Edited By ,Updated: 26 Mar, 2025 05:16 AM

इस सुरम्य बसंत के मौसम में राजनीतिक दिल्ली में हमारे जनसेवकों में गर्मी पैदा हो रही है और यह गर्मी दिल्ली उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश के आवास पर मिली नकदी, परिसीमन और महाराष्ट्र की बुलडोजर राजनीति को लेकर पैदा हो रही है, किंतु इस तू-तू,...
इस सुरम्य बसंत के मौसम में राजनीतिक दिल्ली में हमारे जनसेवकों में गर्मी पैदा हो रही है और यह गर्मी दिल्ली उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ न्यायाधीश के आवास पर मिली नकदी, परिसीमन और महाराष्ट्र की बुलडोजर राजनीति को लेकर पैदा हो रही है, किंतु इस तू-तू, मैं-मैं के झमेले में कर्नाटक का हनीमून विवाद कहीं दब सा गया है। बुधवार को कांग्रेसी मंत्री राजन्ना ने एक बम फोड़ा। उन्होंने कहा कि मुझे और न्यायधीशों सहित विभिन्न दलों के 47 अन्य नेताओं को एक हनी ट्रैप योजना में निशाना बनाया जा रहा है और अश्लील वीडियो बनाए गए हैं। इस अवसर का लाभ उठाते हुए भाजपा ने कहा कि कांग्रेस एक हनी ट्रैप फैक्टरी चला रही है। हालांकि इसने हमारे नेताओं के चाल-चरित्र और चेहरे का पर्दाफाश कर दिया।
मंत्री ने मांग की है कि हनी ट्रैप के इन प्रयासों के पीछे जिन लोगों का हाथ है, उनका पता लगाने के लिए जांच की जाए। उनका आरोप है कि यह कार्य उन नेताओं द्वारा इस मुक्त एजैंडे के साथ किया गया, जो लोगों को बदनाम और व्यक्तिगत लाभ के लिए राजनीतिक हेरफेर करना चाहते हैं। उनका समर्थन अनेक अन्य मंत्रियों ने भी किया जिसके चलते मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को जांच करने के लिए कहना पड़ा। किंतु इस मामले का गहन विश्लेषण करने पर यह और गहराता जा रहा है। यह राज्य में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष से उत्पन्न तनाव को दर्शाता है, जिसमें मुख्यमंत्री के पूर्व सहयोगी राजन्ना और मंत्रियों के एक समूह ने पार्टी पर शिवकुमार के प्रभाव को चुनौती दी और इन मतभेदों के माध्यम से पार्टी में और खाई पैदा करने के भाजपा के प्रयासों पर अंकुश लगाया। हनी ट्रैप का आरोप शिवकुमार के अंदरूनी गुट द्वारा राजन्ना और अन्य को राजनीतिक रूप से घेरने के किसी भी प्रयास को विफल करने का कदम है।
व्यक्तिगत रूप से अनेक लोग कह रहे हैं कि शिवकुमार अप्रत्याशित रूप से निशाने पर हैं क्योंकि 2021 में वह एक हनी ट्रैप घटना से जुड़े हुए थे, जब तत्कालीन भाजपा मंत्री को इसलिए त्यागपत्र देना पड़ा कि एक महिला ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया। किंतु ब्लैकमेल और जबरन वसूली की शिकायतों का शिवकुमार ने यह कहकर प्रत्युत्तर दिया था कि क्या मैंने उनसे कहा था कि वे अपनी पैंट उतारें। प्रश्न उठता है कि यह कौन सी बड़ी बात है। भारत के राजनेताओं की ऐसी कहानियां बहुत पुराने समय से चली आ रही हैं। अधिकतर राजनेता दावा करते हैं कि सैक्स हमारी विरासत का अंग है और इसका पूरी शक्ति से बचाव किया जाना चाहिए। आप खजुराहो की भूमि में नैतिकता की बात कैसे कर सकते हैं? वात्सयायन के कामसूत्र को भूल जाइए।
इस प्रकरण में हमारे शासकों का पायजामा, धोती और लुंगी सब खुल चुके हैं। आपको वर्ष 2006 में कश्मीर के हमारे नेतागणों की चोली के पीछे की गुफ्तगू याद होगी, जब एक 15 वर्षीय लड़की ने श्रीनगर के पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक मैडम साहिबा 43 लड़कियों को वेश्यावृत्ति में घसीट रही है। उस बालिका की शिकायत को तब तक दबा दिया गया जब तक एक एम.एम.एस. वायरल नहीं हुआ और मामला जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट नहीं पहुंचा। फिर इस मामले में सी.बी.आई. जांच हुई और एक बड़े सैक्स रैकेट का पदार्फाश हुआ, जिसमें 2 पूर्व मंत्रियों, बी.एस.एफ. के डी.आई.जी., एडवोकेट जनरल, डी.एस.पी., 13 अन्य लोग तथा अनेक सरकारी अधिकारी और न्यायिक अधिकारियों सहित 65 लोग संलिप्त थे। इसी तरह अहमदाबाद में एक ऐसा ही मामला सामने आया जब पंजाब के 2 मंत्रियों और दिल्ली के एक विधायक ने 3 लड़कियों के साथ मजा लूटा।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के एक मंत्री और कवियत्री मधुमिता का प्रकरण सबको याद होगा। इस क्रम में एक पूर्व मुख्यमंत्री और 4 सांसदों द्वारा लैग और पैग का तथा 3 पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा हॉटनाइट का आनंद उठाने का प्रकरण भी उल्लेखनीय है। एक अन्य केरल में आईसक्रीम पार्लर सैक्स स्कैंडल में संलिप्त था। और हॉट तंदूरी नाइट के बारे में कौन नहीं जानता, जिसने पहली बार नयना साहनी और सुशील शर्मा के माध्यम से हमारी राजनीति की वास्तविकता को उजागर किया था।
राजनीतिक एवरैस्ट की ऊंचाइयों पर चढऩे के लिए महिलाएं अब महत्वपूर्ण सहयोगी बन गई हैं। आज हमारे नेता ऊपरी वस्त्रों को उतारने में सिद्धहस्त हो गए हैं। हैरानी की बात यह है कि हमारे अनैतिक नेताओं में से कइयों को अभी भी दया, करुणा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने गरिमा का मुखौटा पहना हुआ है। स्थिति यह है कि राजनीतिक आवास ऐसे अनेक प्रकरणों के गवाह बन चुके हैं। किंतु दुखद तथ्य यह है कि इन सब प्रकरणों से भी हमारे टेफलोन कोटेड राजनेताओं में कोई अंतर नहीं आया। समय आ गया है कि हमारे नेता समझें कि प्रसिद्धि की कीमत निरंतर संवीक्षा है। यदि वे सत्ता और उससे जुड़े हुए सभी लाभों का आनंद उठाना चाहते हैं तो उन्हें पूर्ण सत्यनिष्ठा और ईमानदारी की कीमत चुकानी होगी। सुशासन और स्थिरता के लिए राजनीतिक नैतिकता और जवाबदेही अत्यावश्यक है। भारत आज एक नैतिक चौराहे पर खड़ा है। समय आ गया है कि हम अपनी सजगता से इस पतन को रोकने का प्रयास करें अन्यथा हम एक कमजोर राज व्यवस्था की आधारशिला रख रहे हैं। लैग्स और पैग्स जाएं भाड़ में।-पूनम आई. कौशिश