लैला-मजनूं की मजार पर प्रेमी जोड़े मांगते हैं मन्नत

Edited By ,Updated: 21 Jun, 2019 04:05 AM

laila majumun s mazar lover wants couples to ask

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ इलाके से आठ किलोमीटर दूर स्थित है छोटा-सा गांव बिन्जौर।  यहां बनी है प्रसिद्ध प्रेमी युगल लैला-मजनूं की मजार। यह मजार प्रेमी युगलों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। यहां दूर-दूर से प्रेमी जोड़े और अन्य लोग...

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ इलाके से आठ किलोमीटर दूर स्थित है छोटा-सा गांव बिन्जौर। यहां बनी है प्रसिद्ध प्रेमी युगल लैला-मजनूं की मजार। यह मजार प्रेमी युगलों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। यहां दूर-दूर से प्रेमी जोड़े और अन्य लोग अपनी खुशियां मांगने झोली फैलाकर आते हैं। मेले के दौरान मजार पर माथा टेकने के लिए भीषण गर्मी में भी लोग लाइन लगाकर घंटों यहां खड़े रहते हैं।

यह गांव दिखने में भले ही छोटा है लेकिन इसकी पहचान बड़ी है। बताया जाता है कि इसी छोटे से गांव में प्रेमी युगल के रूप में अमिट छाप छोडऩे वाले लैला-मजनूं ने अंतिम सांस ली थी। हालांकि इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है लेकिन इस मान्यता के चलते यहां प्रेमी जोड़े लगातार आते रहते हैं।

अनूपगढ़ क्षेत्र के अलावा श्रीगंगानगर के घड़साना, रावला, श्रीविजयनगर और रामसिंहपुर सहित दूर-दराज के क्षेत्रों से भी हजारों की संख्या में महिला-पुरुष अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना के साथ श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस व होमगार्ड के जवान तैनात रहते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार लैला-मजनूं की मजार सैंकड़ों साल पुरानी है। मेला कमेटी अध्यक्ष जरनैल सिंह सहित अन्य सदस्य इस मेले की व्यवस्थाएं संभालते हैं।

क्षेत्र के बुजुर्गों के अनुसार वे 1962 से बिन्जौर गांव में रह रहे हैं। तब यहां पूरे क्षेत्र में जंगल था। घग्घर नदी में आने वाली बाढ़ के दिनों में लैला-मजनूं की मजार के चारों ओर भारी मात्रा में पानी भर जाने के बावजूद भी मजार में पानी नहीं जा पाता था। 1972 के बाद इस मजार की मान्यता बढ़ गई और यहां मेला लगने लगा जो अभी तक जारी है।

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