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अश्लीलता को परिभाषित करना मुश्किल

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2025 05:44 AM

it is difficult to define pornography

सुप्रीम कोर्ट ने पॉडकास्टर और प्रभावशाली व्यक्ति रणवीर इलाहाबादिया को अपने पॉडकास्ट फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है लेकिन सरकार को सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिए एक नए कानून पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। रणवीर अपने एक शो के लिए...

सुप्रीम कोर्ट ने पॉडकास्टर और प्रभावशाली व्यक्ति रणवीर इलाहाबादिया को अपने पॉडकास्ट फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है लेकिन सरकार को सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिए एक नए कानून पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। रणवीर अपने एक शो के लिए कड़ी आलोचनाओं के घेरे में आ गए थे जो किसी भी तरह से हास्य या मनोरंजन नहीं था बल्कि विकृतियों से भरा हुआ था। देश के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ कई एफ .आई.आर. दर्ज की गईं और उनकी गिरफ्तारी की व्यापक मांग की गई।

उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि उनकी जान को खतरा है। जबकि अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. को क्लब करने की अनुमति दी और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। इसने अगले आदेश तक उनके द्वारा और पॉडकास्ट जारी करने पर भी रोक लगा दी। उन पर प्रतिबंध लगाने वाले इस गैग ऑर्डर की मीडिया और सामाजिक संगठनों ने भी आलोचना की जिन्होंने तर्क दिया कि अदालत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश की है जिसकी रक्षा करना उसका काम है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय अंतिम सीमा है और रणवीर की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाकर उसने उनके पास अपील का कोई मौका नहीं छोड़ा है। 

ऐसा करके न्यायालय ने 2022 में मोहम्मद जुबैर मामले में लिए गए अपने रुख का खंडन किया है जिसमें न्यायालय ने उन्हें ट्वीट करने से रोकने से इंकार कर दिया था क्योंकि ‘गैग ऑर्डर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं’। साथ ही न्यायालय ने चेतावनी दी थी कि ‘यदि वह कानून का उल्लंघन करते हुए ट्वीट करते हैं तो उन्हें इसके लिए जवाबदेह होना होगा’। शुक्र है कि न्यायालय ने सोमवार को अपनी सुनवाई में उन्हें अपना शो फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह ‘शालीनता और नैतिकता के मानकों’ को बनाए रखने के वचन के अधीन अपने शो को फिर से शुरू कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि ‘देश में कोई भी मौलिक अधिकार आसानी से नहीं मिलता है और सभी अधिकार अपने साथ कत्र्तव्य लेकर आते हैं’। इसने कहा कि ‘हास्य एक चीज है, अश्लीलता एक चीज है और विकृति एक अलग स्तर है’ और उम्मीद जताई कि रणवीर इलाहाबादिया को अपने किए पर पश्चाताप होगा। वास्तव में रणवीर इलाहाबादिया ने शो में जो कहा उसका बचाव करना मुश्किल है। यह पारिवारिक मूल्यों पर सीधा और भद्दा हमला था।

एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते जिसके लाखों अनुयायी हैं, मुख्य रूप से संवेदनशील दिमाग वाले युवा को उससे सतर्क रहना चाहिए था और जिम्मेदारी से काम करना चाहिए था। अश्लीलता और अन्य आपराधिक उल्लंघनों से निपटने के लिए कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं और उसे आरोपों का सामना करना चाहिए,भले ही उसने अपनी टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया हो। गंभीर चिंता का विषय यह है कि उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया में अश्लीलता की जांच के लिए एक नया कानून सुझाया है। नि:संदेह न्यायालय ने कहा कि वह ‘एक ऐसी नियामक व्यवस्था नहीं चाहता जो सैंसरशिप की ओर ले जाए। किसी भी हितधारक को इसका समर्थन नहीं करना चाहिए लेकिन यह कहना कि यह सभी के लिए स्वतंत्र है और कोई भी कुछ भी कह सकता है,भी खतरनाक होगा।’ 

हालांकि, नए कानून के लिए न्यायालय के नुस्खे में खतरनाक संकेत हैं। अश्लीलता व्यक्तिपरक है और इसे परिभाषित करना मुश्किल है। अश्लीलता के खिलाफ  कोई भी विशिष्ट कानून भानुमती का पिटारा खोल देगा और ढेर सारे अदालती मामलों को जन्म देगा और मौजूदा सरकार राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हथियार के तौर पर राज्य एजैंसियों का इस्तेमाल करने से नहीं कतराती। इससे सरकार को अपने आलोचकों पर हमला करने का एक और मौका मिल जाएगा। संविधान निर्माताओं ने अभिव्यक्ति की आजादी को ‘उचित प्रतिबंधों’ से जकड़ रखा था। ‘अश्लीलता’ पर लगाम लगाने के लिए अब और प्रतिबंधों की जरूरत नहीं है  क्योंकि ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो छोटी स्कर्ट या फटी जींस पहनने वाली लड़कियों और लिव-इन रिलेशनशिप को भी अश्लील मानते हैं। अश्लीलता को इस तरह परिभाषित करना मुश्किल होगा। कानून के उल्लंघन से निपटने के लिए पहले से ही पर्याप्त प्रावधान हैं।-विपिन पब्बी
 

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