आइए बंगलादेश से सीखें...!

Edited By ,Updated: 09 Dec, 2024 04:53 AM

let s learn from bangladesh

अधिकांश भारतीय बंगलादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और मंदिरों के विनाश से स्तब्ध हैं। जहां एक ओर हमारा मन बंगलादेश को अविश्वास से देखता है वहीं भारत बंगलादेश को आजाद कराने वाले हमारे बहादुर सैनिकों के बलिदान को याद करता है, जबकि बंगलादेश दो तरफ से...

अधिकांश भारतीय बंगलादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और मंदिरों के विनाश से स्तब्ध हैं। जहां एक ओर हमारा मन बंगलादेश को अविश्वास से देखता है वहीं भारत बंगलादेश को आजाद कराने वाले हमारे बहादुर सैनिकों के बलिदान को याद करता है, जबकि बंगलादेश दो तरफ से युद्ध लड़ रहा है। हमें अपने देश को भी उसी अविश्वास से देखने की जरूरत है, जिस तरह हमारे अपने लोग उस व्यक्ति का अनादर करते हैं और उसका नाम मिटाने की कोशिश करते हैं जिसने हमारे देश को अंग्रेजों से आजाद कराया। वस्तुत: एक व्यक्ति की सेना, जिसने एक अपरंपरागत युद्ध लड़ा, और हमें गोरे उपनिवेशवादियों की बेडिय़ों से आजाद कराया।

उन्होंने कठोर हाथों से शासन किया, जैसे बंगलादेश को पाकिस्तानी सेना की ताकत ने कुचल दिया था, जब तक कि भारतीय सैनिक अंदर नहीं आए, और अपने पड़ोसी को आजाद नहीं कराया। लेकिन अब भारत कृतज्ञता नहीं बल्कि विश्वासघात देख रहा है, ठीक वैसे ही जैसे राष्ट्रपति का आदर करने वाले लोग उसी व्यक्ति को हमारे देश के अंदर कई लोगों द्वारा धोखा दिए जाते हुए देखते हैं। एक और महत्वपूर्ण तथ्य जिससे हमें सीखने की जरूरत है वह यह है कि अल्पसंख्यकों को कैसा लगता है जब वे जिस देश को अपना कहते हैं, वही उन्हें धमकाता है। जब मंदिरों पर हमला होता है तो हमें कितना दुख होता है, न सिर्फ बंगलादेश में बल्कि दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से में।

हम चिल्लाते हैं, ‘उन्हें अधिकार है! उनके पूजा स्थल की रक्षा करो!’  लेकिन चुपचाप अपने ही देश में लोगों द्वारा कही गई उन्हीं बातों को सुनें। क्या आप जानते हैं कि जब उनके पूजा स्थल पर हमला होता है तो उन्हें कैसा लगता है? एक चर्च को अपवित्र किया जाता है, एक मस्जिद को गिरा दिया जाता है। किसने किया? एक ही राष्ट्रीयता के लोगों के भाइयों और बहनों ने! फिर से, विश्वासघात, है न? हमारा देश, जो बाकी दुनिया के लिए प्रकाश की किरण हो सकता है, यह दिखाने के लिए कि शांति और भाईचारा वास्तव में क्या है, स्वार्थी राजनेताओं द्वारा नष्ट किया जा रहा है, और हां, बंगलादेश में भी ऐसा ही हो रहा होगा।

लेकिन विदेश में ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया करने से पहले, हमें सीमा पार चिल्लाने की स्थिति में होना चाहिए, ‘मुहम्मद यूनुस! हमें देखो और हमारा अनुकरण करो!’ लेकिन क्या हम ऐसा कह सकते हैं? नहीं! यही कारण है कि वे हत्या करके भी बच निकलते हैं क्योंकि वे वही कर रहे हैं जो वे सीमा पार देख रहे हैं। ऐसी हरकतों को रोकने के लिए हमें उदाहरण पेश करने की जरूरत है। हां, यहां-वहां कुछ छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन हम राष्ट्रीय नेताओं को अपने मुंह से जहर उगलकर देश को ध्रुवीकृत करने की अनुमति नहीं दे सकते।

बंगलादेश में हमारे खिलाफ जो कुछ हो रहा है, वह जल्द ही दुनिया के अन्य हिस्सों में भी ऐसी घृणित हरकतों की शुरूआत हो सकती है। धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, हमारे खिलाफ हर जगह ङ्क्षहसा की छिटपुट घटनाएं हो रही हैं क्योंकि वे हमें भी ऐसा करते हुए देखते हैं। आइए हम इस पर रोक लगाएं और दुनिया को दिखाएं कि भारत एक ऐसा देश है जिसने विविधता के बीच एकता में रहना सीखा है। इसके लिए हमें बंगलादेश में जो कुछ हो रहा है, उससे सीखने की जरूरत है, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए..! -दूर की कौड़ी, राबर्ट क्लीमैंट्स

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