Edited By ,Updated: 15 Sep, 2024 06:04 AM
पूरे भारत में 15 सितंबर को इंजीनियर्स-डे मनाया जाता है। यह खास दिन देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले इंजीनियरों के काम को सराहने और बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। दरअसल, यह दिन देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न से सम्मानित...
पूरे भारत में 15 सितंबर को इंजीनियर्स-डे मनाया जाता है। यह खास दिन देश और दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले इंजीनियरों के काम को सराहने और बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। दरअसल, यह दिन देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न से सम्मानित मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की याद में मनाया जाता है। उन्होंने भारत की प्रगति में बहुमूल्य योगदान दिया। डा. एम. विश्वेश्वरैया ने देश में कई बांध बनवाए थे। इनमें कृष्णराज सागर बांध, पुणे के खरकवासला जलाशय में बांध और ग्वालियर में तिगरा बांध शामिल हैं।
इसकी योजना 1909 में बनाई गई थी और 1932 में पूरी हुई। उन्होंने मैसूर सरकार के सहयोग से कई कारखाने और शैक्षणिक संस्थान स्थापित किए। डा. विश्वेश्वरैया के इन योगदानों के बाद उन्हें देशभर में पहचान मिली। भारत में सिविल इंजीनियरिंग के महान नायक मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस मनाया जाता है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया भारत के पहले सिविल इंजीनियरों में से एक थे , जिन्हें 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। दुनिया भर में विभिन्न इंजीनियरिंग क्षेत्रों में विशेषकर मैकेनिकल, दूरसंचार, सिविल, इलैक्ट्रिकल, मैडीकल और कैमिकल इंजीनियरिंग आदि के प्रसार और विकास के साथ-साथ, इंजीनियरों ने चुनौती को स्वीकार करते हुए मानव जीवन को आरामदायक बनाने के साथ-साथ औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी सुधार लाए हैं। जहां विज्ञान ने विभिन्न क्षेत्रों में तमाम नई तकनीकों का विकास किया है वहीं इन सभी तकनीकों को खोजने और विकसित करने में इंजीनियरों की सोच परिश्रम ही मुख्य आधार है जिसके बिना आज के आरामदायक मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
किसी ने एक इंजीनियर से पूछा कि आप इंजीनियर होने पर अपने आप पर गर्व क्यों महसूस करते हैं? उस इंजीनियर ने बड़े ही दिल से यह बात कही और कहा कि जिस प्रकार कानूनी क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विंग के लोगों की अर्थव्यवस्था, न्याय व्यवस्था के माध्यम से न्याय दिलाने पर निर्भर करती है और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे व्यापक क्षेत्र से जुड़े लोगों का भविष्य बीमारियों की रोकथाम पर निर्भर करता है उसी तरह एक इंजीनियर ही है जिसकी समृद्धि पर देश और राष्ट्र की समृद्धि का विकास निर्भर करता है। इसलिए मुझे गर्व है कि मैं उनमें से एक इंजीनियर हूं। पंजाब में अगर किसी संस्था ने किसी क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है तो वह पावरकॉम यानी पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पी.एस.पी. सी.एल) है, जिसने पंजाब राज्य में विभिन्न श्रेणियों के एक करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं के परिसरों को रोशन किया है और कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। औद्योगिक क्षेत्र को लेकर इसने पंजाब की आॢथक प्रगति में बहुमूल्य योगदान दिया है। दिल्ली के बाद, पंजाब देश का दूसरा राज्य है जहां सभी घरेलू उपभोक्ताओं को जाति का भेदभाव किए बिना प्रति माह 2 महीने में 300/600 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान की जाती है।
पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड, जो पूर्व में पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड था, का कई बार कुशल नेतृत्व इंजी. एच.आर. सहित बहुत ही प्रगतिशील और सक्षम इंजीनियरों ने किया था। नवाब सिंह (आई.सी.एस.), इंजी. एच.आर. भाटिया, इंजी. आर.एस. गिल, इंजी. हरबंस सिंह, इंजी. वी. डी. सूद, इंजी. एन.एस. वसंत, इंजी. के.डी. चौधरी और वर्तमान में पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष सह-प्रबंध निदेशक के रूप में इंजी. बलदेव सिंह सरां पंजाब के सर्वांगीण विकास और समृद्धि के लिए लगातार दिन-रात काम कर रहे हैं जिसके कारण बिजली क्षेत्र में कई नए मील के पत्थर स्थापित किए गए हैं। इनके अलावा इंजी. पदमजीत सिंह, इंजी. पी.एस. सतनाम और इंजी. संदीप गुप्ता आदि के नाम भी उल्लेखनीय हैं जिन्होंने बिजली क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।-मनमोहन सिंह उप सचिव जनसंपर्क विभाग, (सेवानिवृत्त) पी.एस.पी.सी.एल