नागरिकों की सतर्कता से ही रोके जा सकते हैं साइबर अपराध

Edited By ,Updated: 29 Oct, 2024 05:45 AM

cyber  crime can be prevented only by the vigilance of citizens

समाज समाज में इंटरनैट की मदद से तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ ही साइबर अपराध यानी तकनीक से जुड़े अपराधों में भी जबरदस्त वृद्धि हो रही है। यह एक संगठित ऑनलाइन आॢथक अपराध माना गया है जिसे कि देश विरोधी तत्वों द्वारा एक बेहद ही सुनियोजित तरीके से चलाया...

समाज समाज में इंटरनैट की मदद से तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ ही साइबर अपराध यानी तकनीक से जुड़े अपराधों में भी जबरदस्त वृद्धि हो रही है। यह एक संगठित ऑनलाइन आॢथक अपराध माना गया है जिसे कि देश विरोधी तत्वों द्वारा एक बेहद ही सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा है। लोगों की कड़ी मेहनत की कमाई को एक ही झटके में ठगने के लिए साइबर अपराधी लगातार नित नए तरीके अपना रहे हैं। ये अपराधी इस कदर शातिर और बेखौफ हैं कि केंद्रीय जांच ब्यूरो, नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक और प्रवर्तन निदेशालय समेत कानून लागू करने वाली तमाम अन्य एजैंसियों की हू-ब-हू नकल करते समय किसी को भी अपने गलत होने की तनिक भी भनक नहीं लगने देते।

हाल के समय में देश के विभिन्न भागों में हर उम्र वर्ग के लोगों, यहां तक कि प्रबुद्ध व शिक्षित वर्ग के लोगों को भी इन शातिरों ने अपना शिकार बनाया है। किसी व्यक्ति को डिजिटल तौर पर बंधक बना कर भारी-भरकम लूटने की घटनाएं अक्सर देश भर के मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं। आगरा की ऐसी ही एक हृदय विदारक घटना ने तो सभी को झकझोर कर रख दिया, जिसमें एक अधेड़ उम्र की महिला शिक्षिका ने ऐसे ही साइबर अपराधियों द्वारा उसके परिजनों पर लगाए बेहद संगीन झूठे आरोपों से व्यथित होने के बाद अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली।

निश्चित रूप से हमारे सभ्य समाज के लिए ऐसी घटनाएं एक बेहद ही ङ्क्षचताजनक पहलू हैं कि एक सुशील नागरिक तथ्यहीन और झूठे आरोपों के चलते अकारण अपनी जान दे दे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर रविवार को प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी डिजिटल अरैस्ट की चर्चा करते हुए लोगों को सावधान रहने की सलाह देते हुए यह स्पष्ट किया कि देश के कानून में ‘डिजिटल अरैस्ट’ जैसी कोई व्यवस्था है ही नहीं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष प्रति एक लाख नागरिकों पर साइबर अपराध से जुड़े 129 मामले दर्ज हुए हैं। साइबर अपराध संबंधी यह वह संख्या है जो कि ब्यूरो के पोर्टल पर रिपोर्ट हुई है जबकि इससे कहीं अधिक ऐसे मामले भी निश्चित रूप से रहे होंगे जिनमें साइबर ठगी का शिकार लोगों ने खामोश रह कर नुकसान झेलना ही बेहतर समझा होगा।

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध की संख्या में अमरीका और इंगलैंड के बाद दुनिया में भारत तीसरा ऐसा देश है जहां ये अपराध लगातार आसमान की ऊंचाई की तरफ अग्रसर हैं। आम व्यक्ति ही नहीं बड़ी-बड़ी कारोबारी कंपनियां, व्यापारिक प्रतिष्ठान और बड़े औद्योगिक घराने भी साइबर अपराधियों का निशाना बन रहे हैं। इसे देखते हुए अनेक कंपनियों ने साइबर अपराधियों के आक्रमण को रोकने के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं ली हुई हैं। भारत सरकार का गृह मंत्रालय साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए लगातार प्रयत्नशील है और अन्य मंत्रालयों व एजैंसियों के साथ मिलकर इस दिशा में कई कदम उठाए भी गए हैं। गृह मंत्रालय साइबर अपराध के मामलों की पहचान के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को तकनीकी सहायता समेत अन्य विभिन्न किस्म की सहायता उपलब्ध करवा रहा है। 

देश के नागरिकों को साइबर अपराधियों से बचाने के लिए भले ही भारत सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है मगर इसकी सफलता के लिए आम नागरिकों की जागरूकता व सतर्कता भी बेहद जरूरी है। नागरिकों की सतर्कता से ही ऐसे अपराधियों व समाज विरोधी तत्वों के इरादों को पस्त कर साइबर अपराध से खुद को सुरक्षित किया जा सकता है। किसी भी अनजान कॉल, एस.एम.एस. और ई-मेल से पूरी तरह सचेत रहना जरूरी है। किसी भी नागरिक के पास आने वाली हर संदिग्ध फोन कॉल को लेकर साइबर अपराध की हैल्पलाइन नंबर 1930 पर जानकारी सांझा की जाए और घटना की तुरंत रिपोर्ट 222.ष्4ड्ढद्गह्म्ष्ह्म्द्बद्वद्ग. द्दश1.द्बठ्ठ पर की जाए ताकि साइबर अपराध रोकने में लगी विभिन्न एजैंसियां अपना कार्य समय पर करके पीड़ित नागरिक को राहत दिलवाने में मददगार बन सकें। भले ही चुनौती बड़ी है लेकिन नागरिकों की सतर्कता और जागरूकता से इससे आसानी से निपटा जा सकता है। 

पंजाब में भी पुलिस विभाग ने 28 नए साइबर पुलिस थानों के साथ-साथ अपनी साइबर हैल्पलाइन 1930 को मजबूत करते हुए ‘अति उन्नत कॉल सैंटर’ स्थापित किया है। इसके साथ ही साइबर अपराध से जुड़े मुद्दों पर लोगों की मदद के लिए ‘साइबर मित्र चैटबॉट’ लांच किया गया है। इसी कड़ी में देशभर के सभी शिक्षण संस्थानों खास तौर पर स्कूलों में बच्चों को साइबर अपराधों से निपटने के लिए सभी तरह की जानकारी उपलब्ध करवाना समय की एक बड़ी मांग है हालांकि इस दिशा में प्रयास किए भी गए हैं मगर उन्हें और अधिक रफ्तार देने की जरूरत है।-शिशु शर्मा ‘शांतल’ 
 

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