सैटेलाइट इंटरनैट में विदेशी कम्पनियों पर भारत के कानून लागू हों

Edited By ,Updated: 19 Nov, 2024 05:31 AM

indian laws should apply to foreign companies in satellite internet

महाराष्ट्र की राजनीति और देश की अर्थव्यवस्था में उद्योगपति अदाणी के लीड रोल विवादों के बीच अंतर्राष्ट्रीय दबावों को नजरअंदाज करना भारत के लिए ठीक नहीं है। अमरीका में ट्रम्प के जीतने के बाद मस्क का जलवा और व्यापारिक साम्राज्य बिजली की रफ्तार से बढ़...

महाराष्ट्र की राजनीति और देश की अर्थव्यवस्था में उद्योगपति अदाणी के लीड रोल विवादों के बीच अंतर्राष्ट्रीय दबावों को नजरअंदाज करना भारत के लिए ठीक नहीं है। अमरीका में ट्रम्प के जीतने के बाद मस्क का जलवा और व्यापारिक साम्राज्य बिजली की रफ्तार से बढ़ रहा है। यह जानना दिलचस्प है कि फाच्र्यून 100 शक्तिशाली वैश्विक लोगों की लिस्ट में मस्क पहले और अंबानी 12वें पायदान पर हैं। भारत की राजनीति में सबसे ज्यादा रसूख वाले अदाणी का नाम वैश्विक सौ लोगों की लिस्ट से गायब है। कोरोना और लॉकडाऊन में दुनिया के सबसे रईस बने मस्क अपनी बादशाहत बरकरार रखने के लिए इलैक्ट्रिक व्हीकल, क्रिप्टो और सैटेलाइट   इंटरनैट के 3 सैक्टर्स में दबदबा बनाने चाहते हैं। 

लोकसभा के आम चुनावों में सत्ता की तस्वीर साफ नहीं होने से मस्क ने भारत यात्रा रद्द कर दी थी लेकिन अब ट्रम्प की जीत के बाद सैटेलाइट इंटरनैट समेत दूसरे भारतीय बाजार  में आधिपत्य के लिए मस्क नियमों को बुल्डोज करना चाहते हैं। सैटेलाइट इंटरनैट की सेवा देने के लिए किसी केबल या फाइबर की जरूरत नहीं पड़ती। मस्क की स्पेस-एक्स कम्पनी  स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनैट के माध्यम से इंटरनैट की कमी वाले दूर-दराज के इलाकों में हाईस्पीड इंटरनैट की सेवा प्रदान करती है। इसके लिए पूरी दुनिया में लगभग 10,000 सैटेलाइट हैं जिनमें से 60 प्रतिशत मस्क की कम्पनी के हैं। दूरस्थ और ग्रामीण इलाकों के लिए बनाए जा रहे सैटेलाइट इंटरनैट का शहरी क्षेत्रों और सामरिक मकसद से ज्यादा इस्तेमाल होगा।

दुनिया के 3 दर्जन से ज्यादा देशों में कारोबार कर रहे मस्क को भारत में पिछले 3 सालों से लाइसैंस नहीं मिला। मस्क के अलावा अमेजन भी कुइपर के माध्यम से भारत में प्रवेश करना चाहती है, जिनका रिलायंस और एयरटेल विरोध कर रहे हैं। अंबानी के अनुसार उनकी जियो कम्पनी ने मासिक 15 अरब गीगा बाइट डाटा की खपत के लिए स्पैक्ट्रम की नीलामी में 23 अरब डॉलर खर्च किया है। मस्क की स्टारलिंक कम्पनी 18 अरब गीगा बाइट डाटा की खपत से टैलीकॉम नियमन के तंत्र को ध्वस्त कर सकती है।

सरकार के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ और ग्लोबल फे्रमवर्क के अनुसार सैटेलाइट इंटरनैट के लिए प्रशासनिक आधार पर स्पैक्ट्रम आबंटित किया जाएगा। इसके लिए पिछले साल पारित टैलीकॉम कानून में विशेष प्रावधान किए गए थे। भारत में टैलीकॅाम कम्पनियों ने नीलामी से स्पैक्ट्रम खरीदा है, जबकि मस्क की कम्पनी को प्रशासनिक आबंटन से स्पैक्ट्रम मिल सकेगा। टैलीकॉम बाजार में 80 फीसदी हिस्सेदारी वाले उद्योगपति अम्बानी और सुनील भारती मित्तल के अनुसार शहरी या रिटेल उपभोक्ताओं को सैटेलाइट से इंटरनैट की सेवा देने के लिए विदेशी कम्पनियों को भी नीलामी से स्पैक्ट्रम मिलना चाहिए। इससे सरकार की आमदनी बढऩे के साथ व्यापार में बराबरी का नियम लागू होगा। मुक्त अर्थव्यवस्था के दौर में मस्क के कारोबार को भारत में रोकना अम्बानी के लिए मुश्किल है।

जियो ने भी शुरूआत में मुफ्त के इंटरनैट का प्लान दिया था, जिसके पास अब 47 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। अमरीका में जब 120 डॉलर प्रति माह का शुल्क था, उस समय मस्क ने केन्या में मासिक 10 डॉलर में स्टारलिंक का ब्रॉडबैंड शुरू किया था। उसी फॉर्मूले से मस्क अब भारत में दूरसंचार और डिजिटल के कारोबार में अग्रणी बनना चाहते हैं। सैटेलाइट इंटरनैट के लाइसैंस के लिए मस्क की स्टारलिंक ने 2022 और अमेजन की कुइपर ने 2023 में भारत में आवेदन किया था।लाइसैंस के लिए कम्पनियों को अनेक सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा, जिनका पारदर्शी तरीके से खुलासा नहीं हुआ है। आलोचकों के अनुसार स्टारलिंक जियो पॉलिटिकल नियंत्रण का माध्यम हैं। सैटेलाइट उपग्रहों का  जनता को इंटरनैट देने के साथ सामरिक सेवाओं के लिए भी इस्तेमाल होता है। मस्क ने पिछले साल दावा किया था कि उनकी स्पेस-एक्स कम्पनी ने रूस पर आक्रमण के लिए यूक्रेन के अनुरोध को ठुकरा दिया था।  स्पेस-एक्स कम्पनी अमरीका की खुफिया एजैंसियों के लिए अनेक जासूसी उपग्रह बना रही है।

स्टारलिंक के मस्क और अमेजन के जैफ बेजोस दुनिया के दो सबसे रईस लोग अंतरिक्ष से इंटरनैट सेवा देना चाहते हैं, जिसमें कई सालों तक मुनाफे की गुंजाइश नहीं है। इसलिए ये कम्पनियां दुर्गम क्षेत्र में इंटरनैट की आड़ में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध लगा सकती हैं। मस्क की कम्पनी ने ब्राजील, ईरान और यूक्रेन जैसे देशों में नियमों का पालन नहीं किया। भारत में मस्क की कम्पनी को सैटेलाइट इंटरनैट  के लिए लाइसैंस और प्रशासनिक आधार पर स्पैक्ट्रम के आबंटन से पहले स्वदेशी अर्थव्यवस्था के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखना जरूरी है। दूरसंचार के संवेदनशील क्षेत्र में चीनी कम्पनियों के उपकरणों पर भारत ने अनेक प्रतिबंध लगाए हैं, जिन्हें मस्क की कम्पनियों पर भी लागू होना चाहिए।

टैलीकॉम केंद्र के अधीन है, जबकि कानून व्यवस्था राज्यों का विषय है। सैटेलाइट इंटरनैट की दुनिया में इंटरनैट बंदी  जैसे मामलों के लिए जिला प्रशासन के अधिकारों को स्पष्ट करने वाले नियम पहले से बनाने की जरूरत है। पिछले साल पारित टैलीकॉम कानून से जुड़े अनेक नियम अभी तक नहीं बने हैं। साल-2006 के बाद अमरीका की खुफिया एजैंसियों ने ‘आप्रेशन प्रिज्म’ के तहत इंटरनैट कम्पनियों से भारत समेत अनेक देशों का बहुमूल्य डाटा हासिल किया था लेकिन डाटा सुरक्षा कानून से जुड़े नियमों को अभी तक भारत में लागू नहीं किया गया है। टैलीकॉम से जुड़े नियमों के अनुसार स्टारङ्क्षलक को  भारत में डाटा सैंटर स्थापित करना होगा। आई.टी. रूल्स के तहत विदेशी कम्पनियों को भारत में शिकायत और  नामांकित अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी। जनता की शिकायतों के निराकरण करने के साथ, सरकार को जरूरी जानकारी देने के लिए भारत में विदेशी कम्पनियों की कानूनी जवाबदेही तय करना जरूरी है।-विराग गुप्ता
(एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)

 

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