Edited By ,Updated: 22 Oct, 2024 05:28 AM
यह देश का दुर्भाग्य है कि कानून को हाथ में लेकर अपराधों के खौफ के जरिए शासन के समानान्तर सत्ता कायम करने की कोशिश करने वाले शातिर अपराधियों को किसी हीरो की तरह महिमामंडित करने की कोशिश की जाती है।
यह देश का दुर्भाग्य है कि कानून को हाथ में लेकर अपराधों के खौफ के जरिए शासन के समानान्तर सत्ता कायम करने की कोशिश करने वाले शातिर अपराधियों को किसी हीरो की तरह महिमामंडित करने की कोशिश की जाती है। सोशल मीडिया इस मामले में आग में घी डालने का काम करता है। यह सिलसिला आतंकियों से लेकर देश में संगठित अपराध गिरोह चलाने वाले अपराधियों तक जारी है। इसमें चाहे आतंकी बुरहान वानी हो या फिर गैंगस्टर लारैंस बिश्नोई, सब कानून की निगाह में अपराधी होते हुए भी खुद को मसीहा साबित करने की कोशिश में अपने दागों को छिपाने का प्रयास करते रहे हैं। दुर्भाग्य यह है कि आतंकी, माफिया या गैंगस्टर्स, इनके काले कारनामों को प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर संरक्षण देने का काम नौकरशाह और नेताओं ने किया है।
मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या सुॢखयों में है। इस मामले में कुख्यात गैंगस्टर लारैंस बिश्नोई का हाथ बताया जा रहा है। सिद्दीकी फिल्म अभिनेता सलमान खान के करीबी थे। हत्या की वजह यही बताई जा रही है। गौरतलब है कि बिश्नोई की सलमान खान से एकतरफा पुरानी दुश्मनी है। सलमान पर करीब डेढ़ दशक पहले जोधपुर में शूटिंग के दौरान काले हिरणों के शिकार का आरोप है। इस आरोप के बाद से बिश्नोई गैंग सलमान और उसके परिवार के सदस्यों के पीछे हाथ धोकर पड़ा है। दरअसल राजस्थान का बिश्नोई समाज पशुप्रेमी माना जाता है। काले हिरणों से विशेष लगाव इस समाज की आस्था का प्रतीक है। लारैंस भी बिश्नोई समाज से है, इसी कारण अभिनेता सलमान खान से बदला लेने की फिराक में है।
यह पहला अवसर नहीं है जब किसी गैंगस्टर या आतंकी ने अपने अपराधों पर पर्दा डालने के लिए भावनात्मक चाल चली हो, आतंकी बुरहान वानी, हिजबुल मुजाहिद्दीन नाम के इस्लामिक आतंकवादी संगठन का नेता था। बुरहान वानी की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर में 51 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 400 लोग घायल हुए थे। बुरहान वानी की बरसी के दिन ही लश्कर-ए-तोएबा ने अमरनाथ यात्रा पर हमला किया था। इस हमले में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसी तरह खालिस्तान समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अजनाला पुलिस स्टेशन में अपने करीबी को छुड़ाने के लिए हजारों समर्थकों के साथ हमला बोल दिया था। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे। अमृतपाल 2024 में खडूर साहिब लोकसभा सीट से संसद सदस्य चुना गया है।
माफिया से राजनेता बनने वालों ने भी वोटों की राजनीति के जरिए अपने अपराधों को भलाई का जामा पहनाने का प्रयास किया है। उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद के नाम पर 1985 से उसके मारे जाने तक 100 से अधिक मामले दर्ज हुए। अतीक के भाई अशरफ के नाम पर 53 मुकद्दमे दर्ज हुए। 15 अप्रैल, 2023 को जांच के लिए अस्पताल ले जाते समय उसकी व उसके भाई अशरफ की गोली मार कर हत्या कर दी गई। उत्तर प्रदेश के कुछ कुख्यात माफिया और गैंगस्टर्स में मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह, खान मुबारक, सलीम, सोहराब, रुस्तम, बबलू श्रीवास्तव, लउमेश राय और कुंटू सिंह शामिल रहे।
बिहार में भी लंबे अर्से तक माफिया और गैंगस्टर्स राजनीति की आड़ में अपराध करते रहे। जिला कलैक्टर जी. कृष्णैया की हत्या के दोषी बाहुबली आनंद मोहन के लिए नीतीश सरकार ने कारावास नियमों में ही बदलाव कर दिया। बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन तेजाब कांड से लेकर कई ऐसे कांड का आरोपी रहा, जिनके बारे में पढ़ कर आज भी लोग सिहर उठते हैं।
रेलवे ठेकों का बेताज बादशाह सूरजभान सिंह का एक समय तक पटना से लेकर गोरखपुर तक रेलवे टैंडरों में एकछत्र राज था। सिंह 90 के दशक से अपनी धमक से पहले विधायक बने और फिर बाद में सांसद।
बाहुबली अनंत सिंह को ए.के. 47 कांड में सजा हुई जिसके बाद उन्होंने अपनी विधायकी गंवा दी। लेकिन मोकामा सीट पर उपचुनाव में इनकी पत्नी ने विधायक की कुर्सी बरकरार रखी। सुनील पांडेय को पिता की हत्या ने विचलित कर दिया और यह बाहुबल के मैदान में कूद गए। इनकी धमक ऐसी थी कि साल 2000 में इन्होंने भोजपुर के पीरो से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। बिहार के ही पप्पू यादव पर विधायक अजीत सरकार की हत्या का आरोप लगा।
दोषी साबित होने पर अदालत ने पप्पू यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और बरी कर दिए गए। लालू यादव की पार्टी राजद का कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह पूर्व विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में जेल में रहा। वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह ने जनता दल की टिकट पर भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। काली प्रसाद पांडेय को 80-90 के दशक में बाहुबलियों का गुरु कहा जाता था।
पूरे देश में यदि ऐसे आतंकियों और अपराधियों की गिनती की जाए तो उनकी फेहरिस्त काफी लंबी होगी। जिन्होंने अपराधों के काले अध्याय लिख कर सहानुभूति बटोरने का प्रयास किया। सुरक्षा तंत्र ऐसे अपराधियों को सिर उठाते ही कुचलने की कोशिश नहीं करता। इनके अपराधों की सूची जब लंबी होती जाती है, तब कहीं जाकर कार्रवाई की नौबत आती है। -योगेन्द्र योगी