Edited By ,Updated: 04 Jan, 2025 05:58 AM
कई सालों से पंजाबियों के लिए उच्च शिक्षा और बेहतर रोजगार के अवसरों का केंद्र रहा कनाडा अब संकट में है। कई चुनौतियों का सामना कर रहे कनाडा में आर्थिक और सामाजिक संकट के कारण वहां भारतीय छात्रों का भविष्य अंधकारमय है। रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे...
कई सालों से पंजाबियों के लिए उच्च शिक्षा और बेहतर रोजगार के अवसरों का केंद्र रहा कनाडा अब संकट में है। कई चुनौतियों का सामना कर रहे कनाडा में आर्थिक और सामाजिक संकट के कारण वहां भारतीय छात्रों का भविष्य अंधकारमय है। रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे पढ़े-लिखे युवाओं में से कई ड्रग्स माफिया के चंगुल में फंसे हैं। हालांकि इस संकट ने भारत के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत किया है। यह समय है जब भारत अपनी युवा वर्कफोर्स को हुनरमंद बना कर उनकी क्षमता का उपयोग देश में ही करे।
भारत के पास दुनिया की सबसे बड़े युवा कार्यबल में 65 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं। इस युवा और ऊर्जावान कार्यबल के दम पर भारत के लिए एक वैश्विक प्रतिभा केंद्र के रूप में उभरने का अवसर है। भारत की यह युवा शक्ति न केवल घरेलू बाजार की मांगों को पूरा कर सकती है बल्कि कनाडा से परे वैश्विक स्तर पर भी भारतीय युवाओं की अहम भूमिका हो सकती है। इस क्षमता का पूरी तरह से उपयोग तभी हो सकता है जब हम अपने युवाओं को ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक स्किल डिवैल्पमैंट के जरिए तैयार करें। भारत के युवाओं में उत्साह और प्रेरणा है, लेकिन कई बार उनके पास उस उत्साह को सही दिशा देने के लिए आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण की कमी होती है। इस कमी को दूर करने के लिए हमें कौशल विकास पर जोर देना होगा। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जहां वैश्विक मांग तेजी से बढ़ रही है, जैसे कि इंफार्मेशन टैक्नोलॉजी, हॉस्पिटैलिटी, ब्यूटी-वैलनैस, ट्रांसपोर्टेशन और रिटेल।
कनाडियन ब्यूरो फार इंटरनैशनल एजुकेशन के मुताबिक इस समय 3 लाख से अधिक भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ रहे हैं। कनाडा के हालिया संकट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कनाडा से परे यूरोप, ताईवान और वियतनाम जैसे देशों में भी कुशल कामकाजी लोगों की आवश्यकता बढ़ रही है। भारत इस अवसर का लाभ ले सकता है बशर्ते हमें अपने युवाओं के लिए स्किल ट्रेनिंग प्रोग्राम इन देशों की जरूरतों के अनुसार बनाने होंगे। भारत सरकार ने पहले ही ‘स्किल इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘नैशनल स्किल डिवैल्पमैंट मिशन’ जैसे कार्यक्रमों की शुरूआत की है। ये कदम भारत के कौशल विकास के प्रयासों को एक ठोस दिशा प्रदान करते पर इन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप और अधिक विस्तारित करने की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि प्राइवेट सैक्टर भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सर्टिफिकेशन प्रोग्राम तैयार करे, ताकि भारतीय वर्कफोर्स को वैश्विक मान्यता प्राप्त हो सके।
डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म और शैक्षिक संस्थानों के साथ सांझेदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में भी उच्च गुणवत्ता का प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। यह कदम न केवल कौशल विकास में मदद करेगा, बल्कि भारत के दूरदराज के इलाकों तक भी रोजगार के अवसर पहुंचाएगा। कौशल विकास का एक और महत्वपूर्ण पहलू उद्यमिता को बढ़ावा देना है। सिर्फ रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय, हमें युवाओं को खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
उदाहरण के लिए ब्यूटी-वैलनैस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति अपना सैलून खोल सकता है, या फिर परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में एक डिलीवरी सेवा शुरू कर सकता है। इस तरह के कदमों से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और भारतीय युवा आत्मनिर्भर बनेंगे। इंफार्मेशन टैक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस, क्लाऊड कम्प्यूटिंग और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति हो रही है। भारत को डेटा एनालिटिक्स, ए.आई. एप्लिकेशन और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में कुशल कार्यबल तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू पर्यटकों में वृद्धि के कारण इस क्षेत्र में सॉफ्ट स्किल्स और सांस्कृतिक समझ रखने वाले पेशेवरों की मांग बढ़ी है। भारत के युवा इस अवसर का लाभ उठाकर पर्यटन उद्योग में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
भारत में कौशल विकास की दिशा में सफलता पाने के लिए सरकार निजी क्षेत्र और शैक्षिक संस्थानों को मिलकर काम करना होगा। बाजार की मांग के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास और वित्तीय प्रोत्साहन के जरिए रोजगार सृजन करना बेहद महत्वपूर्ण है। भारत के युवा एक परिवर्तनकारी मोड़ पर खड़े हैं। उन्हें सही हुनर देकर हम न केवल बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर सकते हैं बल्कि वैश्विक कार्यबल की मांग को भी पूरा कर सकते हैं। यह भारत को एक वैश्विक प्रतिभा केंद्र के रूप में स्थापित करने का सही समय है। अगर भारत अपने युवाओं को वैश्विक आवश्यकताओं के अनुसार हुनरमंद बनाने में सफल होते हैं तो हम एक ऐसे वैश्विक कार्यबल की आपूर्ति करने में सक्षम होंगे जो न केवल भारत के आर्थिक विकास को गति देगा बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए एक मजबूत संसाधन बन जाएगा।(लेखक ओरेन इंटरनैशनल के एम.डी. एवं नैशनल स्किल डिवैल्पमैंट कॉरपोरेशन (एन.एस.डी.सी.) के ट्रेनिंग पार्टनर हैं)-दिनेश सूद