Edited By ,Updated: 09 Sep, 2024 05:32 AM
हरियाणा विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही, सत्ताधारी भाजपा, जो एक दशक से सत्ता में रहने के बाद सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, एक चुनौतीपूर्ण लड़ाई के लिए कमर कस रही है। हरियाणा में बहुपक्षीय मुकाबला होगा। मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के...
हरियाणा विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही, सत्ताधारी भाजपा, जो एक दशक से सत्ता में रहने के बाद सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, एक चुनौतीपूर्ण लड़ाई के लिए कमर कस रही है। हरियाणा में बहुपक्षीय मुकाबला होगा। मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच है। अन्य भाग लेने वाली पार्टियों में आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) और हरियाणा लोकहित पार्टी शामिल हैं।
भाजपा, जजपा और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने दुष्यंत चौटाला को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया है। इनैलो और बसपा ने अभय सिंह चौटाला को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया है। राज्य को अक्सर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण धर्म की भूमि कहा जाता है। हरियाणा चुनाव सभी खिलाडिय़ों के लिए महत्वपूर्ण हैं। भाजपा तीसरी बार सत्ता में आना चाहती है। कांग्रेस सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। अन्य क्षेत्रीय दल भी सत्ता सांझा करना चाहते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने सभी 10 सीटें जीतीं, 2024 में उसे केवल 5 सीटें मिलीं और कांग्रेस को अन्य 5 सीटें मिल गईं। पिछली सफलताओं के बावजूद भाजपा बैकफुट पर है। पार्टी यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। यह खास तौर पर लोकसभा चुनावों के बाद का सच है, क्योंकि भाजपा के पास बहुमत नहीं था और उसे जद(यू) और तेदेपा की मदद से सरकार बनानी पड़ी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी है। पार्टी 10 साल के लंबे अंतराल के बाद सत्ता में वापसी को लेकर आशावादी है। कांग्रेस को लग रहा है कि लोग बदलाव के मूड में हैं। पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) और सपा को गठबंधन के लिए रणनीतिक रूप से लुभाने की कोशिश कर रही है। इन गठबंधनों का असर काफी बड़ा है। 2014 से पहले हरियाणा की राजनीति में भाजपा की मौजूदगी मामूली थी। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी का कद बढ़ा है। 2019 में, भाजपा ने 40 सीटों के साथ सरकार बनाई, जो बहुमत से 6 कम थीं। 10 सीटें जीतने वाली दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) का महत्वपूर्ण समर्थन आवश्यक था। हालांकि, हाल ही में जजपा ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन समाप्त कर लिया।
हरियाणा में भाजपा का वोट शेयर 2019 में 58.2 प्रतिशत से घटकर 2024 में 46.11 प्रतिशत हो गया। इस गिरावट का श्रेय गैर-राजनीतिक संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व वाले किसान आंदोलन को दिया जाता है। भाजपा को आजीविका और कृषि से जुड़े मुद्दों सहित विपक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करने की जरूरत है। 2024 में, क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस का गठबंधन इंडिया ब्लॉक एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में उभरा, जिसने भाजपा के वोट शेयर को पीछे छोड़ दिया। मतदाता भावना में यह बदलाव भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है। मार्च में, भाजपा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदल दिया। नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में भाजपा ने कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं और सरकारी नौकरियों के रिक्त पदों को भरने की योजना बनाई है। पार्टी जाट मुद्दे का लाभ उठाने की उम्मीद कर रही है, लेकिन जाटों का समर्थन नहीं मिल पा रहा है।
सैनी के 6 महीने के छोटे कार्यकाल ने उनके प्रभाव को सीमित कर दिया है। कांग्रेस अपनी लोकसभा सीटों को दोगुना करने के बाद उत्साहित है। वह बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मुद्दे और विवादास्पद अग्निवीर योजना जैसे मुद्दे उठा रही है। कांग्रेस दिल्ली-हरियाणा सीमा पर रहने वाले मतदाताओं पर ‘आप’ के प्रभाव से भी लाभ उठाने की उम्मीद कर रही है। दिल्ली की राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी होने के नाते ‘आप’ हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। कांग्रेस हुड्डा और कुमारी शैलजा के नेतृत्व में 2 गुटों में बंटी हुई है। पार्टी दोनों गुटों को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हुड्डा मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पिछली भूमिका के कारण अधिक प्रभाव रखते हैं।
हरियाणा में भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा जनमत संकेत देता है कि पार्टी कम सीटें जीत सकती है। कांग्रेस आत्मसंतुष्टि, आंतरिक झगड़ों और जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन की कमी से ग्रस्त है, और बहुत से टिकट चाहने वाले पार्टी की संभावनाओं को कम कर सकते हैं। अगर कांग्रेस हरियाणा जीतती है, तो कांग्रेस शासित राज्यों की संख्या बढ़ जाएगी। माहौल भाजपा के खिलाफ है।-कल्याणी शंकर