अकाल तख्त द्वारा गठित 7 सदस्यीय भर्ती कमेटी के बीच अकाल तख्त साहिब के आदेशानुसार अकाली दल की नई भर्ती के मुद्दे पर चल रही खींचतान उस समय सीधे टकराव की स्थिति में आ गई जब पिछले मंगलवार को अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के आदेश के बाद 7 सदस्यीय कमेटी के 5 सदस्यों ने अकाल तख्त साहिब के सामने खड़े होकर अरदास करने के बाद 18 मार्च से नई भर्ती शुरू करने की घोषणा कर दी। 

शिरोमणि अकाली दल की स्थापना 1920 में अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व में हुई थी। उस समय अकाली दल का नाम किसी व्यक्ति के नाम के साथ नहीं जुड़ा था, लेकिन धीरे-धीरे अकाली दल के नेताओं की आपसी लड़ाई के कारण अकाली दल कई बार गुटों में बंट गया और जो नेता किसी बड़े गुट का अध्यक्ष होता था, उस नेता के नाम के साथ अकाली दल का नाम भी जुड़ जाता था। इसी तरह 25 साल पहले 1997 की अकाली सरकार के दौरान गुरचरण सिंह टोहड़ा और प्रकाश सिंह बादल के बीच मतभेद के कारण अकाली दल टूट गया था।गुरचरण सिंह टोहड़ा के नेतृत्व वाले गुट का नाम ‘सर्ब हिंद अकाली दल’ रखा गया, जबकि प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाले गुट को ‘अकाली दल बादल’ के नाम से जाना जाने लगा। अकाली कार्यकत्र्ताओं, आम सिखों और पंजाबियों ने अकाली दल बादल को भरपूर प्रतिक्रिया दी और उसे कई बार सरकार बनाने का मौका दिया। लेकिन पिछले 2 दशकों से आम पंजाबी और खासकर सिख संगत अकाली दल बादल के कई फैसलों से नाखुश है। इसके अलावा अकाली दल के कई बड़े नेता भी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से नाराज हो गए और उन्होंने सुखबीर सिंह बादल और उनके साथियों के खिलाफ अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से शिकायत की।

अकाली नेताओं की शिकायत के बाद अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनके सहयोगी अपने लिए सुरक्षित माहौल बनाने की दिशा में आगे बढऩे लगे और इसी कड़ी के तहत सुखबीर सिंह बादल ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी। हालांकि, इससे पहले कि अकाली दल की वर्किंग कमेटी इस्तीफे पर कोई फैसला लेती, अकाल तख्त साहिब ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए अकाली नेताओं पर धार्मिक और राजनीतिक वेतन लगा दी। अकाली दल बादल ने संवैधानिक रोक का हवाला देते हुए अकाल तख्त साहिब द्वारा गठित भर्ती कमेटी की अनदेखी की और अपने हिसाब से भर्ती की। इस भर्ती प्रक्रिया से नाराज होकर भर्ती समिति के 5 सदस्यों ने भर्ती समिति की सदस्य बीबी सतवंत कौर के माध्यम से अकाल तख्त के जत्थेदार को रिपोर्ट भेजी कि अकाली दल बादल के नेता अकाल तख्त साहिब का समर्थन नहीं करते हैं और न ही आदेशों की पालना करते हैं। 

जत्थेदार साहिब ने इसे गंभीरता से लेते हुए 5 सदस्यीय कमेटी को स्वयं भर्ती करने की मांग पर सहमति जताते हुए 5 सदस्यीय कमेटी को भर्ती करने की अनुमति दे दी। जैसा कि हमने पिछले लेख में लिखा था, अगर जत्थेदार भर्ती के लिए 5 सदस्यीय कमेटी को इजाजत दे दें तो अकाली दल के लिए कोई मुश्किल नहीं होगी। भर्ती समिति की घोषणा के बाद, अकाली दल ने भर्ती समिति के नेताओं के खिलाफ उग्र विरोध शुरू कर दिया है और सोशल मीडिया, विशेष रूप से ‘अकाली आवाज’ के माध्यम से वडाला, अयाली और झूंडा के खिलाफ एक अभियान शुरू किया गया है, जिसका उपयोग अकाली दल के प्रचार प्रसार के लिए किया जाता है। इन नेताओं के खिलाफ फोटो और अन्य सामग्री पोस्ट कर सवाल पूछे जा रहे हैं। वहीं 7 सदस्यीय नियुक्ति समिति पर अपनी जिम्मेदारियों का सही ढंग से निर्वहन नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा है।

उधर, भर्ती समिति ने भर्ती के लिए रसीद बुक छापने की तैयारी शुरू कर दी है। भर्ती करने में आने वाली संवैधानिक मुश्किलों और शिरोमणि अकाली दल की ओर से शिरोमणि अकाली दल के नाम पर भर्ती को गैर-कानूनी बताने के कारण भर्ती कमेटी शिरोमणि अकाली दल के नाम पर भर्ती नहीं करेगी। इस कारण यह भर्ती शिरोमणि अकाली दलके स्थान पर ‘अकाली दल के नाम’ पर की जाएगी। अकाल तख्त के फैसले के मुताबिक यह भर्ती कमेटी आधार कार्ड नंबर और टैलीफोन नंबर लिखने की योजना बना रही है ताकि उनके द्वारा की गई भर्ती पर फर्जी होने का आरोप न लगे और अकाल तख्त के आदेशों का पूरी तरह से पालन हो सके। आज शिरोमणि कमेटी की अंतरिम कमेटी की ओर से जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह और जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को उनके पद से मुक्त करने के फैसले पर 5 सदस्यीय कमेटी, अकाली दल बादल तथा अन्य पंथक कहलाने वाले राजनीतिक और धार्मिक दल इसे किसी भी दृष्टि से देखें मगर इन हालातों के कारण सिख संगत निराशा के आलम में है और उम्मीद जता रही है कि पंजाब के हितों को देखते हुए दोनों दल यह टकराव जल्द ही खत्म कर देंगे।-इकबाल सिंह चन्नी(भाजपा प्रवक्ता पंजाब)
 

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