दिल्ली में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए किए जा रहे दीर्घकालिक उपाय

Edited By ,Updated: 13 Oct, 2024 05:49 AM

long term measures being taken to curb air pollution in delhi

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए गठित उच्च स्तरीय कार्यबल की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक उपायों को लागू करने में दिल्ली सरकार और अन्य हितधारकों की तत्परता का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित...

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए गठित उच्च स्तरीय कार्यबल की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक उपायों को लागू करने में दिल्ली सरकार और अन्य हितधारकों की तत्परता का आकलन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। केंद्रीय मंत्रालयों और दिल्ली प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों वाले कार्यबल ने मौजूदा रणनीतियों की समीक्षा की और प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए अन्य नई पहलों पर चर्चा की।

दिल्ली में मुख्य रूप से निर्माण से संबंधित धूल, बॉयोमास जलाने और वाहन से होने वाले उत्सर्जन का वायु प्रदूषण में योगदान बना हुआ है। खासकर सर्दियों के महीनों के दौरान हालात और बिगड़ जाते हैं जब मौसम ज्यादा स्थिर हो जाता है। इलैक्ट्रिक बस बेड़े को बढ़ाने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने, मशीनीकृत सड़क स्वच्छता, धूल कम किए जाने और अपशिष्ट और बायोमास को जलाने से रोकने के प्रयासों सहित कई उपायों की जरुरत है। मौजूदा कानूनों को सख्ती के साथ लागू किए जाने की जरूरत है। सड़कों और निर्माण दोनों गतिविधियों से धूल नियंत्रण के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने की आवश्यकता है। 

सड़कों के मध्य स्थित जगहों को हरा-भरा करने और धूल से बचाने के लिए पैदल पथों और सड़क के किनारे खुले क्षेत्रों को पक्का करने/हरा-भरा करने के लिए मिशन-मोड में कार्य करने की और ध्यान दिया जाए,खासकर भारी प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जी.आर.ए.पी.) के तहत आने वाले समय के दौरान मशीनों से सड़कों की सफाई, पर्याप्त संख्या में एंटी-स्मॉग गन की तैनाती और नियमित रूप से पानी का छिड़काव भी बढ़ाने की आवश्यकता है। निर्माण और विध्वंस स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी बढ़ाने और सख्ती से क्रियान्वयन के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करने की भी जरुरत है ताकि निर्माण सामग्री और मलबे का परिवहन इस तरह से किया जाए जिससे सड़कों पर धूल का प्रदूषण न हो।

नगर पालिका संबंधी ठोस अपशिष्ट और बॉयोमास को खुले में जलाने से रोकने की आवश्यकता है, जिनका सर्दियों के महीनों में वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। दिल्ली में लैंडफिल साइट्स की मंजूरी की धीमी गति और एम.सी.डी. की तरफ से ‘अपशिष्ट से ऊर्जा’ योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी भी चिंता का विषय है। दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में मौसमी वायु प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत कृषि पराली जलाने पर भी चर्चा की गई। भले ही, दिल्ली में धान का रकबा अपेक्षाकृत कम है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों के लिए एक माडल के रूप में शहर में पराली जलाने की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म करने का आह्वान किया जाना चाहिए। 

इलैक्ट्रिक बस बेड़े के विस्तार और वाहन चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के साथ यह प्रयास वाहन प्रदूषण को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इलैक्ट्रिक बसों के बेड़े को 2026 तक 8,000 तक पहुंचाने का लक्ष्य  है और 2025-26 तक 18,000 वाहन चाॢजंग स्टेशनों की स्थापना होने का अनुमान है। उपरोक्त उपायों के अलावा, दिल्ली में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के महत्व पर फोकस किया जाए ताकि डीजल जैनरेटर पर निर्भरता कम से कम हो। इससे विशेषरूप से बिजली कटौती के दौरान खासा वायु प्रदूषण होता है।  

एम.ओ.एच.यू.ए. सचिव, एम.ओ.ई.एफ.सी.सी. सचिव, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम (एम.सी.डी.), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी.डी.ए.), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एन.डी.एम.सी.) और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सी.एक्यू.एम.) सहित दिल्ली सरकार और केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों की भागीदारी वाले कार्यबल ने विशेष रूप से आगामी सॢदयों के मौसम के लिए, दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए अपने सामूहिक संकल्प की भी पुष्टि की है।-डा. पी.के. मिश्रा(प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव) 

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