Edited By ,Updated: 07 Mar, 2025 05:12 AM

मेरे मित्र महेश नारायण सिंह, जिनसे मैं हर सुबह व्यायाम करते समय मिलता हूं, हमारे प्रधानमंत्री की सूफी मान्यताओं और प्रथाओं के ज्ञान से स्पष्ट रूप से प्रभावित थे। जब मोदी भारत में कहीं मुसलमानों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तो मैंने महसूस किया कि...
मेरे मित्र महेश नारायण सिंह, जिनसे मैं हर सुबह व्यायाम करते समय मिलता हूं, हमारे प्रधानमंत्री की सूफी मान्यताओं और प्रथाओं के ज्ञान से स्पष्ट रूप से प्रभावित थे। जब मोदी भारत में कहीं मुसलमानों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तो मैंने महसूस किया कि हमारे प्रधानमंत्री अपने भाषण में बहुत ही वाक्पटु, उत्साही और मिलनसार थे। यह उनके रवैये में एक बड़ा सुधार है जिसे मोदी को अपने असंख्य अनुयायियों के साथ सांझा करना चाहिए, जिनकी आज हमारे देश और यहां तक कि विदेशों में भी कोई गिनती नहीं है। नफरत और विभाजन जो 2014 में नरेंद्र मोदी के हमारी सरकार की कमान संभालने के बाद से सत्तारूढ़ व्यवस्था की पहचान बन गई है, उसे मिटाने में बहुत समय और प्रयास लगेगा। वे देश के किसी न किसी कोने में लगभग रोजाना खुद को प्रकट करते हैं।
पहले का इरादा चुनाव जीतना और हिंदुत्व का शासन स्थापित करना हो सकता था। लेकिन मोदी, एक बुद्धिमान जन नेता होने के नाते, यह समझ गए हैं कि लंबे समय में फूट भारत को नष्ट कर देगी। हाल ही में, वह विशेष रूप से विदेश में अपनी कई यात्राओं के बाद असंतुलन को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से, मुझे संदेह है कि क्या तेंदुए कभी भी अपने धब्बे बदल सकते हैं। जब तेंदुए को अपने शिकार से उन बहुत ही स्पष्ट धब्बों को छिपाने के लिए पत्ते की छाया की आवश्यकता होती है तो वह अपने शिकार की रणनीति को उसी के अनुसार बदल लेता है।हमारे प्रधानमंत्री ने अन्य राष्ट्राध्यक्षों से मिलते समय गले मिलने या गले लगाने का अभिवादन शुरू किया है। अभिवादन का यह तरीका खाड़ी देशों के शासकों को पसंद आया है जो अत्यधिक इस्लामी हैं।
मुंबई में मोहल्ला समिति के सदस्य दोनों प्रमुख समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हुए समझ और मित्रता फैलाने के लिए हर महीने मिलते रहते हैं लेकिन उनमें से प्रत्येक ने अपने संबंधित समुदायों में अपने भाइयों के दृष्टिकोण और सोच में बदलाव देखा है। यह आश्चर्य की बात नहीं है। मोदी के अनुयायियों ने अल्पसंख्यक समुदाय को वहां निशाना बनाया है जहां उनकी आजीविका पर इससे उन्हें सबसे अधिक नुकसान होगा। कसाई और पशु व्यापारियों को व्यापार से बाहर कर दिया गया है लेकिन जो लोग केवल सब्जियां और फल या अन्य सामान्य रूप से बेचे जाने वाले सामान बेचते हैं उन्हें भी मेलों में ऐसा करने से विशेष रूप से रोका गया है। हालांकि वे पीढिय़ों से उन मेलों में आते रहे हैं।
मुंबई के बाहरी इलाके में एक छोटे से कस्बे में जो एक पड़ोसी जिले में स्थित है, 23 फरवरी को दुबई में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान एक मुस्लिम के घर से गुजरने वाले एक राहगीर ने पुलिस को और साथ ही इलाके में अपने दोस्तों को बताया कि उस घर में रहने वाला एक युवा मुस्लिम लड़का पाकिस्तानियों का समर्थन कर रहा है। इस पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की जिस पर अक्सर सुस्ती का आरोप लगाया जाता है। 15 वर्षीय लड़के को तुरंत हिरासत में लिया गया और उसे ‘सुधारने’ के लिए सुधार गृह भेज दिया गया और उसके माता-पिता को लड़के की खुशी के बारे में जानकारी होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। पाकिस्तानी टीम हमारी टीम के सामने कहीं नहीं टिकी थी और इसलिए खुशी का कारण क्या हो सकता था? शिकायतकत्र्ता ने इसका स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
दंडात्मक कार्रवाई यहीं समाप्त नहीं हुई! लड़के के माता-पिता ने कबाड़ रखने के लिए जो अस्थायी शेड बनवाया था (उस आदमी का काम कबाड़ खरीदना और बेचना था) उसे पंचायत ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में दिए गए 15 दिन के नोटिस के बिना ही ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों के अनुसार लोगों में इतना गुस्सा था कि उस आदमी के भाई द्वारा बनाया गया ऐसा ही शेड भी मलबे में तबदील हो गया! अगर ऐसे कठोर और तत्काल ‘न्याय’ के उदाहरण भाजपा द्वारा घोषित नए भारत की अभिव्यक्ति नहीं हैं तो फिर क्या है? भारत और पाकिस्तान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच हमेशा हर भारतीय के दिल में गहरी भावनाएं जगाता है। रविवार, 23 फरवरी को मैं घुड़दौड़ और क्रिकेट के प्रति अपने प्यार के बीच उलझा हुआ था। मैंने बाद वाले को इसलिए चुना क्योंकि हमारी टीम पाकिस्तान के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही थी। रविवार को मेरा निकटतम परिवार दोपहर के भोजन पर मिलता है। मैं अपनी बेटी के डाइनिंग टेबल पर पहली गेंद फैंकने से पहले घर वापस भागा। (संयोग से, मैं समय पर घर नहीं पहुंच सका और टैलीविजन चालू करने से पहले एक ओवर फैंका जा चुका था)।
अपनी बेटी के घर से लौटते समय मैंने पाया कि सड़कें सुनसान थीं। ऐसा तब होता है जब भारत और पाकिस्तान क्रिकेट के मैदान पर भिड़ते हैं। खेल के क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता का दावा करना संतोषजनक है।
भारत-पाक क्रिकेट मैच से जो भावनाएं पैदा होती हैं उन्हें देखते हुए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ङ्क्षहदुत्व के उत्साही लोग, जिनकी मुसलमानों के प्रति नापसंदगी क्रिकेट के खेल के प्रति उनके उत्साह से अधिक है,दबे हुए पूर्वाग्रहों को भड़काने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के अवसर का दुरुपयोग करें। अब सरकार कम से कम इतना तो कर ही सकती है कि हारने वाली टीम का समर्थन करने वाले लड़के के पिता और चाचा को जमीन के कुछ टुकड़े आबंटित करके बेहतर अंतर-सामुदायिक संबंधों के मोदी के नए एजैंडे को आगे बढ़ाए।-जूलियो रिबैरो
(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)