कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें और बढ़ीं

Edited By ,Updated: 29 Sep, 2024 05:37 AM

karnataka cm siddaramaiah s troubles increase further

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए पद पर बने रहना मुश्किल हो गया है, क्योंकि पिछले मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया था। सिद्धारमैया ने मैसूर भूमि घोटाले में...

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए पद पर बने रहना मुश्किल हो गया है, क्योंकि पिछले मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार विरोधी कानून के तहत उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया था। सिद्धारमैया ने मैसूर भूमि घोटाले में उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने की अनुमति देने वाले कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत के आदेश को चुनौती दी थी। मुख्यमंत्री ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। राज्यपाल द्वारा उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने की मंजूरी के खिलाफ उच्च न्यायालय में उनकी चुनौती ने उन्हें समय दे दिया था, लेकिन अब जबकि उच्च न्यायालय ने भी उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया है, तो यह उचित ही है कि उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए और जब तक उन्हें सम्मानपूर्वक बरी नहीं कर दिया जाता, तब तक मुख्यमंत्री के पद पर वापस आने का कोई प्रयास न करें। 

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने अपने 197 पन्नों के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि उनके खिलाफ मुकद्दमा चलाने की मंजूरी देने में राज्यपाल की कार्रवाई में कोई दोष नहीं पाया जा सकता। न्यायाधीश ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि राज्यपाल ने उनके अभियोजन को मंजूरी देने की याचिका पर विचार करते समय स्वतंत्र रूप से अपने विचार नहीं रखे। वास्तव में, कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा अभियोजन के खिलाफ चुनौती को खारिज करने के एक दिन बाद, निचली अदालत से एक और झटका लगा। इसने कर्नाटक लोकायुक्त को निर्देश दिया कि वह भूमि घोटाले के आरोपों की जांच करे और 3 महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे। हालांकि, 4 दिन बाद भी लोकायुक्त पुलिस ने अभी तक एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की है। जाहिर है, अगर वह जल्द ही ऐसा करने में विफल रहता है, तो मामले को आगे बढ़ाने वाले नागरिक समाज कार्यकत्र्ता फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा शहर के बाहरी इलाके में एक ग्रामीण गांव में सिद्धारमैया की पत्नी के नाम पर 3.16 एकड़ जमीन के बदले में 14 प्लम भूखंडों के आवंटन से संबंधित आरोप हैं। 

सिद्धारमैया का दावा है कि उक्त जमीन उनकी पत्नी को उनके भाई ने उपहार में दी थी, हालांकि कुछ ग्रामीणों ने शिकायत की है कि उन्हें धोखा देकर यह जमीन हड़पी गई है। उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि सी.एम. के अभियोजन की मांग करने वाली याचिका में बताए गए तथ्यों की नि: संदेह जांच की आवश्यकता है। इस तथ्य के बावजूद कि इन सभी कृत्यों का लाभार्थी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि सिद्धारमैया की पत्नी है, जिन्हें 14 भूखंड आबंटित किए गए थे, को लेकर जांच की मांग की गई। अदालत ने यह दलील स्वीकार नहीं की कि मुख्यमंत्री की अपनी पत्नी को प्रमुख भूमि के आबंटन में कोई भूमिका नहीं थी। सिद्धारमैया द्वारा खुद को निर्दोष साबित करने और अदालतों द्वारा उन्हें निर्दोष करार दिए जाने तक पद छोडऩे से इंकार करने के बावजूद, उनके इस्तीफे की मांग और भी तेज होने वाली है। 

वास्तव में, भूमि घोटाले के मामले को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले जन-हितैषी नागरिकों ने अब संकेत दिया है कि उनका अगला कदम जांच को सी.बी.आई. को सौंपने की मांग करना होगा। मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से सिद्धारमैया एम.यू.डी.ए. (मैसूर अर्बन डिवैल्पमैंट अथॉरिटी) घोटाले को केंद्रीय जांच एजैंसी को सौंपने की मांग को और बल देंगे। हालांकि सिद्धारमैया पर मुकद्दमा चलाने की अनुमति देने के उच्च न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद ही कर्नाटक सरकार ने बिना पूर्व अनुमति के मामलों की जांच करने की अनुमति वापस ले ली। आलोचकों ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि सी.बी.आई. द्वारा उनके खिलाफ मामले की जांच किए जाने की स्थिति में मुख्यमंत्री को बचाया जा सके। लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा एम.यू.डी.ए. मामले को सी.बी.आई. को सौंपे जाने के निर्देश दिए जाने पर राज्य सरकार का आदेश आड़े नहीं आएगा। संक्षेप में, अब सिद्धारमैया के लिए एम.यू.डी.ए. मामले की जांच से बच पाना मुश्किल है। उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के एक मामले में अभियोजन की अनुमति देने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ राज्य उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 

उस समय विपक्षी कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करने वाले सिद्धारमैया ने येदियुरप्पा को हटाने की जोरदार मांग की थी। इसके अलावा, सिद्धारमैया की जगह लेने के लिए कोई विकल्प भी कम भरोसा जगाता है। उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार खुद कई घोटालों में फंसे हैं। अब वे भ्रष्टाचार के आरोपों से राहत पाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। इस बीच, ‘आप’ नेता अरविंद केजरीवाल, अपनी शैली के अनुसार, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नकली नैतिक धर्मयुद्ध छेडऩे का नाटक करते हुए लोगों को धोखा दे रहे हैं। आम मतदाताओं की मूर्खता पर भरोसा करते हुए, वे पीड़ित कार्ड खेल रहे हैं। सच तो यह है कि उन्हें जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सी.एम. कार्यालय में प्रवेश करने या किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ स्पष्ट रूप से सख्त शर्तें निर्धारित किए जाने के बाद उनका मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना पूरी तरह से अस्थिर हो गया था। यह महत्वपूर्ण है कि उसी अदालत ने हेमंत सोरेन को जमानत देते समय ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी, जो अपनी रिहाई के बाद झारखंड में मुख्यमंत्री पद पर वापस आ गए।-सीधी बातें वरिन्द्र कपूर 
 

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!