‘घटिया और नकली दवाओं के धंधेबाज’ ‘कर रहे मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़’

Edited By ,Updated: 27 Sep, 2024 05:44 AM

fake drug dealers are playing with the lives of patients

भारत में नकली दवाओं का धंधा तेजी से पैर पसार रहा है जिससे रोगियों की जान जोखिम में पड़ रही है। यहां तक कि बिना मंजूरी के बाजार में कैंसर और जिगर जैसे रोगों की नकली दवाएं भी लाई जा रही हैं।

भारत में नकली दवाओं का धंधा तेजी से पैर पसार रहा है जिससे रोगियों की जान जोखिम में पड़ रही है। यहां तक कि बिना मंजूरी के बाजार में कैंसर और जिगर जैसे रोगों की नकली दवाएं भी लाई जा रही हैं। एक अनुमान के अनुसार केवल कैंसर की दवाओं की ही ‘ग्रे मार्कीट’ (नकली दवाओं का बाजार) प्रतिवर्ष लगभग 300 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है। कैंसर व जिगर जैसे रोगों की दवाएं ही नहीं, अन्य रोगों की अनेक दवाओं की गुणवत्ता में भी कमी पाई जा रही है। देश की सबसे बड़ी ड्रग रैगुलेटरी बॉडी ‘सैंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन’ (सी.डी.एस.सी.ओ.) के ताजा मासिक ड्रग अलर्ट के अनुसार इसकी केंद्रीय प्रयोगशाला में हिमाचल में बनी दवाओं के जांचे गए 19 सैम्पल फेल पाए गए हैं। उक्त दवाओं सहित देशभर से दवाओं के 50 से अधिक सैम्पल फेल हुए हैं। इनमें  पैरासिटामोल सहित कैल्शियम और विटामिन डी 3 सप्लीमैंट्स, शूगर, एंटीबायोटिक्स, हार्ट, दर्द और हाई ब्लड प्रैशर की दवाएं शामिल हैं। पेट के इंफैक्शन के लिए दी जाने वाली दवा ‘मेट्रोनिडाजोल’,  ‘शेलकाल टैबलेट्स’ तथा ब्लड प्रैशर की दवा ‘टेल्मिसर्टन’ भी परीक्षण में फेल रहीं।

एक अन्य एंटीबायोटिक ‘क्लैवम 625’ और गैस रोधी दवा ‘पैन डी’ भी मिलावटी मिली हैं। बच्चों को गंभीर जीवाणु संक्रमण में दी जाने वाली ‘सैपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पैंशन’ भी घटिया पाई गई हैं। इसे देखते हुए सी.डी.एस.सी.ओ. ने ‘नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी’ (एन.एस.क्यू.) का अलर्ट जारी किया है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने इसी वर्ष अगस्त में आमतौर पर बुखार और सर्दी के अलावा पेन किलर, मल्टी विटामिन और एंटीबायोटिक्स के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली 156 फिक्स्ड डोज काम्बिनेशन दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इनके इस्तेमाल से लोगों के स्वास्थ्य को खतरा होने की आशंका है। 

इसी बीच 24 सितम्बर को नागपुर ग्रामीण पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार करके महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और हरियाणा में नकली दवाओं के वितरण में शामिल एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपियों ने ‘लैब एवरटच’, ‘बायो रैमेडीज’ और ‘जिनक्स फार्माकॉन एल.एल.पी.’ जैसी गैर मौजूद फर्मों के ब्रांड नामों के अंतर्गत नकली ‘सिप्रोफ्लोक्सासिन’, ‘लेवोफ्लोक्ससिन’, ‘एमोक्सिसिलिन’, ‘सेफिकिस्म’ और ‘एजिथ्रोमाइसिन’ जैसी व्यापक रूप से निर्धारित दवाएं बाजार में सप्लाई कीं। एक गिरफ्तार आरोपी विजय शैलेंद्र चौधरी की कम्पनी ‘कैबिस जेनेरिक हाऊस’ के माध्यम से काम करने वाला यह गिरोह फर्जी या बंद कम्पनियों से संबंधित जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके अभी तक लोगों को 15 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की नकली दवाओं की आपूर्ति कर चुका है। 

नकली दवाओं की बुराई पर रोक लगाने के प्रयासों के बावजूद यह बुराई बढ़ती ही जा रही है। अत: इस अपराध में शामिल पाए जाने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि इस बुराई पर रोक लगे और दवा के धोखे में लोग मौत के मुंह में जाने से बच सकें। हालांकि इस संबंध में संबंधित कम्पनियों का कहना है कि संदिग्ध पाए गए बैच के उत्पाद उनके द्वारा तैयार नहीं किए गए हैं और वे नकली दवाएं हैं। इन दावों की पुष्टिï करने के लिए जांच जारी है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि डाक्टर की सलाह के बिना ली जाने वाली कोई भी दवाई स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है। अत: इस संबंध में पूर्ण सावधानी बरतते हुए अपनी संतुष्टिï के बाद ही किसी भी दवाई का सेवन करना चाहिए। —विजय कुमार  

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