Edited By ,Updated: 19 Sep, 2024 05:06 AM
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में अभियुक्त की संपत्ति को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख 1 अक्तूबर तक कोर्ट की अनुमति के...
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में अभियुक्त की संपत्ति को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख 1 अक्तूबर तक कोर्ट की अनुमति के बिना कोई तोडफ़ोड़ नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों व जलाशयों के अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा। शीर्ष न्यायालय ने अवैध तरीके से की कई ऐसी कार्रवाई को संविधान के मूल्यों के विरुद्ध माना है। पिछले दिनों बुलडोजर के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच हुई बहस में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बुलडोजर वही व्यक्ति चला सकता है, जिसमें बुलडोजर चलाने की क्षमता हो।
बुलडोजर चलाने के लिए दिल, दिमाग और हिम्मत की जरूरत होती है। दंगाइयों के सामने नाक रगडऩे वाले क्या बुलडोजर चलाएंगे? समाजवादी पार्टी के कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि भाजपा सरकार में निर्दोष लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं। किसान परेशान हैं और नौजवानों का भविष्य अंधकार में है। 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही पूरे प्रदेश का बुलडोजर गोरखपुर की ओर मुड़ जाएगा। कुछ समय पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया था कि क्या किसी का मकान सिर्फ इसलिए गिराया जा सकता है कि वह एक आरोपी है? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण या सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा। कुछ वर्र्षों से बुलडोजर को अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरैंस पॉलिसी के तहत प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत किए जाने का प्रचलन बढ़ रहा था।
सरकारों के इस व्यवहार पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलवाना शुरू किया था। इस कदम से एक विचारधारा के लोगों में योगी आदित्यनाथ काफी लोकप्रिय हुए और उन्हें बुलडोजर बाबा कहा जाने लगा। योगी आदित्यनाथ की इस कार्रवाई को देखकर ही अन्य राज्यों विशेषत: मध्यप्रदेश में भी बुलडोजर ने रफ्तार पकड़ी थी। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योगी आदित्यनाथ के रास्ते पर चलते हुए अप्रैल 2022 में खरगौन में साम्प्रदायिक झड़पों के बाद बुलडोजर के इस्तेमाल का समर्थन किया था। उनकी सरकार ने 16 घर और 29 ढांचे ध्वस्त कर दिए थे। शिवराज सिंह चौहान को बुलडोजर मामा कहा जाने लगा था। हरियाणा में भी बुलडोजर के माध्यम से तथाकथित न्याय देने की कोशिश की गई थी। हरियाणा के नूंह में विश्व हिन्दू परिषद की यात्रा के दौरान भड़के साम्प्रदायिक दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कई घरों को ध्वस्त कर दिया था।
दिल्ली में 16 अप्रैल 2022 को जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के दौरान साम्प्रदायिक ङ्क्षहसा भड़कने के बाद तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने एक मस्जिद के सामने के गेट और दीवार समेत कई संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया था। हाल ही में 22 अगस्त को मध्यप्रदेश के छतरपुर में कांग्रेस नेता हाजी शहजाद अली के घर को बुलडोजर के माध्यम से ध्वस्त कर दिया गया था और उनकी गाडिय़ों को भी तहस-नहस कर दिया गया था। उन पर छतरपुर शहर कोतवाली घेरकर प्रदर्शन करने और पुलिस पर पत्थरबाजी का आरोप लगा था। इस संबध में जमीयत-उलेमा-ए हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बुलडोजर न्याय का विरोध करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का विरोध किया था। इसके अतिरिक्त भी सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर न्याय के खिलाफ अनेक याचिकाएं दायर की गई थीं।
काफी लोग अपराधियों के खात्मे के लिए बुलडोजर न्याय को सही ठहराते हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब बुलडोजर से ही न्याय देना है तो देश में न्यायालय का क्या काम है? संविधान विशेषज्ञों का भी मानना है कि बुलडोजर न्याय संविधान सम्मत नहीं है। आरोपियों को फटाफट दोषी घोषित कर देना और न्यायालय को नकारकर स्वयं ही बुलडोजर चलवाना भला संविधान सम्मत कैसे हो सकता है? कटु सत्य तो यह है कि अधिकांश मामलों में बुलडोजर एक ही धर्म के लोगों के खिलाफ चलाया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य में किसी का भी घर बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं तोड़ा जा रहा है।
सवाल यह है कि जब व्यक्ति को किसी अपराध का आरोपी घोषित किया जाता है, तभी उसके अवैध निर्माण का पता क्यों चलता है। सवाल यह भी है कि सत्ता पक्ष के कितने लोगों पर बुलडोजर चलाया गया है? जब एक राजनीति के तहत बुलडोजर चलाया जाएगा तो उस पर सवाल उठेंगे ही। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह वायदा किया था कि उत्तर प्रदेश में भू-माफियाओं को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। बुलडोजर न्याय इसलिए भी असंवैधानिक है क्योंकि जब घर को ध्वस्त किया जाता है तो उससे परिवार के वे लोग भी प्रभावित होते हैं, जिनकी कोई गलती नहीं होती है।-रोहित कौशिक