भारत की परिवार नियोजन यात्रा :  हमारे निर्णायक क्षण और चुनौतियां

Edited By ,Updated: 12 Jul, 2024 05:23 AM

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इस विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर, हम परिवार नियोजन के क्षेत्र में भारत की अविश्वसनीय यात्रा पर गौर करते हैं। हम अपनी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं, आशाओं से भरे भविष्य की कामना करते हैं और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की...

इस विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर, हम परिवार नियोजन के क्षेत्र में भारत की अविश्वसनीय यात्रा पर गौर करते हैं। हम अपनी सफलताओं का उत्सव मनाते हैं, आशाओं से भरे भविष्य की कामना करते हैं और आगे आने वाली चुनौतियों से निपटने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। 

भारत का नेतृत्व और प्रगति : जैसा कि मई 2024 में जनसंख्या विकास पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आई.सी.पी.डी.) के 30वें सम्मेलन में संकल्प व्यक्त किया गया है, भारत ने न केवल आई.सी.पी.डी. के एजैंडे को मजबूत नेतृत्व प्रदान किया है बल्कि बेहतर परिवार नियोजन सेवाओं और नाटकीय रूप से बेहतर स्वास्थ्य संबंधी नतीजों, विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के जरिए जमीनी स्तर पर जबरदस्त प्रगति का प्रदर्शन किया है। 

जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के प्रति रवैया : भारत में मिलेनियल महिलाएं छोटे परिवारों को चुन रही हैं। ऐसे प्रत्येक परिवार में औसतन केवल 2 बच्चे होते हैं। यह प्रवृत्ति पिछले दशक में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, जिसके दौरान प्रजनन आयु (15 से 49 वर्ष) की आधी से अधिक महिलाओं (57 प्रतिशत) ने आधुनिक गर्भनिरोधकों का सक्रिय रूप से उपयोग किया है। गर्भनिरोधकों का यह व्यापक उपयोग भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता है। हालांकि, परिवार नियोजन का आश्य केवल गर्भनिरोधकों से कहीं आगे है। यह महिलाओं, परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य एवं कल्याण का अभिन्न अंग है। यह महिलाओं, लड़कियों एवं युवाओं को अधिकार और विकल्प प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाता है। 

10-24 वर्ष की आयु के 369 मिलियन युवाओं के साथ, भारत एक परिवर्तनकारी जनसांख्यिकीय बदलाव के दौर से गुजर रहा है और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए तैयार है। इसके अलावा, पिछले कुछ दशकों में, इस कार्यक्रम में काफी विकास हुआ है और परिवार नियोजन के विभिन्न तरीकों को अपनाया गया है, जिसमें क्लिनिक-आधारित से लेकर लक्ष्य-उन्मुख तरीके और अब परिवार नियोजन विकल्पों को स्वैच्छिक रूप से अपनाना शामिल है। यह बदलाव आबादी की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए नीतियों को ढालने का प्रतिनिधित्व करता है। किसी देश की प्रगति और विकास जनसंख्या के आयामों से जुड़ा हुआ है। भारत पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर (टी.एफ.आर. 2.0) को प्राप्त कर चुका है और एन.एफ.एच.एस.-5 (2019-21) के अनुसार 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पहले ही यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं, जो इसकी यात्रा की सफलता की कहानी है। 

भारतीय राज्यों की जनसांख्यिकीय विविधता दुनिया में अनूठी है और परिवार नियोजन की रणनीतियों को इसके अनुरूप ही ढाला गया है। सुलभ गर्भनिरोधक विकल्पों की सीमा को व्यापक बनाने के साथ-साथ, यह रणनीति विवाह की आयु, पहले जन्म की आयु और लड़कियों की शैक्षिक प्राप्ति जैसे सामाजिक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण रूप से विचार करती है। ये कारक परिवार नियोजन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण बनाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं जो राष्ट्र की विविध आवश्यकताओं को पूरा करता है। भारत सरकार के प्रमुख परिवार नियोजन कार्यक्रमों में से एक, मिशन परिवार विकास को 2016 में सात राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम) के उच्च प्रजनन दर वाले 146 जिलों में गर्भनिरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। 

यह व्यापक अभियानों के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाओं के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर आधारित था। इसके तहत, सारथी वाहनों (वाहन के जरिए जागरूकता), युवा महिलाओं के लिए गर्भनिरोधकों तक पहुंच की सुविधा में सामाजिक बाधाओं को दूर करने के लिए सास-बहू सम्मेलनों का आयोजन और नवविवाहित जोड़ों को परिवार नियोजन और जिम्मेदार माता-पिता की प्रथाओं के बारे में जागरूक बनाने के लिए नई पहल किट प्रदान करने जैसे विभिन्न कार्यक्रमों को शामिल किया गया था। 

आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ और कार्यक्रम में शामिल जिलों में इनके उपयोग में तेजी देखी गई, जो एम.पी.वी. कार्यक्रमों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। एम.पी.वी. जिलों में आधुनिक गर्भनिरोधकों के उपयोग में इन बेहतर परिणामों के कारण सरकार ने 2021 में इस कार्यक्रम को 7 राज्यों के सभी जिलों और 6 पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तार करने का निर्णय लिया। हमारे परिवार नियोजन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सभी हितधारकों के सहयोग और समर्पण की आवश्यकता है। गर्भनिरोधक विधियों की सीमा का विस्तार करके हमारे युवाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आवश्यक है। हम एक ऐसे भविष्य के लिए प्रयास करें, जहां हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश पूरी तरह से साकार हो, जहां प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की सुविधा हो और जहां हमारे लोगों का स्वास्थ्य और कल्याण हमारे राष्ट्र की प्रगति व समृद्धि का आधार हो।-जगत प्रकाश नड्डा(केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री)

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