कनाडा गए भारतीय युवाओं में बढ़ रही निराशा वतन वापसी का रुझान पैदा होने लगा!

Edited By ,Updated: 24 Jul, 2024 04:31 AM

disappointment is growing among indian youth who went to canada

देश में रोजगार के अवसरों की भारी कमी के चलते बड़ी संख्या में युवा शिक्षा, रोजगार और जीवन-यापन की बेहतर सुविधाओं के लिए अन्य देशों के साथ-साथ कनाडा जा रहे हैं परन्तु अब कनाडा में भारतीय युवाओं को अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।

देश में रोजगार के अवसरों की भारी कमी के चलते बड़ी संख्या में युवा शिक्षा, रोजगार और जीवन-यापन की बेहतर सुविधाओं के लिए अन्य देशों के साथ-साथ कनाडा जा रहे हैं परन्तु अब कनाडा में भारतीय युवाओं को अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। कनाडा गए भारतीय युवाओं, जिनमें बड़ी संख्या छात्रों की है, को अत्यंत खराब हालात का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें वहां रहने के लिए मकानों से लेकर शिक्षा संस्थानों और कार्य स्थलों पर कठिनाइयों और शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। कनाडा के इमीग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने भी माना है कि‘‘कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्र धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं।’’ 

कनाडा में मकानों की भारी समस्या है। बेसमैंटों में 20-20, 25-25 युवक-युवतियां एक साथ रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं जहां कोई प्राइवेसी नहीं है। हालत यह है कि भारत में अपने माता-पिता को रुपए कमा कर भेजने की बजाय वे स्वयं उनसे पैसे मंगवा कर गुजारा कर रहे हैं। वास्तव में कनाडा में लोगों की जनसंख्या बढ़ गई है और काम घट गया है। इसी कारण डिप्रैशन तथा अन्य मानसिक बीमारियों का शिकार होकर भारतीय युवा नशों की शरण में भी जा रहे हैं और स्थिति इस कदर खराब है कि लड़कियों को अपना खर्चा चलाने के लिए वेश्यावृत्ति तक करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। कनाडा में भारतीय व्यवसायियों से जबरन वसूली के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं और संगठित अपराधी गिरोहों द्वारा दक्षिण एशियाई व्यापारियों को निशाना बनाकर धमकाने और उनसे प्रोटैक्शन मनी तक की मांग की जाने लगी है। वहां जबरन वसूली के शिकार परमिन्द्र सिंह संघेड़ा का एक वीडियो हाल ही में सामने आया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर निशाना साधते हुए कहा है कि ‘‘यहां के राजनेताओं ने कनाडा को एक तीसरे दर्जे का देश बना दिया है। लोगों का काम-धंधा ठप्प हो जाने के कारण बेरोजगारी बढ़ गई है।’’ 

सर्दियों के दिनों में लगने वाले रोजगार मेलों में छात्रों की लम्बी-लम्बी कतारें लगती हैं, जिनमें कुछेक को ही नौकरी मिल पाती है। जीवन-यापन के खर्च, कालेज की फीस और नौकरी का कोई भरोसा न होने के कारण, विशेषकर कनाडा गए नए छात्रों के मन में हमेशा चिंता बनी रहती है। ब्रैम्पटन में एक निजी ‘फ्यूनरल होम’ का कामकाज देखने वाले एक व्यक्ति का कहना है कि पिछले कुछ समय के दौरान यहां अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मृत्यु दर में काफी वृद्धि हुई है। प्राकृतिक मौतों और दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों के अलावा कुछ मौतों का कारण आत्महत्या तथा नशों की ओवरडोज और नशे में वाहन चलाना भी है। इस तरह के हालात के बीच जहां कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार देश में विदेशियों की संख्या कम करने के प्रयासों में जुटी है, वहीं कनाडा गए  आप्रवासियों को बेरोजगारी की मार झेलनी पड़ रही है। 

कनाडा में कंपनियां उच्च ब्याज दरों से जूझ रही हैं। इसी कारण वे पिछले 2 वर्षों से नियुक्तियां करने में झिझक रही हैं। आप्रवासियों की भारी आमद के कारण 1957 के बाद पिछले 67 वर्षों में कनाडा की जनसंख्या में सर्वाधिक तेजी से वृद्धि हुई है, जिस पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कुछ समय पूर्व एक भाषण के दौरान कहा था कि ‘‘हम इसमें कमी लाना चाहते हैं।’’ चूंकि कनाडा में स्थायी नागरिकता प्राप्त करने वाले लोगों में सर्वाधिक लोग भारतीय हैं, इसलिए उन्हीं पर बेरोजगारी की सर्वाधिक मार पडऩे की आशंका है। इस तरह के हालात के बीच कनाडा में रहने वाले अनेक युवा वापस स्वदेश लौटने तक के विषय में सोचने लगे हैं। अत: केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें अपने यहां रोजगार के अधिकतम अवसर पैदा करें ताकि युवाओं में विदेश जाने का रुझान रुक सके।—विजय कुमार 

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