तू इधर-उधर की न बात कर

Edited By ,Updated: 06 Sep, 2024 05:10 AM

don t you talk about this and that

बीते सप्ताह नैटफ्लिक्स पर सत्य घटनाओं पर आधारित एक वैब सीरीज रिलीज हुई जिसे लेकर काफी बवाल मचा। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा, नैटफ्लिक्स ने बिना किसी विलंब के स्पष्टीकरण भी दे दिया।

बीते सप्ताह नैटफ्लिक्स पर सत्य घटनाओं पर आधारित एक वैब सीरीज रिलीज हुई जिसे लेकर काफी बवाल मचा। जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा, नैटफ्लिक्स ने बिना किसी विलंब के स्पष्टीकरण भी दे दिया। परंतु जिस तरह सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं उस स्थिति पर तो मशहूर शायर शहाब जाफरी का ये शे’र एक दम सही बैठता है, ‘तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि काफिला क्यों लुटा? मुझे रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है।’ 

आज हम बात करेंगे देश के इतिहास में हुए सबसे खौफनाक हवाई अपहरण की। इस हाईजैक को लेकर बनी वैब सीरीज पर इन दिनों काफी बवाल मचा हुआ है। परंतु सवाल उठता है कि यदि ओ.टी.टी. प्लेटफार्म ने भूल को सुधार ही लिया है तो फिर बवाल किस बात का? बवाल या विवाद यदि होना ही है तो उस समय की परिस्थितियों को लेकर हो तो शायद सत्य जनता के सामने आए। यदि चंद घंटों के लिए आपकी ट्रेन या फ्लाइट में देरी हो जाए तो आप किस कदर परेशान हो जाते हैं इसका अनुमान तो आसानी से लगाया जा सकता है। परंतु यदि आप अपने गंतव्य पर जा रहे हैं और अचानक से आपके विमान को हाईजैक कर लिया जाए तो आपकी क्या मनोस्थिति होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। 

अपहरण जैसे हादसे न सिर्फ यात्रियों की बल्कि यात्रियों के परिवारों और सरकार की भी परेशानी का सबब बन जाते हैं। क्योंकि न तो कोई सरकार या कोई भी यात्री इन परिस्थितियों के लिए तैयार रहता है। 1999 में हुए आई.सी.-814 का अपहरण, भारत के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा चलने वाला अपहरण है। इस अपहरण को लेकर उस समय की सरकार द्वारा ‘लिए गए’ और ‘न लिए गए’ निर्णयों पर विवाद एक बार फिर से गरमा गया है। सत्तापक्ष का कहना है कि नैटफ्लिक्स पर दिखाए जाने वाली वैब सीरीज ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। यदि ऐसा है तो निर्माताओं द्वारा ऐसा करना बिल्कुल गलत है। वहीं इस विमान में मौजूद एक महिला यात्री का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी हुआ है जिसने इस बात को खुल कर कहा है कि वैब सीरीज में दिखाए गए सभी घटनाक्रम सही हैं। 

विवाद की बात करें तो सत्तापक्ष को इस बात पर एतराज था कि वैब सीरीज के निर्माताओं ने पाकिस्तानी मूल के अपहरणकत्र्ताओं के असली नाम नहीं बताए। उनके कोड नामों को ही प्रचारित किया गया है। चूंकि मैंने इस वैब सीरीज को पूरा देखा है इसलिए मैं और मेरे जैसे सभी दर्शक इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि भारत की खुफिया जांच एजैंसियों के जिन अधिकारियों को इस वैब सीरीज में दिखाया गया है, उनमें से कई अधिकारियों ने इन आतंकी अपहरणकत्र्ताओं के असली नाम भी लिए हैं। परंतु इस तथ्य को भी नहीं झुठलाया जा सकता है कि, हाईजैकिंग के दौरान आई.सी.-814 में सवार यात्रियों ने पूछताछ में बताया था कि हाईजैकर्स एक-दूसरे को बुलाने के लिए कोडनेम का इस्तेमाल कर रहे थे। ये कोडनेम चीफ, डाक्टर, बर्गर, भोला और शंकर थे। 

यह बात भी सही है कि इनके असली नाम इब्राहीम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, शनि अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे। इन नामों का खुलासा 6 जनवरी 2000 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में किया गया। जिस बात को लेकर इस वैब सीरीज पर बवाल हुआ है वह यह कि ऐसे आतंकियों को हिंदू कोडनेम से क्यों बुलाया गया है? गौरतलब है कि जिस किसी ने भी यह वैब सीरीज देखी है वह बड़ी आसानी से इस बात की पुष्टि कर सकता है कि किस तरह नेपाल में पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी इनका सहयोग कर रहे थे। विमान में यात्रा से पूर्व इन आतंकियों के पहनावे से भी यह बात स्पष्ट हो जाती है कि वे हिंदू नहीं थे। तो फिर बिना बात का बवाल क्यों? वहीं उस समय के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ये मानते हैं कि आई.सी.-814 के अपहरण को भारत सरकार द्वारा सही से ‘मैनेज’ नहीं किया गया। 

किस तरह एक सरकारी विभाग, दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालता रहा। एक टी.वी. चैनल को साक्षात्कार देते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व डी.जी.पी. डा. एस.पी. वैद के अनुसार, ‘‘उस समय की सरकार के क्राइसिस मैनेजमैंट ग्रुप ने निर्णय लेने में बहुत देर लगाई। यदि उस विमान को अमृतसर हवाई अड्डे से उडऩे नहीं दिया जाता तो तस्वीर पूरी तरह बदल जाती।’’

आई.सी.-814 के अपहरण के बदले छोड़े जाने वाले खूंखार आतंकवादियों के विषय में डा. वैद कहते हैं, ‘‘ऐसे खूंखार आतंकियों को जिंदा पकडऩा ही गलत है।’’ यहां मुझे एक दिलचस्प किस्सा याद आ रहा है। अब से कई वर्ष पहले मुरादाबाद में मैं एक कार्यक्रम में शामिल हुआ था जहां पंजाब के पूर्व डी.जी.पी. के.पी.एस. गिल से एक महिला ने सवाल पूछा, ‘‘गिल साहब जब आप पंजाब में खूंखार आतंकियों को पकड़ते थे तो आपको कैसा महसूस होता था?’’

गिल साहब के उत्तर को सुन पूरा हॉल ठहाके लगा कर हंस पड़ा। उनका उत्तर था, ‘‘मैडम कृपया अपने तथ्य सही कर लें, मैंने कभी किसी आतंकी को जि़ंदा नहीं पकड़ा।’’ उस संकट की घड़ी में यदि कोई अधिकारी ऐसे ही मजबूत निर्णय ले लेता तो आज यही वैब सीरीज भारत के सरकारी तंत्र के गुणगान में बनती। लेकिन अफसोस है कि ऐसा न हो सका।-रजनीश कपूर
 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!