विश्व स्तर पर भारत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का लक्ष्य रखता है

Edited By ,Updated: 15 Jul, 2024 05:31 AM

india aims to play an important role globally

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक सांझेदारी को मजबूत करना था।

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक सांझेदारी को मजबूत करना था। रूस के प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने इसे अशांत भू-राजनीतिक माहौल के बीच ‘ऐतिहासिक और खेल बदलने वाला’ बताया। मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन ने दो प्रभावशाली देशों रूस और संयुक्त राज्य अमरीका के साथ संबंधों के लिए मोदी के कुशल प्रबंधन को उजागर किया। 

रूस के यूक्रेन के साथ युद्ध के बावजूद, दोनों नेताओं द्वारा अपनी बैठकों के दौरान दिखाई गई गर्मजोशी मोदी की रूस यात्रा के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करती है। मोदी पिछले 10 वर्षों में 6 बार रूस का दौरा कर चुके हैं और कम से कम 17 बार पुतिन से मिले हैं। इस यात्रा के दौरान पुतिन के निजी आवास पर रात्रिभोज पर बातचीत साढ़े 4 घंटे तक चली, जबकि आमने-सामने की बातचीत अढ़ाई घंटे तक चली। इससे दोनों नेताओं को मुद्दों पर चर्चा करने का मौका मिला। वर्तमान यात्रा ने भारत और रूस के बीच स्थायी संबंधों और पुतिन के साथ आमने-सामने की चर्चा को उजागर किया। इसमें चीन और घरेलू राजनीतिक स्थिति भी शामिल है। 

शिखर सम्मेलन ने यू.एस.-भारत संबंधों के लिए एक समस्या खड़ी कर दी। यह ऐसे असुविधाजनक समय पर हुआ जब यूक्रेन में संघर्ष जारी था। बैठक का प्रभाव यह था कि भारत रूस और यू.एस. के साथ संबंधों को संभाल सकता है। मोदी का पुतिन के साथ ‘गले मिलना’ और पुतिन द्वारा मोदी को अपना ‘सबसे अच्छा दोस्त’ कहना शायद यू.एस. और पश्चिम में भौंहें चढ़ा सकता है। सी.एन.एन. ने कहा, ‘‘व्लादिमीर पुतिन द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके आवास पर मिनी इलैक्ट्रिक कार में घुमाने का दृश्य दिखाता है कि दोनों नेता कितने घनिष्ठ हो गए हैं।’’ इस यात्रा ने भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया। इसने विज्ञान, व्यापार और जलवायु परिवर्तन पहलों सहित नए समझौतों का मार्ग प्रशस्त किया। 

भारत और रूस का लक्ष्य पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन तक बढ़ाना है। प्रस्तावित नए परमाणु रिएक्टरों सहित भारत का ऊर्जा भविष्य आशाजनक था। जिस तरह से नई दिल्ली रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार कर सकती है, वह आशावाद की भावना प्रदान करता है। बाइडेन प्रशासन द्वारा संयुक्त राज्य अमरीका के साथ भारत की महत्वपूर्ण सांझेदारी की पुष्टि आश्वस्त करने वाली है। यह अमरीका-भारत के बढ़ते संबंधों की मजबूती और स्थिरता को रेखांकित करता है। कई अमरीकी अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। उदाहरण के लिए, पेंटागन के प्रैस सचिव मेजर जनरल पैट राइडर ने कहा कि अमरीका भारत को एक रणनीतिक सांझेदार के रूप में देखता है और मजबूत संवाद में शामिल रहेगा। इस संवाद में रूस के साथ भारत के संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा शामिल है। 

अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि अमरीका यूक्रेन में स्थायी शांति के प्रयासों का समर्थन करने के लिए भारत को प्रोत्साहित करना जारी रखता है। उन्होंने यूक्रेन में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने में भारत के समर्थन के महत्व पर जोर दिया। भारत ने हाल के वर्षों में रूसी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम कर दी है। रूस भारत के हथियारों का प्राथमिक स्रोत होने के बावजूद, नई दिल्ली ने संयुक्त राज्य अमरीका, फ्रांस और इसराईल से भी अधिक हथियार खरीदना शुरू कर दिया है। भारत अपनी तोपों की खरीद के लिए अपने विकल्पों का विस्तार कर रहा है। 

मोदी की यात्रा के दौरान, किसी नए हथियार सौदे की घोषणा नहीं की गई। हालांकि, विशेषज्ञ भारत में अमरीकी राजदूत एरिक गार्सेटी के हालिया भाषण का विश्लेषण कर रहे हैं, जिन्होंने कहा कि भारत-अमरीका संबंध मजबूत हैं, लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संघर्ष के दौरान भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को संशोधित करने की आवश्यकता हो सकती है।
भारत और रूस वैश्विक राजनीति में अलग-अलग रास्ते अपना रहे हैं। भारत संयुक्त राज्य अमरीका के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाकर और उसकी इंडो-पैसिफिक रणनीति को अपनाकर पश्चिम के करीब जा रहा है। दूसरी ओर, रूस खुद को भारत के प्रमुख रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ और अधिक निकटता से जोड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, रूस का लक्ष्य ब्रिक्स जैसे समूहों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। 

भारत ब्रिक्स, एस.सी.ओ. और इंडो-पैसिफिक क्वाड का हिस्सा है। इसका लक्ष्य वैश्विक दक्षिण और विकसित दुनिया के बीच की खाई को पाटना है। इसके विपरीत, रूस यूक्रेन युद्ध में तेजी से शामिल हो रहा है और पश्चिम से अलग-थलग पड़ रहा है। नई दिल्ली ने यूक्रेन युद्ध की आलोचना नहीं की है, लेकिन इसे रोकने के लिए कहा है। रॉयटर्स के अनुसार, मोदी ने यूक्रेन की राजधानी कीव में बच्चों के अस्पताल पर हुए जानलेवा हमले के अगले दिन मंगलवार को पुतिन की अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना की। मोदी ने पुतिन से कहा कि मासूम बच्चों की मौत दर्दनाक और डरावनी है। 

भारत महत्वाकांक्षी हो गया है और वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का लक्ष्य रखता है। नई दिल्ली इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पश्चिम और रूस के बीच संतुलन बनाए रखने का इरादा रखती है। साथ ही, हाल ही में हुए शिखर सम्मेलन ने एक मजबूत संकेत दिया है।-कल्याणी शंकर
 

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