क्रिकेट अब ‘सज्जनों’ का खेल नहीं रहा

Edited By ,Updated: 20 Oct, 2023 05:16 AM

cricket is no longer a  gentleman s  game

वल्र्ड कप के वन-डे फार्मेट में हिस्सा लेने के लिए भारत आई पाकिस्तान क्रिकेट टीम कुछ खास मजबूत नहीं है।

वल्र्ड कप के वन-डे फार्मेट में हिस्सा लेने के लिए भारत आई पाकिस्तान क्रिकेट टीम कुछ खास मजबूत नहीं है। फिर भी इसने बहुत ध्यान आकर्षित किया है। ऐसा नहीं है कि केवल क्रिकेट प्रेमी ही उत्साह से भरे हुए हैं यहां तक कि हमारी 30 साल की घरेलू नौकरानी मैरी भी जो क्रिकेट और फुटबाल के बीच अंतर नहीं जानती, खाना पकाने में व्यस्त होने के बावजूद भी बगल के कमरे में टैलीविजन से आने वाली चीख-पुकार सुनकर रसोई से बाहर भाग आती है। 

एक शांत एंग्लो-इंडियन क्रिकेटर ऑल राऊंडर रोजर बिनी जो 1983 के विश्व कप में कपिल देव की विजेता टीम का हिस्सा थे, को बेंगलूर में गुमनामी से बाहर निकाला गया और सबसे अमीर और सबसे शक्तिशाली क्रिकेट के अध्यक्ष के रूप में स्थापित किया गया। विश्व क्रिकेट में अहम् भूमिका निभाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री के बेटे जयशाह भारतीय क्रिकेट के निॢववाद बोस हैं। उनके पिता अमित शाह आज देश के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं। क्रिकेट में अब पहले जैसा जनून नहीं है। भारतीय उपमहाद्वीप ने वैस्टइंडीज को एक लम्बे शॉर्ट से पछाड़ दिया है। जैसे वैस्टइंडीज ने दुनिया में खेल के प्रमुख प्रेरकों के रूप में इंगलैंड और आस्ट्रेलिया को पीछे छोड़ दिया था। 

महाराष्ट्र में नवांनगर के महाराजा रणजीत सिंह ने, जिनके नाम पर रणजी ट्राफी का नाम रखा गया था, के बारे में ए.जी. गाॢडनर ने कहा है कि रणजीत सिंह जी एक छोटे राज्य के राजकुमार थे, लेकिन उन्हें राजा के रूप में संदर्भित किया था। रणजीत सिंह जी के बाद विजय मर्चेंट आए जो सज्जन क्रिकेटर थे, जिन्होंने राष्ट्रीय टीम की कप्तानी की लेकिन शानदार जीवनयापन के लिए बॉम्बे (अब मुंबई) में अपनी कपड़ा मिल चलाई। क्रिकेटर सज्जनों का खेल नहीं रहा। पाकिस्तानी खिलाडिय़ों के लिए यह एक पेशे के रूप में विकसित हो सकता है। जहां अगर वास्तव में प्रतिभाशाली है और निश्चित रूप से अनुशासित है तो एक अच्छा आकर्षक जीवनयापन किया जा सकता है। ऐसे स्काऊट्स हैं जो हमेशा प्राकृतिक प्रतिभा की तलाश में रहते हैं। 

कुछ पुराने खिलाडिय़ों द्वारा संचालित अकादमियां हैं जो ऐसी प्रतिभा का पोषण करती हैं पैसा भी इसके पीछे आ गया है। क्रिकेट का खेल अब बूढ़ों के बीच भी बेहद लोकप्रिय हो रहा है। जहां पैसा होगा वहां राजनेता भी पीछे नहीं रहेंगे। कई भावी मुख्यमंत्रियों ने राज्य क्रिकेट निकायों के अध्यक्ष पद के लिए अपनी राह बना ली है। उन्होंने गंभीर क्रिकेट नहीं खेला है। केवल गली या सॉफ्ट बॉल किस्म की क्रिकेट खेली है। वे राजनीति करने से समय बचाते हैं क्योंकि नौकरी उन्हें अपना प्रभाव फैलाने का मौका देती है और प्रचुर धन प्रदान करती है। भारत-पाकिस्तान मैच में अमित शाह भी दर्शक थे। इससे उन्हें कुछ देर आराम करने का मौका मिला। स्टेडियम में उन्हें अपनी पत्नी और पोती के साथ देखा गया। उनकी उपस्थिति 1.20 लाख दर्शकों की स्मृति में दर्ज की गई थी। जिनमें से बहुत से लोग चुनाव के समय और स्थान पर मतदान करेंगे। 

भाजपा भारतीय टीम की इस महान जीत को प्रचार तंत्र के रूप में भुनाएगी। स्टेडियम का नाम वल्लभभाई पटेल स्टेडियम के मूल नामकरण को हटाकर हमारे प्रधानमंत्री के नाम पर रखा गया है। एशियाई खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों ने अच्छा प्रदर्शन किया और इसका श्रेय भी मोदी जी को जाएगा। भाजपा विरोधियों, आलोचकों और विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी की संख्या सहित सभी प्रकार के रिकार्ड तोडऩे की राह पर है। वर्तमान वन-डे विश्व कप में एक शानदार आंकड़ा सामने आया है। क्रिकेट की जननी इंगलैंड अफगानिस्तान से अपना मैच हार गई। आप ने कभी सोचा नहीं होगा कि युवा अफगानों की नवोदित टीम अपने स्पिन गेंदबाजों के नेतृत्व में इंगलैंड को हरा देगी। नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत बनाम पाकिस्तान मैच के बारे में लगातार और सार्वभौमिक रूप से मानी जाने वाली अफवाह यह है कि जनता के लिए प्रस्तावित टिकट बिक्री के लिए रखे जाने के एक घंटे के भीतर ही टिकट बिक गए थे। भले ही इन टिकटों की कीमत आम आदमी की पहुंच से बाहर थी लेकिन वह जल्दी ही गायब हो गई लेकिन वे एक लाख रुपए से  अधिक की राशि वाली टिकट अमीरों के लिए उपलब्ध थी। यदि यह सच है और अधिकांश नागरिकों की तरह मैं भी इसे सत्य मानता हूं तो प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) के हाथ में एक बड़ा काम है। 

बेहिसाब पैसा आखिर कहां गया? यह बी.सी.सी.आई. या गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन या उनके पदाधिकारियों के खजाने में नहीं जा सकता था। कुछ व्यक्ति अवश्य ही अत्यधिक धनवान हो गए होंगे! यह व्यक्ति कौन है? क्या वे किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं? क्या इस काले धन का इस्तेमाल आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में किया जाएगा? यह लाख टके का सवाल है। गुजरात और खासकर अहमदाबाद की पुलिस को पूरे घोटाले की जानकारी होगी लेकिन उनके मुंह पर ताला लगा ही रहेगा। ई.डी. और परेशान नागरिकों के संदेह को दूर करने के लिए चुनाव आयोग को भी जांच में शामिल होना चाहिए। गुजरात के लोग इस तरह के षड्यंत्रों को बुरी नजर से नहीं देख सकते हैं या यहां तक कि संदेह से भी नहीं देख सकते हैं। लेकिन जो पार्टी एक अंतर के साथ एक होने का दावा करती है, उसे ऐसी अफवाहों पर अपने कान बंद नहीं करने चाहिएं इसमें बहुत अधिक पैसा शामिल है। 

नरेंद्र मोदी स्टेडियम दो पारम्परिक प्रतिद्वंद्वियों को शामिल करते हुए इस विशेष मैच को तय करने के कई कारण थे। सबसे पहले यह क्षमता वाली भीड़ को आकॢषत करेगा और नरेंद्र मोदी स्टेडियम को 1.20 लाख लोगों को समायोजित करने के लिए बनाया गया था। दूसरा, यह टूर्नामैंट 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों के बहुत करीब निर्धारित किया गया था। एक भारतीय जीत राष्ट्रवादी भावनाओं को जन्म देगी जिसे पार्टी प्रचार मशीन द्वारा सीधे प्रचार मशीन हमारे सर्वोच्च नेता तक पहुंचाया जा सकता है। ऊपर बताए गए दोनों कारणों को वैध माना जा सकता है लेकिन अगर इसमें पैसे का एंगल भी है तो यह वास्तव में पाप पूर्ण और अस्वीकार्य है।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

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