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2047 के भारत में कैसी होगी शासन पद्धति

Edited By ,Updated: 25 Jan, 2022 06:02 AM

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2047 में कल्पना से परे विकसित हो चुका होगा। न केवल चीजें तेजी से आगे बढ़ रही हैं, बल्कि इसके आगे बढऩे की गति भी पहले से कहीं ज्यादा तेज है, जिस कारण यह कल्पना करना बहुत

भारत 2047 में कल्पना से परे विकसित हो चुका होगा। न केवल चीजें तेजी से आगे बढ़ रही हैं, बल्कि इसके आगे बढऩे की गति भी पहले से कहीं ज्यादा तेज है, जिस कारण यह कल्पना करना बहुत मुश्किल हो जाता है कि अब से 25 साल बाद भारत की वास्तविक स्थिति कैसी होगी। 

शासन पद्धति के संदर्भ में, जब हम यह सोचने की कोशिश करते हैं कि 2047 में प्रशासनिक सेवाओं का स्वरूप कैसा होगा तो हम जाने-अनजाने यह भूल जाते हैं कि वर्ष 2047 तक सिविल सेवा वास्तव में पूरी तरह बदल कर ‘फेसलैस’ हो गई होगी तथा कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस /ए.आई.) और अन्य अभिनव तकनीकों से विकसित नए उपकरणों द्वारा बड़े पैमाने पर शासन कार्य किया जा रहा होगा। 

यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वाभाविक दूरदर्शिता और विजन के अनुरूप है। प्रधानमंत्री ‘विजन 2047’ के विविध रूपों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दे रहे हैं, जो ‘सैंचुरी इंडिया’ को इंगित करता है, जब देश अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का उत्सव मना रहा होगा। 

प्रधानमंत्री मोदी की विशिष्ट पहल, जैसे प्रशासनिक अधिकारी की कार्य पद्धति को ‘नियम’ से ‘भूमिका’ में बदलने के मूल सिद्धांत पर आधारित मिशन कर्मयोगी की स्थापना, प्रशासनिक सेवाओं के निरंतर और गतिशील उन्नयन के लिए क्षमता निर्माण आयोग की स्थापना और डिजिटल लॄनग प्लेटफॉर्म आई.जी.ओ.टी. वास्तव में उन मानकों के अनुरूप हैं, जो 2047 के भारत में मौजूद होंगे। ये सभी पहलें संक्षेप में पी.एम. मोदी द्वारा प्रस्तुत ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ अवधारणा की संकेतक हैं, जो हमें अगले 25 वर्षों का अधिकतम उपयोग करने के लिए प्रेरित करती हैं, ताकि 100 वर्षों के भारत को श्रेष्ठ स्वरूप दिया जा सके। 

जिस अभूतपूर्व पैमाने पर ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’, ई-ऑफिस, सी.पी.जी.आर.ए.एम.एस., पासपोर्ट सेवा केंद्र, ई-अस्पताल आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रम लागू किए गए हैं, वह मोदी सरकार द्वारा ‘आगे बढऩे के लिए प्रयास, ल बे समय के लिए निर्माण’ (बिल्डिंग टू स्केल बिल्डिंग टू लास्ट) दृष्टिकोण को अपनाने के जागरूक प्रयास को दर्शाता है। वर्ष 2047 में हम संगठनों के निस्तेज होते जाने और सहयोगात्मक शासन प्रणाली, नैटवर्क में गुंथी शासन प्रणाली और सीमा-रहित शासन प्रणाली की वजह से स्वयंसेवी भावना, सहयोगात्मक कौशल तथा जुड़ाव की भावना से लैस नागरिक विश्वास में बढ़ौतरी होने के और अधिक उदाहरणों के साक्षी बनेंगे। 

पारदर्शिता और दक्षता में सुधार के उद्देश्य से किसी भी विभाग के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित करने, उनका मिलान करने, उन्हें वर्गीकृत एवं स्वचालित करने की प्रक्रिया को सरल बनाने और सरकारी प्रणालियों में लेन-देन रिकॉर्ड करने एवं परिसंपत्तियों पर नजर रखने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने हेतु निर्णय लेने और ब्लॉकचेन की प्रक्रिया में सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस और मशीन लॄनग जैसी तकनीकों का उपयोग आम बात हो जाएगी। 

वर्ष 2047 की तैयारी के लिए व्यापक स्तर पर कल्पनाशील सटीकता की जरूरत है। अब जबकि नए विचार काफी तेज गति से उभर रहे हैं और वे हर गुजरते दिन के साथ खेल के नियमों को बदल रहे हैं, आगे उभर सकने वाले संभावित तत्वों के बारे में अनुमान लगा पाना बेहद कठिन है। उदाहरण के लिए, 25 साल पहले की सिर्फ 2 मिसालों को अगर सामने रखें तो कुरियर डिलीवरी सेवाएं और पी.वी.आर. सिनेमा क्रांतिकारी सफलताओं की तरह दिखते थे, जोकि आज 25 वर्षों के भीतर ही लगभग अप्रासंगिक हो गए हैं। और इसी प्रकार, कोविड महामारी जैसी एक बिल्कुल ही अप्रत्याशित घटना अचानक से मानव जाति के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। वर्ष 2047 के लिए विजन रोडमैप तैयार करते समय हमें अतीत के ऐसे अनुभवों को ध्यान में रखना होगा। 

हरसंभव वैज्ञानिक बने रह सकने के क्रम में हमारा तत्कालिक काम वर्ष 2047 के लिए मानदंड निर्धारित करने वाले भावी कारकों की एक सूची बनाना होगा। एक अंतिम जरूरी बात, अन्य सारी चीजों के अलावा हमें लोक सेवकों की उस पीढ़ी पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिनके सक्रिय सेवा काल के 25 साल या उससे अधिक का समय बाकी है, क्योंकि ये वही लोग हैं जिन्हें इंडिया-2047 के अंतिम स्वरूप को निर्धारित करने का विशेषाधिकार प्राप्त होगा और वे ‘सैंचुरी इंडिया’ के वास्तुकार के रूप में जाने जाएंगे।(केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पैंशन राज्य मंत्री)-डा.जितेंद्र सिंह
 

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