Edited By ,Updated: 28 Sep, 2024 05:28 AM
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर जनता की अदालत लगाई लेकिन उसमें उन्होंने प्रश्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से पूछा। अब पत्र लिखकर वही प्रश्न पूछे हैं। उन्होंने पांच प्रश्न पूछे।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर जनता की अदालत लगाई लेकिन उसमें उन्होंने प्रश्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से पूछा। अब पत्र लिखकर वही प्रश्न पूछे हैं। उन्होंने पांच प्रश्न पूछे। एक, जिस तरह से भाजपा देश भर में लालच देकर डराकर या ई.डी. सी.बी.आई. की धमकी देकर दूसरी राजनीतिक पार्टी और उनके नेताओं को तोड़ रही है, गैर-भाजपा सरकारों को गिरा रही है क्या यह देश के लिए सही है? क्या आप नहीं मानते कि यह भारतीय जनतंत्र के लिए हानिकारक है? दो, सबसे भ्रष्ट नेताओं को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल किया है। जिन नेताओं को पहले भाजपा के नेताओं ने खुद सबसे भ्रष्टाचारी बोला था कुछ दिन बाद उनको भाजपा में शामिल कर लिया गया। क्या इस प्रकार की राजनीति से आप सहमत हैं क्या ऐसी भाजपा की कल्पना की थी?
तीन, भाजपा आर.एस.एस. की कोख से पैदा हुई है। कहा जाता है कि यह देखना संघ की जिम्मेदारी है कि भाजपा पथभ्रष्ट न हो। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आप आज की भाजपा के इन कदमों से सहमत हैं? क्या आपने कभी भाजपा को यह सब करने से रोकने की कोशिश की, उनसे इस बारे में सवाल पूछे? चार, जे.पी. नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि भाजपा को संघ की जरूरत नहीं है। जब नड्डा ने यह कहा तो आपके दिल पर क्या गुजरी? आपको दुख नहीं हुआ? आर.एस.एस. भाजपा के लिए मां समान है। क्या बेटा इतना बड़ा हो गया कि वह पलटकर मातृतुल्य संस्था को आंखें दिखा रहा है? पांच, आप लोगों ने मिलकर कानून बनाया था कि पार्टी में 75 साल से ऊपर के नेता रिटायर होंगे। लालकृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी जैसे कई नेताओं को रिटायर कर दिया गया। अब अमित शाह कह रहे हैं कि यह नियम मोदी पर लागू नहीं होगा। क्या आप इससे सहमत हैं? विरोधी पार्टियां ,नेता , एक्टिविस्ट और सोशल मीडिया पर सक्रिय नरेटिव सैटर्स सभी भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध करते हुए, हमले करते हुए संघ को निशाना बनाते हैं और कुछ तो भाजपा से ज्यादा संघ पर हमले करते हैं। किंतु राजनीतिक नेताओं में अरविंद केजरीवाल की तरह प्रश्न किसी ने पूछा नहीं था।
अरविंद केजरीवाल ने नेताओं को डराने-धमकाने या ई.डी. सी.बी.आई. का डर दिखाने या फिर 75 वर्ष की उम्र आदि पर जो कहा यह उनका अपना दृष्टिकोण है। इन प्रश्नों और वक्तव्यों की मूल बात दूसरी है। जब उन्होंने इस्तीफे की घोषणा की तो यही कहा कि वह जनता के बीच जाएंगे और जनता उन्हें निर्दोष साबित कर देगी तो फिर वह मुख्यमंत्री बन जाएंगे। स्वाभाविक ही ऐसे अभियान में वे काफी सोच-समझकर सधे हुए अंदाज में अपनी चतुर और चालाक राजनीति के तहत ही कोई विषय उठाएंगे। इसलिए अरविंद केजरीवाल और आप की दृष्टि से संघ प्रमुख से पूछे गए प्रश्नों को आप यूं ही खारिज नहीं कर सकते।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्य प्रणाली में सामान्यत: राजनीतिक प्रश्न तो छोडि़ए, नियमित होने वाली निंदा, आलोचना या हमलों का उत्तर देने या किसी प्रश्न पर स्पष्टीकरण देना शामिल नहीं है। संघ पर गहरी दृष्टि रखने वाले जानते हैं कि इन सबसे अप्रभावित रहते हुए वे अपने उद्देश्यों के लिए निर्धारित कार्यों और आयोजनों में लगे रहते हैं। वे मीडिया या अन्य क्षेत्रों में सार्वजनिक रूप से सक्रिय लोगों से भी निवेदन करते हैं कि संघ की आलोचना या होने वाले हमलों के उत्तर देने में समय न लगाएं। वैसे अरविंद केजरीवाल के राजस्व अधिकारी के समय से एन.जी.ओ. और सूचना अधिकार कार्यकत्र्ता, फिर भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना अभियान और अंतत: आम आदमी पार्टी की अब तक की गतिविधियों पर ध्यान रखने वाले बिना किसी हिचक के बोल सकते हैं कि सकारात्मक उद्देश्य से उन्होंने ये पांचों प्रश्न नहीं पूछे होंगे। सच है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद सत्ता और राजनीति के स्तर पर हिंदुत्व और हिंदुत्व अभिप्रेरित राष्ट्रवाद पर फोकस कर विचारधारा पर ऐसे ऐतिहासिक निर्णय और कार्य हुए जिनकी पहले कल्पना नहीं की गई थी।
भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के समाचार पत्र के साक्षात्कार में भाजपा अब बड़ा संगठन हो गया और उसे संघ की उस रूप में आवश्यकता नहीं है जैसे अचंभित करने वाले वक्तव्य ने पूरे संगठन परिवार और प्रतिबद्ध समर्थकों के मन में वैचारिक उथल-पुथल पैदा कर दी। इस पर भाजपा ने स्पष्टीकरण नहीं दिया और संघ की ओर से सार्वजनिक वक्तव्य आने का कारण नहीं था। इसलिए इसे लेकर पैदा हुआ संभ्रम कायम है। अरविंद केजरीवाल और उनके जैसे लोगों को अच्छी तरह पता है कि लोगों के अंतर्मन में ऐसे प्रश्न हैं और अगर कुछ प्रतिशत के भीतर भी वे यह भाव पैदा करने में सफल रहे कि प्रश्न तो उन्होंने सही पूछे हैं तो फिर उनकी राजनीति की दृष्टि से यह लाभकारी होगा। संघ के बारे में और स्वयं भाजपा पर उठाए गए उनके प्रश्नों का उत्तर भाजपा की ओर से नहीं मिल सकता। इसे केजरीवाल जानते हैं और उनकी यही रणनीति भी है। वह इसके आगे की रणनीति बना चुके होंगे और भाजपा के साथ संघ को भी कटघरे में खड़ा करेंगे। केजरीवाल को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर संघ के बारे में उनकी सोच क्या है।-अवधेश कुमार