कांग्रेस का अहंकार बनाम सबसे अनुभवी भाजपा कार्यकत्र्ता

Edited By ,Updated: 11 Oct, 2024 05:21 AM

congress s arrogance vs the most experienced bjp worker

हरियाणा में कांग्रेस की हार से पार्टी और उसके गठबंधन को नुकसान हुआ है। मैं हैरान हूं कि जो राज्य कांग्रेस की जेब में था, वह इतनी आसानी से और इतने बड़े अंतर से कैसे हार गया। यह सब राज्य के नेताओं के अहंकार के कारण हुआ, जो इस अभियान का अकेले नेतृत्व...

हरियाणा में कांग्रेस की हार से पार्टी और उसके गठबंधन को नुकसान हुआ है। मैं हैरान हूं कि जो राज्य कांग्रेस की जेब में था, वह इतनी आसानी से और इतने बड़े अंतर से कैसे हार गया। यह सब राज्य के नेताओं के अहंकार के कारण हुआ, जो इस अभियान का अकेले नेतृत्व कर रहे थे। कांग्रेस ने अपने सभी अंडे एक टोकरी में डाल दिए, बिना यह महसूस किए कि राज्य के अन्य नेताओं को नाराज करने के परिणाम क्या होंगे। इस परिवार के अहंकार को नहीं समझा जा सका, जिसके कारण पूरी कांग्रेस पार्टी का पतन हुआ। अन्य लोगों को समायोजित न करना हाईकमान की एक बड़ी गलती थी। लेकिन कोई जमीनी काम नहीं था और सब कुछ युवा टीम पर छोड़ दिया गया था। 

मुझे बताया गया है कि सभी निर्णय युवा टीम और पुराने लोगों द्वारा लिए गए थे।  हुड्डा को सभी निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया था। तो यह वास्तव में अहंकार बनाम सबसे अनुभवी भाजपा कार्यकत्र्ता था। वे भूल गए कि दूसरी ओर, भाजपा से जो व्यक्ति प्रभारी था, वह एक गंभीर नेता था, जो राडार के नीचे काम करता था, लेकिन जब उसे किसी राज्य का प्रभारी बनाया जाता था, तो वह परिणाम देता था। यह निश्चित रूप से पूरी भाजपा, संघ और जमीनी स्तर पर सामाजिक इंजीनियरिंग की कड़ी मेहनत और सभी को एक साथ लेकर एक टीम के रूप में काम करने का एक संयुक्त प्रयास था, जिसे भाजपा के अप्रत्याशित विजेता धर्मेंद्र प्रधान ने अंजाम दिया। आइए मैं आपको इस जादुई आदमी के बारे में कुछ जानकारी देती हूं। 

पहले ओडिशा अब हरियाणा में भाजपा की जीत के शिल्पकार बने धर्मेंद्र प्रधान : धर्मेंद्र प्रधान को भरोसा जीतना आता है। धर्मेंद्र मोदी के भरोसेमंद हैं जिनका हरियाणा चुनाव में विपक्ष के नरेटिव को ध्वस्त करने में अहम रोल रहा। धर्मेंद्र भाजपा  के बड़े ओ.बी.सी. फेस हैं। प्रधान ने इससे पहले ओडिशा में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई। धर्मेंद्र संगठनात्मक कौशल के माहिर हैं और  माइक्रो मैनेजमैंट के महारथी भी हैं। बिहार में भाजपा की जीत के माहिर रहे हैं। सोशल इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट हैं। प्रधान मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में शिक्षा मंत्री हैं। इसके पहले भी मोदी सरकार-2 और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह बड़े पोर्टफोलियो के मंत्री रह चुके हैं।
ओडिशा से आने वाले प्रधान का संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर काम करने का अनुभव रहा है, वह विधायक, राज्यसभा सांसद और लोकसभा सांसद के रूप में अपने जनाधार और अपनी कुशल रणनीति के लिए जाने जाते हैं। प्रधान को उज्ज्वला मैन भी कहा जाता है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पैट्रोलियम मंत्री रहते हुए उज्ज्वला योजना शुरू करने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। यह स्कीम मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। 

राज्यों पर नजर..
-2008 में छत्तीसगढ़ में पार्टी को जीत दिलाने में धर्मेंद्र की अहम भूमिका रही। 
-2010 में बिहार में भाजपा की सरकार बनी। 
-2012 में उत्तराखंड में भाजपा को 32 सीटों में जीत मिली।
-2014 में बिहार में लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड प्रतिसाद
-2017 में उत्तराखंड विजय
-2019 में ओडिशा में लोकसभा में 8 सीटें जीतीं
-2022 में यू.पी. में भाजपा की जीत
-2023 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में जीत 

प्रधान ने ओडिशा में  2024 के विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक की 2 दशक की सरकार की विदाई कराई और पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकार बना कर ओडिशा में इतिहास रच दिया! हरियाणा भाजपा की ऐतिहासिक जीत के शिल्पकार बने और ग्राऊंड पर कार्यकत्र्ताओं से रियल टाइम फीडबैक लिया और हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक के सबसे बड़े सूत्रधार बने! प्रधान ने ममता के गढ़ नंदीग्राम में ममता को हराया। पार्टी ने पश्चिम बंगाल में 2021 के चुनाव का भी काम सौंपा था। नंदीग्राम सीट की जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान के पास थी, इस सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं अपना चुनाव हार गई थीं। नंदीग्राम सीट की रणनीति के अहम् सूत्रधार स्वयं धर्मेंद्र प्रधान थे! भाजपा के अनुभवी चुनाव रणनीतिकार  प्रधान के कुशल प्रबंधन ने नंदीग्राम सीट की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

मुझे उम्मीद है कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में कांग्रेस की हार से राहुल गांधी को आत्मचिंतन का पर्याप्त कारण मिलेगा और उनका अहंकार और चीजों को हल्के में लेने की आदत भी खत्म हो जाएगी। उन्हें सहयोगियों का विश्वास जीतने और हर राज्य के हर नेता को साथ लेकर चलने की जरूरत है, दुख की बात है कि कांग्रेस ने अनुभवी संगठनात्मक कुशल लोगों को खो दिया है। केवल वे नेता ही बचे हैं जो मीडिया से बात करते समय इतने अहंकारी लगते हैं कि जनता चिढ़ जाती है और निश्चित रूप से हमने इसके परिणाम देखे हैं। कांग्रेस को अपने पत्ते बदलने चाहिएं, रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए और शायद उन नेताओं को वापस लाने की कोशिश करनी चाहिए जो अपने बहुत जूनियर सहयोगियों के असंतोषजनक और बुरे व्यवहार के कारण पार्टी छोड़कर चले गए हैं। भाजपा को इस सफलता के लिए सलाम और यह दिखाने के लिए कि एग्जिट पोल के राजनीतिक पंडित फ्लॉप सीन हैं।-देवी एम. चेरियन

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!