क्या यह जन्मजात योद्धा ममता के अंत की शुरूआत है

Edited By ,Updated: 23 Aug, 2024 05:18 AM

is this the beginning of the end for mamata a born warrior

पश्चिम बंगाल में 2 दशकों तक राजनीतिक क्षेत्र में छाई रहने वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी की दबंग बॉस आज पूरी तरह बैकफुट पर हैं। क्या यह इस जन्मजात योद्धा के अंत की शुरूआत है? अगर ऐसा है, तो भाजपा वहां सफल होगी, जहां बंगाल की अन्य पार्टियां विफल रहीं।

पश्चिम बंगाल में 2 दशकों तक राजनीतिक क्षेत्र में छाई रहने वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी की दबंग बॉस आज पूरी तरह बैकफुट पर हैं। क्या यह इस जन्मजात योद्धा के अंत की शुरूआत है? अगर ऐसा है, तो भाजपा वहां सफल होगी, जहां बंगाल की अन्य पार्टियां विफल रहीं। कोलकाता के आर.जी. कर मैडीकल कॉलेज और अस्पताल से जुड़ी एक युवा महिला डाक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले से निपटने में भाजपा ने ममता की कई गलतियों का फायदा उठाया है, जिससे ममता की अपनी पार्टी के कार्यकत्र्ता भी उनके खिलाफ हो गए हैं। 

युवा महिला डॉक्टर के साथ उसके कार्यस्थल पर बेशर्मी से क्रूरता की गई। ऐसा लगता है कि युवा पुरुष अपने चुने हुए पीड़ितों का बलात्कार करने और उन्हें मारने के मौके की तलाश में रहते हैं! कड़े कानून बनाने की जोरदार मांग हो रही है, हालांकि कड़े कानून पहले से ही मौजूद हैं। सवाल यह है कि क्या भारतीय राज्य वास्तव में हमारी इन लड़कियों के बारे में चिंतित हैं या इसका नेतृत्व ऐसे पुरुषों द्वारा किया जा रहा है जो समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की तरह यह मानते हैं कि ‘लड़के तो लड़के ही होते हैं?’ भारतीय संघ के हर राज्य या दुनिया के दूसरे देशों में लड़के ही लड़के क्यों नहीं हैं? इस सवाल का जवाब सत्ता में बैठे लोगों को सुधारात्मक उपाय करने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए। यौन विकृतियों के खतरे से निपटने के लिए बहुत कुछ राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है। समाधान में नए कानून बनाना शामिल नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि यौन दुराचार पर मौजूदा कानूनों को समान रूप से और दृढ़ता से लागू किया जाए। 

कोलकाता के मैडीकल कॉलेज मामले में, सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में ‘सिविक वालंटियर’ (नागरिक स्वयंसेवकों) नियुक्त करने की कपटी प्रथा को तुरंत बंद किया जाना चाहिए। इन कार्यकत्र्ताओं को सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों में से उनके पिछले इतिहास, उनकी आदतों और उनकी प्रवृत्तियों की उचित जांच किए बिना चुना जाता है। हर राजनीतिक दल के तीखे तेवर दिखाने वाले गुंडे तत्वों को घुसने की अनुमति दी जाती है। उन्हें अस्पतालों के परिसर में घूमने और मरीजों को बिस्तर और चिकित्सा सुविधा दिलाने में मदद करने के लिए दिया गया ‘अधिकार पत्र’ इस दुखद घटना का कारण बना है। कॉलेजों से नियमित रूप से भर्ती किए गए सामाजिक कार्यकत्र्ताओं को, जो छात्रों को सच्चे सामाजिक कार्य के लिए प्रशिक्षित करते हैं, इन ‘नागरिक स्वयंसेवकों’ की जगह लेनी चाहिए, जिनका मुख्य काम संकट में फंसे मरीजों से पैसे ऐंठना है। यह खतरा बंगाल या किसी एक राजनीतिक दल तक सीमित नहीं है। गुजरात में मुझे पता चला कि विचारधारा से जुड़े लोगों से भर्ती किए गए शिक्षकों के अलावा, होमगार्ड के रैंक भी उसी पक्षपातपूर्ण स्रोत से चुने गए थे। 

होमगार्ड को अक्सर कानून और व्यवस्था या यातायात विनियमन कत्र्तव्यों में पुलिस की सहायता के लिए भेजा जाता है। अगर अप्रशिक्षित पुरुषों और महिलाओं की इस तरह की भर्ती बंद नहीं की गई तो कोलकाता में हुई घटना जैसी घटनाएं बढ़ जाएंगी। यौन दुराचार के मामलों को कम करने का एक और बहुत जरूरी उपाय यह है कि संभावित अपराधियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाए कि वे सत्ता में बैठी पार्टियों से किसी तरह की दया की उम्मीद नहीं कर सकते। उन्हें पुलिस पकड़ लेगी और अदालतें सजा सुनाएंगी। वर्तमान में राजनीतिक दलों द्वारा एक बहुत ही गलत संदेश प्रसारित किया जा रहा है कि अगर आप सत्ता में बैठी पार्टी का समर्थन या मदद करते हैं तो जेल में आपकी अवधि आसानी से मिलने वाले पैरोल और यहां तक कि जेल की सजा की समय से पहले समाप्ति के कारण कम हो जाएगी। 

हरियाणा में बड़ी संख्या में अनुयायियों वाले एक धर्मगुरु गुरमीत राम रहीम को दो बलात्कार और एक हत्या का दोषी ठहराया गया था। हरियाणा सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनावों के समय उन्हें लंबे समय के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था। इससे पार्टी को कुछ और वोट पाने में मदद मिली होगी, लेकिन यौन अपराधियों को अपनी हवस मिटाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसी तरह, गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान महिलाओं से बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराए गए दर्जन भर लोगों को समय से पहले रिहा कर दिया गया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि पक्षपातपूर्ण सरकार ऐसे अपराधियों की सहायता और उन्हें बढ़ावा देने से नहीं रुकेगी, भले ही महिलाओं का शोषण किया गया हो, जब तक कि वे पार्टी के समर्थक हैं। 

सौभाग्य से कोलकाता उच्च न्यायालय ने उस समय हस्तक्षेप किया जब वहां की सत्तारूढ़ पार्टी आर. जी.  कर अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के प्रति बहुत दयालु थी, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने सिविक वालंटियर्स की गैर-कानूनी गतिविधियों के प्रति अपनी आंखें बंद कर ली थीं, जिन्हें पहले से ही 12,000 रुपए प्रति माह का भुगतान किया जा रहा था। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को सजा चौकी पर भेजा जाना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उन्हें एक बेहतर और बड़ा अस्पताल मिला। निर्णय की उस त्रुटि को व्यापक रूप से टी.एम.सी. द्वारा अस्पताल के प्रबंधन में मूलत: बुराई को समर्थन देने के संकेत के रूप में व्याख्यायित किया गया। भाजपा नेतृत्व को अपने सांसद बृजभूषण सिंह को हटाने में काफी समय लगा, जो भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी थे। वह एक सीरियल अपराधी थे, लेकिन उन्होंने अपने गृह नगर और उसके आसपास कई शैक्षणिक संस्थान चलाए। 

उन्होंने 3 से अधिक लोकसभा क्षेत्रों में वोट हासिल किए। और यह बात भाजपा के लिए अधिक मायने रखती थी। महिलाओं को सर्वोच्च स्थान देने वाले सभी नारों और पार्टी के प्रमुख नेताओं द्वारा दिन-रात दोहराए जाने वाले नारों से बेहतर है। अगर बृजभूषण के खिलाफ पहले ही कार्रवाई की गई होती तो विनेश फोगाट को अपने पसंदीदा वजन वर्ग 55 किलोग्राम में ओलिम्पिक कुश्ती स्लॉट के लिए ट्रायल से नहीं चूकना पड़ता। और हमें ओलिम्पिक खेलों में नियमों को बदलने के लिए अंतिम प्राधिकरण से गुहार नहीं लगानी पड़ती!-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
 

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